*अस्पताल में मरीजो के लिए खुले आम   लिखी जा रही बाहर की दवा व जांच*

बलरामपुर। हिन्दीसंवाद न्यूज़




संयुक्त जिला चिकित्सालय में बाहर की जांच व दवाओं के नाम पर मरीजों का शोषण किया जा रहा है। आरोप है कि तमाम हिदायतों के बावजूद चिकित्सकों की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हो रहा है। बाहर जांच व दवाओं के नाम पर मरीजों को भारी रकम अदा करनी पड़ती है
। अस्पताल आए मरीज व तीमारदारों का कहना है कि कहने को तो अस्पताल में जांच व दवाएं नि:शुल्क हैं, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। लोगों का आरोप है कि कमीशन के चक्कर में चिकित्सक बाहर की जांच व दवाएं लिखते हैं। अस्पताल प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है।

हिन्दुस्तान ने गुरुवार को संयुक्त जिला अस्पताल का जायजा लिया। दिन में 12 बजे के करीब अस्पताल के सर्जन व फिजीशियन अपने कक्ष में नहीं थे। मरीज उनका इंतजार कर रहे थे। मरीजों ने बताया कि संविदा पर तैनात कुछ महिला चिकित्सकों द्वारा धड़ल्ले से बाहर की दवाएं व जांच लिखी जा रही हैं। अस्पताल में संविदा पर तैनात एक महिला सर्जन पर मरीजों ने यह भी आरोप लगाया है कि वह अस्पताल की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को सही नहीं मानती हैं। अधिकतर महिलाओं को वह बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देती हैं। आरोप है कि सर्जन बाकायदा अल्ट्रासाउंड सेंटर का नाम भी बताती हैं। यही हाल पुरुष चिकित्सकों का भी है। आरोप है कि ईएमओ भी बाहर की खूब दवाएं व जांचें लिखते हैं। अस्पताल आए अजबनगर निवासी संजीव सिंह ने बताया कि उन्होंने अस्पताल के चिकित्सक डा. मयंक श्रीवास्तव को अपनी पुत्री को दिखाया था। उन्होंने अधिकतर दवाएं व जांच बाहर की लिख दी। आरोप है कि डा. ने कहा कि ठीक होना है तो बाहर की दवाएं लो। इसी तरह से मानापार निवासी शकीला, गोंदीपुर निवासी अंशू श्रीवास्तव व बांसेडीला निवासी पवन शुक्ला ने बाहर की लिखी जांच व पर्चा दिखाते हुए बताया कि उन्हें सभी दवाएं महंगी दामों पर बाहर से खरीदनी पड़ी। मरीजों ने बताया कि अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर और निजी पैथॉलाजी सेंटरों का जाल बिछा हुआ है। इन सब से चिकित्सकों की सांठ-गांठ होती है। मरीज बोले कि उन्हें मजबूरी में बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। अगर उन्हें दवा व जांच की सुविधाएं अस्पताल में मिले तो उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी। संयुक्त जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब 350-400 मरीज देखे जाते हैं। 
एक समय था कि जब अस्पताल की ओपीडी में 800 से अधिक मरीज देखे जाते थे। अब अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की संख्या आधी हो गई है, जबकि यह जिले का प्रमुख अस्पताल है। इससे ज्यादा तो नगर में स्थित जिला मेमोरियल अस्पताल में मरीजों की भीड़ रहती है।
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बलरामपुर

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