उत्तर प्रदेश/// पृथ्वी के अमरदेव वीरबजरंग बली जी महराज के जन्मदोत्सव पर एमएलके पीजी कालेज के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रहे डा .माधवराज द्विवेदी को कलम से ............हनुमान् भारतवर्ष के ऐसे लोकदेवता हैं जिन्हें यहां के लोग संकट मोचक देवता के रूप में  सर्वाधिक याद करते हैं । 
कल्याण कल्पतरु में छपे  डाoवी वी  बी राव के लेख हनुमान इन पाराशर संहिता में हनुमान् के विषय में सर्वथा नवीन जानकारी दी गई है ।  
पाराशर संहिता एक आगम ग्रन्थ है। अपने लेख में डाo राव ने बताया है कि पाराशर संहिता की प्राप्ति के पूर्व हनुमान गाथा रामायण की सीमा में ही समाप्त हो जाती थी । वाल्मीकि रामायण  में वर्णित हनुमान आदि हनुमान के नौवें अवतार हैं । त्रेता युग के राम सहचर हनुमान के जन्म के पूर्व आठ और हनुमान अवतरित हो चुके थे । मुख्य देवशक्ति मरुत् के पूर्णावतार हैं त्रेता के आंजनेय हनुमान । द्वापर के भीम और कलियुग के समर्थ गुरु रामदास हनुमान के अंशावतार थे । पाराशर संहिता में हनुमान्  के नौ दिव्य अवतारों की कथा वर्णित है ।  ये नौ अवतार हैं प्रसन्न आंजनेय, वीर आंजनेय,विंशतिभुज आंजनेय, पंचमुखी आंजनेय,अष्टादश भुज आंजनेय,सुवर्चलापति आंजनेय चतुस्कंध आंजनेय, बत्तीस भुज आंजनेय और द्विभुज आंजनेय । वाल्मीकि और तुलसी ने हनुमान् को ब्रह्मचारी वर्णित किया है किन्तु खगेन्द्र संहिता,शौनक संहिता और सुदर्शन संहिता में हनुमान् के व्याह का उल्लेख है । 
यह व्याह ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को माना जाता है । मन्त्रशास्त्र के मन्त्र  ॐ सुवर्चलापतये नमः में  सुवर्चला के पति के रूप में हनुमान् का स्मरण किया गया है । सुवर्चला सूर्य की पुत्री थी । 
जैन रामायण पउम चरियं में हनुमान् को शूर्पणखा की पुत्री का पति बताया गया है । हनुमान् के नौवें अवतार द्विभुज आंजनेय राम के सहचर सुग्रीव सखा आंजनेय हनुमान् हैं । रामावतार के समय केसरी के क्षेत्रज पुत्र के रूप में इन्हें जाना जाता है । कालिका शक्ति अंजना से ही सारे आंजनेय उत्पन्न हुए हैं । लोक परम्परा में केसरी की पत्नी को भी अंजना कहा जाता है । मरुत् से प्रणय की कथा भी आकर जुड़ गई । रामायण के किष्किन्धाकाण्ड में  जाम्बवान् हनुमान् को इन बातों का स्मरण दिलाते हैं । 
रामावतार के हनुमान् अब भी   किम्पुरुषवर्ष में निवास करते हुए बताए जाते हैं । ये चिरजीवी हैं और इन्हें वरदान प्राप्त है कि ये कल्पान्त के बाद मुख्य प्रजापति होंगे । विश्व की सर्जना के लिए परमेष्ठी शक्ति एक सनातन शक्ति है ।
 हनुमान् दिव्य अनादि शक्ति हैं ।
हनुमान् जयन्ती के अवसर पर सभी मित्रों, आत्मीय जनों एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं ।

उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिंदी संवाद न्यूज
 बलरामपुर 

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