वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में जमीन के फर्जीवाड़े का मामला शासन तक पहुंच गया है। बुधवार को अपर मुख्य सचिव ने कुलपति से प्रकरण पर जानकारी ली और विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी। कुलपति ने बताया कि शासन को भेजने के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है। वहीं, जमीन के लिए बनाई गई कमेटी और संपत्ति विभाग के अधिकारी बुधवार को पुरानी फाइलें खंगालते रहे।

1955 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को बेची गई 2.5010 हेक्टेयर जमीन और दान दी गई पंचमंदिर की 0.2710 हेक्टेयर जमीन पर विक्रेता के पुत्र पर दोबारा अपना नाम चढ़वा लेने का आरोप है। जमीन पर विश्वविद्यालय का नाम दर्ज कराने के लिए गठित कमेटी की जांच में यह खुलासा होने के बाद खलबली है। विश्वविद्यालय के संपत्ति विभाग में दान और क्रय से संबंधित फाइलों को सुरक्षित रखा गया था। अब इनमें दर्ज एक-एक जानकारी खंगाली जा रही है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि जांच कमेटी विधि विशेषज्ञों के संपर्क में है और प्रकरण में मुकदमा दर्ज कराने के संबंध में साक्ष्य एकत्रित कर रही है।

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