स्वच्छता की ओर उत्तर प्रदेश ने बढ़ाए कदम


-स्वच्छता सर्वेक्षण में अग्रणी बनने के लिए योगी सरकार उठा रही

महत्वपूर्ण कदम


-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से लेकर पिंक टॉयलेट का किया जा रहा

निर्माण


-लखनऊ, गाजियाबाद और प्रयागराज में बायो सीएनजी प्रोजेक्ट पर हो

रहा काम


लखनऊ, 29 अक्टूबर। 2014 में देश में पीएम मोदी के नेतृत्व में

सरकार बनने के बाद स्वच्छता को लेकर जो मुहिम शुरू की गई थी

वो अब निर्णायक मुकाम पर पहुंच रही है। विभिन्न प्रदेश खुद को

स्वच्छ बनाकर इस मुहिम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी स्वच्छता को लेकर सजग है।

मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर स्वच्छता के लिए शासन की ओर से

अभियान शुरू किए गए हैं। इन प्रयासों की मदद से सरकार ने

स्वच्छता सर्वेक्षण में खुद को अग्रणी स्थान पर लाने का लक्ष्य रखा

है। गौरतलब है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में उत्तर प्रदेश ओवरऑल

10वें, 2020 में 7वें और 2021 में छठवें स्थान पर रहा था। इस बार

प्रदेश को न सिर्फ अग्रणी लाने का लक्ष्य रखा गया है, बल्कि सभी


पैरामीटर्स पर प्रभावशाली प्रदर्शन भी सुनिश्चित करने के प्रयास किए

जाने हैं।


सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर गंभीर प्रयास

हाल ही में मुख्य सचिव के समक्ष हुई बैठक में प्रदेश में स्वच्छता को

लेकर किए जा रहे प्रयासों का प्रस्तुतिकरण किया गया। बताया गया

कि स्वच्छता को लेकर प्रदेश में कई कदम उठाए गए हैं। इनमें सबसे

महत्वपूर्ण काम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर किया जा रहा है।

प्रदेश में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की कुल 36 योजनाएं स्वीकृत की गई

हैं जिनमे 34 पर काम शुरू हो चुका है। इनकी कुल लागत 37042.40

लाख रुपए है। इसमें सरकार की ओर से 17808.28 लाख रुपए

अवमुक्त किया जा चुका है। इन योजनाओं के तहत 8 कार्य ऐसे हैं

जो 75 प्रतिशत से ज्यादा पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 10 योजनाओं का 50

प्रतिशत से अधिक कार्य किया जा चुका है। सिर्फ कासगंज और

भदोही में योजनाओं की अभी शुरुआत नहीं हुई है।


कूड़े के निस्तारण पर फोकस

सरकार ने कूड़े के निस्तारण के लिए भी कई कदम उठाए हैं।

खासतौर पर अर्बन लोकल बॉडीज (यूएलबी) में इसका खास ध्यान

रखा गया है। इसके तहत प्रदेश के 13259 वार्ड में कुल 2193 कूड़ा

प्रभावित क्षेत्र को चिन्हित किया गया है। इनमें से 1886 को अब तक

खत्म किया जा चुका है, जबकि 861 में ग्रीनरी और सफाई का कार्य

प्रगति पर है। इसके अलावा विभिन्न जनपदों में कूड़े को अलग करने


के लिए मटेरिअल रिकवरी फैसिलिटी भी शुरू की गई है। 734 अर्बन

लोकल बॉडीज में निर्माण के लिए 247.13 करोड़ रुपए का फंड जारी

किया जा चुका है। 510 यूएलबी में मशीनरी के लिए सरकार 86.57

करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। प्रदेश में फिलहाल 65 एमआरएफ

क्रियाशील हैं जबकि 404 एमआरएफ जल्द शुरू होने वाले हैं। वहीं

112 का निर्माण कार्य चल रहा है।


हाईटेक उपायों पर जोर

कूड़ा निस्तारण के हाईटेक उपायों के तहत कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन

प्रोसेसिंग प्लांट्स को मंजूरी दी गयी है। 9 म्युनिसिपल कारपोरेशन में

कुल 7 के डीपीआर को एसएचपीसी द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है।

इनके निर्माण के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं या प्रगति पर हैं।

इसके अलावा प्रयागराज, लखनऊ एवं गाज़ियाबाद में बायो सीएनजी

प्लांट का निर्माण हो रहा है। प्रयागराज प्लांट की कुल क्षमता 200

टन पर डे (टीपीडी) है जबकि लखनऊ और गाज़ियाबाद की क्षमता

एक समान 300 टीपीडी है।


कई लक्ष्यों की हुई पूर्ति

योगी सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद स्वच्छता को

लेकर 6 माह के जो लक्ष्य रखे थे वो तकरीबन पूरे हो चुके हैं। इनमें

651 नगरीय निकायों को ओडीएफ+ प्रमाणीकरण हेतु थर्ड पार्टी

इंस्पेक्शन अहम था, जिसे भारत सरकार द्वारा नामित थर्ड पार्टी

आईक्यूवीआईए द्वारा ओरण कर लिया गया। वहीं 8 निकायों में 1190


टीपीडी सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट का सिविल निर्माण भी 80-85

प्रतिशत पूर्ण किया जा चुका है। साथ ही नवसृजित 83 नगरीय

निकायों में पिंक शौंचालय, सार्वजनिक शौंचालय, यूरिनल का निर्माण

हो चुका है।

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