गोण्डा/रुपईडीह ब्लॉक के सेवरहा ग्राम निवासी बजरंगी शुक्ला के यहां चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह महायज्ञ के सातवें दिन भगवान श्री कृष्ण और श्रीदामा के अद्वितीय प्रेम के चरित्र को प्रस्तुत करते हुए समाज को ऐसे चरित्र अपनाने की बात कथावाचक पंडित वंशराज मिश्र वेदाचार्य जी ने कही।
    कथा के सातवें दिन योगेश्वर श्री कृष्ण चंद्र और उनके बाल सखा के चरित्र को सजीव प्रस्तुत किया। कथा के दौरान पंडित वंशराज मिश्र जी ने कहा कि हमे श्री श्रीदामा जी के चरित्र से ये सीखना चाहिए कि मित्र के साथ धोखा नही करना चाहिए चाहे जैसी दशा क्यों न आ जाये।और यह भी सीखना चाहिए कि धैर्य श्रीदामा की तरह होना चाहिए लाख आपके पास अभाव हो आप कष्ट में जीवन बिता रहे हैं किसीसे कुछ नही मांगना चहिय क्योंकि श्रीदामा जी राजा श्रीकृष्ण चंद्र जी भगवान जी के पास कुछ मांगने नही गए जबकि उन्हें पता था कि उनका मित्र एक नृप है जो जान जयेगा तो धन से घर भर देगा ।
वही योगेश्वर श्रीकृष्ण चंद्र जी से यह सीखना चाहिए कि भले आप राजा हो जाएं य आपके दिन बहुत अच्छे आ जाएं अपने पुराने लोगों मो भूलना नही चाहिए उनको देख कर मुह नही मोड़ना चाहिए।
श्री कृष्ण जी ने यह दिखाया कि पुराना बाल सखा उनके महल पंहुचा तो वे एक राजा होते हुए भी श्रीदामा के लिए महल की गद्दी से नंगे पांव  दौड़े और मित्र को सिंहासन पर बिठाकर अपने अश्रुओं से पैर धोए और बिना मांगे ही अपार धन वैभव देकर मित्र की स्थिति को सुधारने का कार्य किया ।
कार्यक्रम के दौरान बाहर से आये श्रीदामा का चरित्र निभाकर कथा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।



उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिन्दीसंवाद न्यूज़
उत्तर प्रदेश

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