मथुरा ।।बलदेव 1857 की क्रांति के योद्धा बाबा शाहमल तोमर को उनके बलिदान दिवस पर  बलदेव में किसानों ने श्रदांजलि अर्पित की। श्रदांजलि देते हुए किसान नेता एवं पूर्व प्रदेश महासचिव भाकियू रामवीर सिंह तोमर ने कहा कि बाबा शाहमल तोमर 1857 की क्रांति के असली नायक थे जिन्होंने अपनी शहादत देकर जन्म भूमि की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि शहीद मंगल पांडे की तरह बाबा शाहमल तोमर ने भी अंग्रेजों का आधिपत्य मानने से इनकार कर दिया था। श्री तोमर ने कहा कि बागपत के बिजरोल गांव के एक किसान परिवार में जन्मे शाहमल तोमर ने आजादी के समय अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था। उन्होंने कहा कि बाबा शाहमल तोमर ने अंग्रेजों को मालगुजारी देने से इनकार कर दिया था,  इसके बाद उन्होंने बड़ौत बागपत खेकड़ा शामली तक अपना राज्य स्थापित कर लिया था। मेरठ छावनी से दिल्ली को जाने वाली रसद पर रोक लगाते हुए उन्होंने बागपत में यमुना नदी पर बनाये गये पुल को बारूद से उड़ा दिया था।बड़ौत तहसील को लूट कर उन्होंने दिल्ली और आसपास के इलाके में क्रांतिकारियों को रसद और सहायता पहुंचाने की रूपरेखा तैयार की थी। अंग्रेजी फौज का नेतृत्व कर रहे डनलप को बाबा शाहमल तोमर के भतीजे भगत  ने दौड़ा-दौड़ा कर मार डाला था। खाकी रिजाले यानी अंग्रेजी फौज में शाहमल तोमर की दहशत इस कदर बैठी थी कि अंग्रेज सैनिक मेरठ परिक्षेत्र छोड़कर भागने लगी थी। मुरादनगर के कई त्यागी व जाट बाहुल्य गांव अंग्रेजों ने वागी घोषित कर दिए थे। 21 जुलाई 1857 को बाबा शाहमल तोमर और अंग्रेजी सेना का आमना सामना हो गया, यही बाबा अकेले अपने अंगरक्षक के साथ अंग्रेजों से घिर गये और उनकी पगड़ी खुलकर घोड़े के पैरों में फंस गई। मौका पाते ही अंग्रेजों ने उनकी हत्या कर दी। इतिहासकार बताते के अंग्रेज बाबा शाहमल तोमर के मृत शरीर को उठाने की हिम्मत तक नहीं जुटा सके थे। जिस कारण अंग्रेजों ने अपने ही सैनिकों को गोलियों से भून दिया था।  बाबा श्याम की शहादत पर उनको श्रद्धांजलि देने वालों में कुंतिभोज रावत, डॉ रमेश सिकरवार, हाकिम सिंह, हरिओम चौधरी, पुष्पेंद्र सिंह, राहुल पांडेय, रविश कुमार, अकबर खान, देवेंद्र सिंह (विरोना), विपिन कुमार आदि रहे।

राजकुमार गुप्ता 

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