पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई)  के सक्रिय सदस्यों की कुंडली खंगालने के साथ ही उनके मूवमेंट पर एटीएस वाराणसी यूनिट ने नजर गड़ा दी है। बनारस समेत पूर्वांचल के अन्य जिलों में एटीएस की पैनी नजर है। खास कर आजमगढ़ और मऊ में एटीएस ने अपने लोकल इंटेलिजेंस को अलर्ट किया।पहले से ही आजमगढ़ के सरायमीर सहित अन्य क्षेत्रों में पीएफआई की सक्रियता की इनपुट मिलते रहे हैं। गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही, चंदौली समेत आसपास जिलों में संगठन के सदस्यों के बारे में जानकारियां एकत्रित की जा रही हैं। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार वाराणसी में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश मिले हैं, ज्ञानवापी प्रकरण मुख्य कारण है।पांच साल पहले छित्तनपुरा में पीएफआई करने वाली थी सभा
पीएफआई की जड़ें वाराणसी समेत आसपास जिलों में फैल चुकी हैं। वर्ष 2017 में पीएफआई के लोकल यूनिट ने मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र आदमपुर के छित्तनपुरा में सभा करने की तैयारी थी। पुलिस ने तुरंत आयोजकों के संबंध में जानकारी जुटाई और अधिकारियों को सूचित किया। पूरे प्रकरण के संबंध में रिपोर्ट तैयार कर शासन को भी भेजी गई।

पुलिस सूत्रों के अनुसार इसके बाद से पीएफआई आदमपुर, जैतपुरा, सरैया, पीलीकोठी, बड़ी बाजार, बहेलिया टोला, सुग्गा गढ़ही, बजरडीहा, मदनपुरा रेवड़ी तालाब और दालमंडी सहित आसपास के इलाकों में नए लोगों को जोड़ने का काम करने में लग गई थी।

तीन संदिग्धों से 20 घंटे से अधिक पूछताछ

वाराणसी के आदमपुर और जैतपुरा से उठाए गए पीएफआई के संदिग्ध तीन कार्यकर्ताओं से एनआईए और एटीएस की टीम ने 20 घंटे से अधिक देर तक पूछताछ की। देर रात तीनों को छोड़ा गया। टीम ने इस दौरान उनके मोबाइल कॉल डिटेल और उनके परिचितों के बारे में जानकारी खंगाली।

संतुष्ट होने के बाद तीनों को छोड़ा गया। देर रात ही टीम सिगरा के लल्लापुरा में भी धमकी थी। हालांकि यहां से किसी को उठाया नहीं गया। एनआईए की टीम ने तीनों परिवार के लोगों से उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर लेने के साथ ही रिश्तेदारों के बारे में जानकारियां जुटाई।

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