गोंडा: विकास और रोजगार के साथ तरक्की की उम्मीद

गोंडा। जिले के कलक्ट्रेट सभागार में रविवार को अधिकारियों के साथ उद्यमियों ने उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट का लाइव प्रसारण देखा। इन्वेस्टर्स समिट से जिला टूरिज्म के साथ ही औद्योगिक हब बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है। 120 निवेशकों में एक दर्जन निवेशकों से जिले के नवाबगंज क्षेत्र का वैभव और बढ़ेगा। शहर में भी नए होटल के साथ ही चिकित्सा शिक्षा की दिशा में बड़े काम होंगे। इससे कई तरह उद्योग जिले में स्थापित होंगे।
प्रभारी डीएम व सीडीओ एम. अरुन्मोली ने निवेशकों का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने कहा कि उद्योगों से जिले में विकास के साथ ही रोजगार बढ़ेगा। जिससे बेरोजगारों को बेहतर अवसर मिलेगा। मुख्य राजस्व अधिकारी जयनाथ यादव ने कहा कि निवेशकों को हर स्तर की सहूलियत मिलेगी।
नगर मजिस्ट्रेट अर्पित गुप्त ने कहा कि निवेशकों का उत्साह जिले की तरक्की में नया अध्याय लिखेगा। प्रशासन हर स्तर से निवेशकों को तकनीकी और प्रशासनिक सहयोग प्रदान किया जाएगा।


औद्योगिक क्षेत्र न होने से निवेशकों को मिल रहा झटका
गोंडा। उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट - 2023 से उद्यमी उत्साहित हैं, और बड़े स्तर पर प्रस्तावों पर झड़ी लगी है। 120 उद्यमियों ने 4800 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव ऑनलाइन किए हैं। जिसमें 111 निवेशकों के एएमयू पर हस्ताक्षर भी हो चुके हैं। निवेश के प्रस्तावों में जैसी तेजी है, लेकिन उनके धरातल पर उतरने की संभावना कम दिख रही है। शहर में औद्योगिक क्षेत्र न होने की टीस निवेशकों में है। कारण इसके न होने से वह कई सुविधाओं से वंचित हैं।

जिले में उद्योग धंधों के स्थापना की असीम संभावनाएं हैं, यह बात सही है। लेकिन उद्यमियों को इसके लिए सुविधाएं मुहैय्या कराने में उद्योग विभाग की सीमाएं हैं। समिट में आए प्रस्तावों में बड़े उद्यमियों की पसंद अयोध्या से सटे नवाबगंज में हैं। वहां के लोलपुर, कनकपुर, महेशपुर, दुर्गागंज, कटरा शिवदयालगंज आदि गांव ऐसे हैं जो अयोध्या के करीब हैं। वहां पर ही अधिकतर उद्योग लग रहे हैं।

इसमें ज्यादातर होटल और रिसार्ट हैं। ताज, ओबराय, विवांता, जिजंर व एक फाइव स्टार होटल की स्थापना इन्हीं क्षेत्रों में हो रहे हैं। इसके अलावा शहर में बस स्टाप के पास निवेशक संजय पांडेय रिसार्ट स्थापित कर रहे हैं, वह पहले से ही वहां पर होटल चला रहे हैं। सतीश चंद्र पांडेय मेमोरियल ग्रुप पहले से हास्पिटल और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज चला रहे हैं। अब वह पीजी स्तर के कॉलेज का प्रस्ताव दिए हैं। उन्होंने 65 करोड़ तक के निवेश का प्रस्ताव दिया है। इससे इतर अन्य छोटे उद्यमियों के सामने सुविधाओं का संकट है। उन्हें औद्योगिक क्षेत्र घोषित न होने से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मनकापुर है औद्योगिक क्षेत्र, लेकिन रुचि नहीं

मनकापुर औद्योगिक क्षेत्र घोषित हैं। विश्वस्तरीय आईटीआई मनकापुर से वहां पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया था। आईटीआई ही अंतिम की सांसें ले रही है। अब मनकापुर के प्रति लोगों में ज्यादा रुचि नहीं हैं। यह अलग बात है कि स्थानीय स्तर पर लोग उद्यम कर रहे हैं, लेकिन इन्वेस्टर्स समिट से किसी बड़े उद्यमी ने मनकापुर में रुचि नहीं दिखाई है। नवाबगंज के बाद लोगों की पहली पसंद शहर है, और शहर में औद्योगिक क्षेत्र नहीं है।

उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए करनी होगी पहल
कलेक्ट्रेट में समापन अवसर पर शामिल होने आए निवेशकों की मानें तो निवेश के प्रस्ताव धरातल पर तभी उतरेंगे जब प्रोत्साहित करने की पहल हो। सिर्फ मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग से ही कार्य नहीं होना है। इससे स्तर उद्यमियों को आर्थिक सहायता के साथ ही स्थान की उपलब्धता कराने के साथ ही बिजली की व्यवस्था दी जाए।
निवेशक भूपेंद्र आर्य कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र न होने से सुविधाओं से हम वंचित होंगे। इसका असर निवेश पर पड़ेगा। इसी तरह शिव कुमार सोनी भी कहते हैं कि शासन को पहले औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना होगा। शहर में लोगों को उद्योग लगाने के लिए भूमि प्रबंध हो।


इन्वेस्टर समिट में जिले का प्रदर्शन शानदार रहा है। शासन निवेशकों के लिए नीति तैयार कर रही है, जल्द ही नीति जारी होंगे। इसके बाद ही निवेशकों के बारे में अन्य सुविधाएं तय की जाएंगी।
- राम मिलन, उपायुक्त उद्योग

गोंडा के धागे से चमकेगी बनारसी साड़ी

गोंडा। उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत जिले में औद्योगिक विकास की संभावना का खाका तैयार किया जा रहा है। तीन दिवसीय निवेशक सम्मेलन में उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं।

महिलाएं भी उद्यमी बन सपनों को साकार करने की संभावना तलाश रही हैं। परसपुर निवासी गीता सिंह ने दो करोड़ की लागत से सिल्क फैक्टरी डालने का प्रस्ताव के साथ बतौर निवेशक पंजीकरण किया है।
गोंडा से बने धागे से बनारस की मशहूर साड़ियों की चमक बढ़ाने का दावा कर रही हैं। बताया कि पूर्वांचल इको सिल्क फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड नाम से उनका एफपीएओ है। जिसकी मदद से वह रोजगार को आगे बढ़ाएंगी।

फैक्टरी में धागा व रील बनाकर उसकी रंगाई, बुनाई व फिनीसिंग का कार्य किया जाएगा। तीस मशीनें दिन-रात संचालित होंगी। जिसमें 100 लोगों रोजगार दिलाया जा सकेगा। फैक्टरी शुरू करने के लिए दो करोड़ के लागत की जरूरत है। बीस लाख वह खुद लगाएंगी। एक करोड़ रुपया नोयडा के एक टेक्सटाइल व्यवसायी उनके उद्यम में निवेश करेंगे। एफपीओ के सौ सदस्य थोड़ा-थोड़ा निवेश करेंगे। सरकार से सब्सिडी मिलने की भी उम्मीद है। गीता सिंह के पति शिवशंकर सिंह का रेशम उत्पाद व धागा निर्माण करने का अनुभव है। शिवशंकर सिंह के अनुसार वह गोंडा से बने धागे को बनारस में बिक्री करेंगे। बनारस सिल्क उत्पादों का बड़ा बाजार है। जहां अच्छी कीमत मिलेगी।

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