मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ: 14 जून, 2022

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

‘मेडिकल डिवाइस पार्क’ में स्थापित होने वाली इकाईयों को दिये जाने वाले प्रोत्साहन के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश फार्मास्यूटिकल उद्योग नीति-2018 (यथासंशोधित) के प्रस्तर-12.5 के तहत केन्द्र सरकार की योजना के अन्तर्गत स्वीकृत ‘मेडिकल डिवाइस पार्क’ में स्थापित होने वाली इकाईयों को दिये जाने वाले प्रोत्साहन सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इसके अन्तर्गत ‘मेडिकल डिवाइस पार्क’ में स्थापित होने वाली इकाईयों को पूंजीगत ब्याज सब्सिडी, एस0जी0एस0टी0 प्रतिपूर्ति, एयर कार्गाे हैण्डलिंग चार्ज और फ्रेट इन्सेण्टिव, ई0पी0एफ0 प्रतिपूर्ति, शून्य अपशिष्ट प्रोत्साहन, कौशल विकास, पेटेण्ट फाइलिंग शुल्क प्रतिपूर्ति, गुणवत्ता प्रमाणन प्रतिपूर्ति, लैण्ड लीज दर, उपयोगिता शुल्क में छूट, स्टाम्प ड्यूटी में छूट एवं विपणन सहायता आदि प्रोत्साहन प्रदान किये जायेंगे।
मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से मेडिकल डिवाइस विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा एवं इस क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी। बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा। परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
ज्ञातव्य है कि जनपद गौतमबुद्धनगर के यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 350 एकड़ क्षेत्रफल में मेडिकल डिवाइस पार्क परियोजना प्रस्तावित है। यह पार्क यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर-28 में स्थापित किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत 439.40 करोड़ रुपये (भूमि की लागत को छोड़कर) होगी। यह मेडिकल डिवाइस पार्क प्रदेश का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क होगा।
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प्रदेश में बीहड़/बंजर/जल भराव क्षेत्रों के सुधार एवं उपचार हेतु पं0 दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना (वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-27 तक) के क्रियान्वयन का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में बीहड़/बंजर/जल भराव क्षेत्रों के सुधार एवं उपचार हेतु पं0 दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना (वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-27 तक) के क्रियान्वयन का निर्णय लिया है। योजना का संचालन प्रदेश के समस्त 74 जनपदों (जनपद गौतमबुद्धनगर को छोड़कर) प्रस्तावित है। मंत्रिपरिषद ने योजना में किसी प्रकार के परिवर्तन/संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
योजनान्तर्गत चयनित परियोजना क्षेत्र के समस्त कृषक एवं कृषक मजदूर योजना के लाभार्थी के रूप में प्रस्तावित हैं। परियोजना क्षेत्र के चयन में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दिया जाना प्रस्तावित है, जहां लघु-सीमान्त कृषकों, अनुसूचित जाति व जनजाति कृषकों एवं भू-आवंटी की अधिकता होगी।
योजनान्तर्गत चयनित परियोजना क्षेत्र में शत प्रतिशत अनुदान पर बीहड़/बंजर भूमि सुधार तथा बीहड़/बंजर क्षेत्र सुधार का कार्य राज्य सेक्टर से एवं जलभराव क्षेत्र के उपचार का कार्य मनरेगा से प्रस्तावित है। परियोजना क्षेत्र में आवश्यकतानुसार कृषि वानिकी/उद्यानीकरण के साथ-साथ उपचारित क्षेत्र में 50 प्रतिशत अनुदान पर फसलोत्पादन कार्यक्रम प्रस्तावित है। योजनान्तर्गत 05 वर्षाें में कुल 602.68 करोड़ रुपये (501.59 करोड़ रुपये राज्य सेक्टर से 51.25 करोड़ रुपये मनरेगा से एवं 49.84 करोड़ रुपये कृषक अंश) के व्यय सम्भावित हैं। योजनान्तर्गत 2,19,250 लाख हेक्टेयर समस्याग्रस्त बीहड़/बंजर भूमि सुधार तथा जलभराव क्षेत्र का उपचार किया जाएगा।
प्रतिवर्ष लगभग 40 से 50 हजार हे0 कृषि उत्पादक भूमि बढ़ते हुए शहरीकरण, औद्योगीकरण तथा एक्सप्रेस-वे/हाई-वे निर्माण के कारण गैर कृषि उपयोग में परिवर्तित हो रही है, जबकि सतत् बढ़ती हुई जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु कृषि उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि आवश्यक है। इस हेतु प्रदेश में बीहड़/बंजर/जलभराव क्षेत्रों के सुधार एवं उपचार हेतु प्रश्नगत योजना प्रस्तावित है।
वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक इन समस्याग्रस्त क्षेत्रों के उपचार हेतु पं0 दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना 05 वर्ष के लिये संचालित की गयी, जिसके अन्तर्गत 05 वर्षों में 157190 हे0 क्षेत्रफल भूमि को कृषि योग्य एवं अधिक उपजाऊ बनाया गया है। इस योजना में 332.00 करोड़ रुपये का व्यय हुआ। सर्वेक्षण के आधार पर परियोजना क्षेत्रों में विभिन्न फसलों में प्रति हे0 औसतन 8.58 कु० की वृद्धि पायी गयी है। साथ ही उपचारित क्षेत्र के कृषकों की आय में 48 प्रतिशत की वृद्धि तथा भू-जल स्तर में 1.42 मीटर की वृद्धि दर्ज की गयी है। इस हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में बीहड़, बंजर एवं जल भराव क्षेत्रों को सुधारने के साथ-साथ कृषि मजदूरों की आवंटित भूमि का उपचार कराने तथा उन्हें आजीविका उपलब्ध कराने हेतु पं0 दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना का क्रियान्वयन वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक प्रस्तावित है।
योजना के संचालन से समस्याग्रस्त भूमि के उपचार के उपरान्त कृषि उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि होगी। इससेे कृषकों की आय एवं भू जल स्तर में भी वृद्धि होगी। योजना के संचालन से 05 वर्षाें में 02 करोड़ मानव दिवस का सृजन सम्भावित है।
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765 के0वी0 उपकेन्द्र मेरठ से सम्बन्धित 400 के0वी0 एवं 220 के0वी0 लाइनों की लागत के पुनरीक्षण के सम्बन्ध में प्रस्ताव को अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने 765 के0वी0 उपकेन्द्र मेरठ से सम्बन्धित 400 के0वी0 एवं 220 के0वी0 लाइनों की लागत के पुनरीक्षण के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इसके अन्तर्गत 765 के0वी0 उपकेन्द्र मेरठ से सम्बन्धित 400 के0वी0 डी0सी0 मेरठ शामली लाइन का टी0बी0सी0बी0 पद्धति से निर्माण की कुल लागत 164.53 करोड़ रुपये एवं 765 के0वी0 उपकेन्द्र मेरठ से सम्बन्धित 220 के0वी0 डी0सी0 मेरठ-जानसठ लाइन एवं सम्बन्धित ‘हाइब्रिड बे’ तथा 220 के0वी0 डी0सी0 मेरठ-अमरोहा लाइन एवं सम्बन्धित ‘हाइब्रिड बे’ का निर्माण ई0पी0सी0 पद्धति से कराने तथा इस कार्य की कुल लागत 141.37 करोड़ रुपये का वित्त पोषण 70 प्रतिशत वित्तीय संस्थाओं से ऋण एवं शेष 30 प्रतिशत शासकीय अंश पूंजी से कराने का निर्णय लिया गया है।
कार्यदायी संस्था की नियुक्ति के उपरान्त 18 माह में कार्य पूर्ण किया जाना सम्भावित है। 765 के0वी0 उपकेन्द्र मेरठ से सम्बन्धित 400 के0वी0 डी0सी0 मेरठ-शामली लाइन के निर्माण एवं 22 के0वी0 डी0सी0 मेरठ-जानसठ लाइन के निर्माण से शामली, जानसठ तथा अमरोहा क्षेत्र के भविष्यगत भार की पूर्ति तथा सुदृढ़ प्राथमिक स्रोत की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। जनपद शामली, जानसठ तथा अमरोहा क्षेत्र में सुचारू एवं सुदृढ़ विद्युत आपूर्ति की जा सकेगी।
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उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक द्वारा नाबार्ड से ऋण आहरित करने हेतु शासन द्वारा नाबार्ड के पक्ष में वर्ष 2022-23 के लिए 1000 करोड़ रु0 की शासकीय गारण्टी स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने वर्ष 2022-23 (दिनांक 01 जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023 तक) हेतु उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक को ओवर ऑल गारण्टी की सीमा को कतिपय शर्ताें एवं प्रतिबन्धों के अधीन स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0, लखनऊ के ऋण अथवा अन्य प्रकार से पुनर्वित्त आहरण के मूलधन के प्रतिदान तथा उनकी परिपक्वता भुगतान तिथि तक ब्याज के भुगतान के लिए नाबार्ड के पक्ष में दी जाने वाली गारण्टी की अधिकतम सीमा वर्ष 2022-23 (01 जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023 तक) के लिए 01 हजार करोड़ रुपये निर्धारित की गयी है। साथ ही, निबन्धक सहकारी समितियां उत्तर प्रदेश को पूर्व निर्धारित शर्ताें पर वर्ष 2022-23 (01 जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023 तक) के लिए 500 करोड़ रुपये की सीमा तक ऋण अथवा अन्य प्रकार से पुनर्वित्त आहरण की स्वीकृति देने का अधिकार प्रदान किया गया है।
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0, लखनऊ द्वारा कृषकों को दीर्घकालीन ऋण प्रदान करके उनकी सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान किया जाता है। ऋण वितरण हेतु बैंक के पास स्वयं के निजी संसाधन पर्याप्त न होने के कारण नाबार्ड से ऋण के रूप में धनराशि प्राप्त करने हेतु शासन द्वारा प्रत्याभूति प्रदान की जाती है। नाबार्ड द्वारा बैंक को यह वित्तीयन प्रदान किये जाने से पूर्व उत्तर प्रदेश शासन से शासकीय गारण्टी निर्गत किये जाने की अपेक्षा की जाती है।
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 द्वारा सभी विनियोजकों को भुगतान किया जा रहा है। बैंक पर कोई बकाया नहीं है। प्रस्तावित निर्णय से बैंक को नाबार्ड से पुनर्वित्त (रिफाइनेंस) प्राप्त होगा और बैंक द्वारा प्रदेश के कृषकों को दीर्घ अवधि का कृषि व अन्य कार्याें हेतु ऋण प्रदान किया जाएगा, जिससे कृषकों द्वारा परिसम्पत्तियों का सृजन करने से उनकी आर्थिक दशा में सुधार होने के साथ-साथ कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी एवं प्रदेश के कृषकों विशेष तौर से लघु व सीमान्त कृषकों को सीधा लाभ होगा।
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पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउण्डेशन, उ0प्र0 के गठन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम-1972 (यथा संशोधित, 2006) की धारा-38(x) में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत पीलीभीत टाइगर रिजर्व फाउण्डेशन का संगम ज्ञापन एवं पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउण्डेशन, उत्तर प्रदेश की नियमावली के अनुरूप पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउण्डेशन का गठन किये जाने एवं फाउण्डेशन के संबंध में अन्य निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने का निर्णय लिया है।
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम-1972 (यथा संशोधित, 2006) की धारा-38(x) के प्राविधानों के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य के भीतर व्याघ्र और जैव विविधता के संरक्षण एवं उसके प्रबंधन के लिये बाघ संरक्षण फाउण्डेशन सम्बन्धित टाइगर रिजर्व हेतु स्थापित किया जाना आवश्यक है। पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउण्डेशन का गठन भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमति के आधार पर एक ‘समिति’ के रूप में किया जा रहा है।
इस फाउण्डेशन का उद्देश्य स्वीकृत टाइगर कन्जर्वेशन प्लान के अनुसार विभिन्न स्टेक होल्डर की सहभागिता से पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रबन्धन को बाघ एवं जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करना होगा। उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समिति की गतिविधियाँ कार्यदायी संस्था तथा उसके स्टाफ द्वारा संचालित होगी अथवा किसी संस्था अभिकरण या कार्यदायी संस्था के सहयोग से व्यक्तिगत लोगों द्वारा प्रायोजित तथा सहायतित होगी।
बाघ संरक्षण हेतु समिति के मुख्य उद्देश्य, पीलीभीत टाइगर रिजर्व तथा निकटवर्ती भू क्षेत्र में पारिस्थितिकीय, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास को प्रोत्साहित करना; पीलीभीत टाइगर रिजर्व तथा निकटवर्ती क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित रखने में सहयोग प्रदान करना; ईको-पर्यटन, ईको-विकास, अनुसंधान, पर्यावरणीय शिक्षा, प्रशिक्षण, प्रबंधन तथा सलाह देने जैसे क्षेत्र में कार्यदायी संस्था का सहयोग प्रदान करने के लिए सहयोग करना इत्यादि होंगे।
पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउण्डेशन के नियमों और विनियमों के अन्तर्गत प्रबन्ध के दायित्व निर्वाहन हेतु प्रभारी मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता में एक शासी निकाय एवं फाउण्डेशन के प्रतिदिन के प्रबन्ध को संचालित करने हेतु एक कार्यकारिणी समिति का गठन किया जायेगा।
फाउण्डेशन के कार्यों के संचालन हेतु कोष के लिए स्रोत के तहत पर्यटकों के प्रवेश शुल्क से प्राप्त धनराशि तथा अन्य सेवाओं से प्राप्त शुल्क; राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से प्रोजेक्ट विशेष से प्राप्त सहयोग आदि होंगे।
पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउण्डेशन के गठन से पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं निकटवर्ती क्षेत्र में पारिस्थितिकी, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास होगा। पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं निकटवर्ती क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण को बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकेगा।
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उ0प्र0 विधान सभा एवं विधान परिषद् के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से कराने के प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद् के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से कराने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश विधान सभा/विधान परिषद का वर्तमान सत्र 23 मई, 2022 को आहूत किया गया था, जिसमें विधान सभा एवं विधान परिषद् की बैठकें 31 मई, 2022 के उपवेशन की समाप्ति के पश्चात् अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गयी हैं। उक्त सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद् के कुल 08-08 उपवेशन हुए।
वर्तमान सत्र वर्ष 2022 का प्रथम सत्र होने के कारण 23 मई, 2022 को विधान मण्डल के एक साथ समवेत दोनों सदनों के समक्ष राज्यपाल जी का अभिभाषण प्रस्तुत हुआ। इस सत्र में वित्तीय वर्ष 2022-2023 का आय-व्ययक विधान मण्डल में प्रस्तुत किया गया तथा इससे संबंधित विनियोग विधेयक दोनों सदनों से पारित कराया गया। इसके अतिरिक्त, विधान मण्डल के वर्तमान सत्र में 05 अन्य विधेयक विधान सभा में पुरःस्थापित कराये गये, जो दोनों सदनों से पारित हो गये हैं।
वर्तमान में विधान मण्डल से कोई कार्य कराया जाना शेष नहीं है। इसलिए सत्रावसान कराने का निर्णय लिया गया है।
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भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय, (सम्प्रति भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय) लखनऊ के कार्मिकों को सेवानैवृत्तिक देयों-पेंशन आदि के निर्वहन के संबंध में

मंत्रिपरिषद ने भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय, (सम्प्रति भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय) लखनऊ की आय नगण्य होने के दृष्टिगत भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय, लखनऊ के कार्मिकों को सेवानैवृत्तिक देयों-पेंशन आदि के भुगतान के संबंध में शासनादेश दिनांक 30 नवम्बर, 2009 तथा शासनादेश दिनांक 27 दिसम्बर, 2010 को संशोधित कर दिनांक 18.04.2001 के पूर्व पूर्ण शासकीय स्वरूप में कार्यरत कार्मिकों के पेंशनरी अंशदान का वहन राज्य सरकार द्वारा किये जाने से सम्बन्धित नवीन शासनादेश का प्रख्यापन किये जाने तथा ऐसे कार्मिकों के सेवानैवृत्तिक देयों पेंशन आदि के भुगतान हेतु आवश्यकतानुसार 4,22,38,995 (चार करोड़ बाइस लाख अड़तिस हजार नौ सौ पिचानवे रुपये मात्र) रुपये की एकमुश्त धनराशि वित्त विभाग द्वारा उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय, लखनऊ संस्कृति विभाग के नियंत्रणाधीन पूर्ण रूप से शासकीय इकाई के रूप में गतिशील थी। शासनादेश संख्या-274/चार-2001-11(12)/83 दिनांक 18 अप्रैल, 2001 द्वारा भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय, लखनऊ को डीम्ड विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया।
भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व में कार्यरत ऐसे शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कार्मिक, जो वर्ष 2001 में विकल्प देकर भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे, उन्हें पूर्ण सरकारी सेवको की भाँति सेवानैवृत्तिक देयों पेंशन आदि का लाभ अनुमन्य था। शासनादेश दिनांक 30 नवम्बर, 2009 तथा शासनादेश दिनांक 27 दिसम्बर, 2010 द्वारा यह व्यवस्था की गयी थी कि भातखण्डे डीम्ड विश्वविद्यालय में वर्ष 2001 के पूर्व के कार्मिकों को पेंशन आदि की सुविधा तो अनुमन्य रहेगी, परन्तु इसका अंशदान भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय  द्वारा अपनी आय के स्रोतों से वहन किया जायेगा। भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय की आय नगण्य होने के कारण भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय, (सम्प्रति भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय) लखनऊ वर्ष 2001 के पूर्व से कार्यरत कार्मिकों का पेंशनरी अंशदान जमा करने में सक्षम नहीं है।
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सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिएस्थानान्तरण सत्र वर्ष-2022-23 हेतु नीति अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए स्थानान्तरण सत्र वर्ष-2022-23 हेतु नीति को अनुमोदित कर दिया है।
यह स्थानान्तरण नीति केवल वर्ष 2022-23 के लिए है। स्थानान्तरण दिनांक 30 जून, 2022 तक किये जा सकेंगे। समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के अधिकारियों द्वारा जनपद में 03 वर्ष तथा मण्डल में 07 वर्ष पूर्ण किये जाने पर स्थानान्तरण की व्यवस्था की गयी है।
समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के स्थानान्तरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों की संख्या के सापेक्ष अधिकतम 20 प्रतिशत एवं समूह ‘ग’ एवं ‘घ’ के संवर्गवार कार्यरत कार्मिकों की संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत तक की सीमा तक किये जा सकेंगे। समूह ‘ख’ एवं ‘ग’ के कार्मिकों के स्थानान्तरण यथासंभव मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर किये जाने की व्यवस्था की गयी है। समूह ‘ग’ के कार्मिकों के पटल परिवर्तन/क्षेत्र परिवर्तन विषयक शासनादेश दिनांक 13 मई, 2022 को कड़ाई से अनुपालन किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
भारत सरकार द्वारा घोषित आकांक्षी जिला योजना से सम्बन्धित जनपदों एवं बुन्देलखण्ड के समस्त जनपदों में तैनाती करके संतृप्तीकरण किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
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पुराने बकाया कर से आच्छादित वाहनों पर देय शास्ति में शत-प्रतिशत छूट प्रदान किये जाने हेतु ‘एकमुश्त शास्ति समाधान योजना-2022’ के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1997 (अधिनियम संख्या-21/1997) की धारा-4 एवं 9 सपठित उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान नियमावली, 1998 के नियम-24 के अन्तर्गत विभिन्न श्रेणी के व्यावसायिक वाहनों पर आदेश अधिसूचित होने की तिथि तक पुराने देय बकायों पर देय शास्तियों को शत-प्रतिशत छूट प्रदान किये जाने हेतु व्यावसायिक वाहनों के लिए ‘एकमुश्त शास्ति समाधान योजना, 2022’ लागू किये जाने के लिए प्रस्तावित अधिसूचना आदेश को अनुमोदित कर दिया है।
इसके अन्तर्गत 01 अप्रैल, 2020 को अथवा उसके पूर्व रजिस्ट्रीकृत परिवहन यानों पर संदेह विलम्ब कर संदाय हेतु शास्ति के संदाय में अधिसूचना आदेश के गजट में अधिसूचित किये जाने की दिनांक से 05 माह तक के लिए कतिपय निबन्धन एवं शर्ताें के अधीन छूट प्रदान की जाएगी।
प्रदेश में निजी वाहनों से एक बारीय कर जमा कराने की व्यवस्था प्राविधानित होने के फलस्वरूप निजी वाहनों पर बकाया कर की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है। इसके विपरीत विभिन्न श्रेणी के व्यावसायिक वाहनों के लिए कर जमा कराने की भिन्न-भिन्न व्यवस्था (यथा-बसों का कर मासिक, चार पहिया टैक्सियों का त्रैमासिक, तिपहिया यात्री/माल वाहनों का वार्षिक एवं माल वाहनों का त्रैमासिक कर जमा होता है) के फलस्वरूप कर जमा कराने की बारम्बारता की स्थिति उत्पन्न होने के कारण उक्त व्यावसायिक वाहनों पर कर बकाया की स्थिति उत्पन्न होती रहती है।
इसके अतिरिक्त, व्यावसायिक वाहनों की आयुसीमा निर्धारण में एकरूपता नहीं होने के कारण ऐसे व्यावसायिक वाहन जब तक संचालन योग्य रहते हैं, तब तक संचालित होते रहते हैं। ज्यों-ज्यों वाहन पुराने होते जाते हैं, उनमें वियर-टियर बढ़ता जाता है तथा वाहन के रख-रखाव में भी वृद्धि होती रहती है। सीमित आय में वाहन स्वामी की अन्य प्राथमिकताओं के कारण कर जमा कराने की प्राथमिकता गौण हो जाती है और वाहन पर ‘कर-बकाया’ की स्थिति बनती जाती है।
वर्तमान स्थिति यह है कि वाहनों की आयु अधिक हो जाने, अस्तित्वहीन हो जाने, संचालन योग्य न रह जाने, दुर्घटनाग्रस्त हो जाने आदि कारणों के बावजूद भी वाहनों का पंजीकरण कार्यालय में निरस्त न किये जाने से कार्यालय के कम्प्यूटर अभिलेखों में ऐसे वाहन अस्तित्व में प्रदर्शित हो रहे हैं और उनके प्रति प्रायः ‘फाल्स-बकाया’ स्वतः सृजित हो रहा है।
बकाया कर से आच्छादित वाहन स्वामियों के हित एवं विभाग के राजस्व-संग्रहण में वृद्धि के दृष्टिगत एक ऐसा आदेश लाए जाने का निर्णय लिया गया, जिसमें इसके अधिसूचित होने की तिथि तक देय बकाया कर के सापेक्ष सृजित शास्ति पर शत-प्रतिशत छूट प्रदान की जाए। इसके फलस्वरूप बकाया-कर की ऐसी धनराशि, जो अधिक शास्ति आरोपण के कारण जमा नहीं हो पा रही है, का संग्रहण प्रोत्साहित हो सके।
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