जहाँ धर्म वहीं जय, यही शाश्वत सत्य है

जौनपुर (खुटहन) सौरईया गाँव में पत्रकार शिवशंकर दूबे के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ पर आसीन आचार्य अखिलेश चन्द्र मिश्र जी ने कहा कि विजय सर्वदा न्याय की ही होती है। पितामह भीष्म कौरवों के साथ रहते हुए भी मानसिक रूप से पांडवों का ही पक्ष लेते रहे "यतो धर्म: ततो जयः" यही शाश्वत सत्य है। उन्होंने कहा कि घर परिवार हो , गांव हो या राष्ट्र हो जहाँ नेतृत्व कर्ता धर्मात्मा होता है। सर्वांगीण विकास वहीं का होता है। राजा परीक्षित एक धर्म सापेक्ष राजा थे। धर्म की रक्षा के लिए कलि को मारने के लिए उद्यत हुए किन्तु कलि की शरणागति के कारण उसे अभयदान देते हुए चार निवासस्थान भी सुनिश्चित कर दिया। पुनः याचना करने पर पाँचवां निवास स्वर्ण में भी दे दिया। कलि के कुचक्र से परीक्षित जैसे धर्मात्मा राजा भी नही बच पाए। भूल बस शमीक ऋषि का अनादर करने के कारण श्रृंगी ऋषि का शापभाजन बनना पड़ा।
भगवान के भावग्राही स्वरूप का महत्व बताते हुए आचार्य जी ने कहा कि भगवान पदार्थ के भूखे नही हैं। वह तो भाव के भूखे है। छप्पन भोग दुर्योधन का त्यागकर विदुर जी के यहाँ केले का छिलका खाये। इस मौके पर त्रिलोकी नाथ दूबे, आशाराम शर्मा, चंदन त्रिपाठी, दिलीप त्रिपाठी, संगीता, हरिनाथ, संतोष सिंह, विजय बहादुर यादव आदि मौजूद रहे।

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