उतरौला (बलरामपुर)
गुरुवार को मोहर्रम तीजा के मौके पर उतरौला की शिया सहित सुन्नी महिलाएं शाम करीब पांच बजे अपने घरों से हाथों में जलता हुआ दीपक या मोमबत्ती लिए पैदल कर्बला तक पहुंचेगी।
 मोहर्रम तीजा को शाम से देर रात तक महिलाओं से कर्बला खचाखच भरा रहता है। हर साल लगभग चार से पांच हजार महिलाएं कर्बला पहुंचकर अपनी परंपरा का निर्वहन करती हैं। घर से कर्बला तक मोमबत्ती बुझने ना पाए इसके लिए बहुत ही एहतियात के साथ सड़क पर धीमी धीमी कदमों से आगे बढ़ती रहती है। मान्यता के अनुसार घर से कर्बला तक के रास्ते में अगर कहीं, किसी भी महिला का चिराग बुझ गया तो यह उसके लिए इस बार उसकी मन्नत पूरी ना होने का संकेत होता है। कर्बला पहुंचकर अपने मन्नत व मुराद के मुताबिक कर्बला में बने चबूतरे पर अपना दीया अथवा मोमबत्ती लगाकर रोशनी करेंगी। साथ ही चबूतरे के गार (गड्ढे) में नीचे तक अपना हाथ डालेगी। गार गड्ढे में जो भी वस्तु हाथ में आएगी उसे चुपके से अपने पास रख कर घर तक लाएंगी। पुरानी मान्यता के अनुसार गड्ढे में मिलने वाले वस्तु के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं देंगी।
महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर रास्ते व कर्बला पर महिला व पुरुष आरक्षी तैनात रहते हैं।
असग़र अली
उतरौला

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