*राम कुमार यादव*



बहराइच:- पराली को खेत मे जलाने से खेती की उर्वरा शक्ति घट जाती है:- डॉ० के०एम सिंह



*एकल अभियान के आयोजित त्रिदिवसीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन*


*समापन के मुख्य अतिथि रहे कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी*



रुपईडीहा / भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र स्थित देव संस्कृति  ग्रामोदय इंटर कॉलेज रामपुर में एकल शिक्षण संस्थान के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन पर सीमावर्ती इलाकों में अशिक्षा को दूर करने के संकल्प के साथ मनाया गया।देव संस्कृति ग्रामोदय इंटर कॉलेज रामपुर रुपईडीहा में आयोजित समापन समारोह को संबोधित करते हुए  मुख्य अतिथि डॉ० के०एम सिंह प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा ने एकल शिक्षण संस्थान के शैक्षणिक क्षेत्र में कियें जा रहे है कार्यो की प्रसंशा करते हए इसे ग्रामीण क्षेत्र के लिए शैक्षणिक क्रांति बताया और शिक्षा क्षेत्र में किये जा रहे महत्वपूर्ण कार्य के अलावा कृषि आधारित स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने का आवाहन किया।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ० के०एम सिंह ने बताया कि , धान काटने के बाद पराली को खेत मे जलाने से खेती की उर्वरा शक्ति घट जाती है और इसका असर उत्पादकता पर भी पड़ता है।
उन्होंने रवि फसल बुवाई में रासायनिक उर्वरकों की उपयोगिता पर चर्चा भी किया कृषि गोदाम चर्दाजमोग के तरफ से किसानों को बीज  वितरण भी किया गया एवं एकल विद्यालय योजना प्रमुख अर्जुन प्रसाद ने योजना के अनुसार चलाए जा रहे कार्यक्रम के बारे में आख्या प्रस्तुत किया और जन सामान्य से एकल विद्यालय से जुड़ने का आवाहन किया।कार्यक्रम का संचालन पत्रकार समाजसेवी धीरेन्द्र शर्मा ने किया।महामना मालवीय मिशन के तत्वावधान में प्राचार्य शुभम श्रीवास्तव व समाजसेवी राज त्रिपाठी के नेतृत्व में  आचार्य को अंगवस्त्रम से सम्मानित किया गया  स्थानीय स्तर पर बढ़ रहे नशा प्रचलन को समाप्त करने के लिए उपस्थित लोगों का आवाहन किया।आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख रूप से समाजसेवी राजा बाबू गौस्वामी , संरक्षक प्राचार्य ब्रिज नरेश श्रीवास्तव , प्रवक्ता राजीव श्रीवास्तव सहित नवोदित प्रशिक्षित आचार्य व अभिभावक उपस्थित रहे।समापन अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा से जुड़ी कृषि वैज्ञानिक रेणु आर्या ने आदर्श पौषण के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
डॉ० हर्षिता ने बीज उपचार से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान किया तथा कृषि वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार ने गेहूं उत्पादकता के बारे में जानकारी प्रदान की और समूचे परिक्षेत्र में उन्नत किस्म के बीज व उर्वरक का उपयोग कर खेती किसानी को लाभकारी बनाने का आवाहन किया।

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