इसरो ने बताया : भारत दिसंबर 2024 में भेजेगा शुक्रयान-1, सौरमंडल के सबसे गर्म ग्रह की परिक्रमा करते हुए अध्ययन करेगा

      गिरजा शंकर गुप्ता/ब्यूरों

भारत दिसंबर 2024 में शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए शुक्रयान-1 भेजेगा। यह यान सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की परिक्रमा करते हुए अध्ययन करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को बताया कि देश के पास अभी भी शुक्र पर मिशन भेजने की क्षमता है।

शुक्र ग्रह के विज्ञान पर इसरो की बैठक में अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि मिशन की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बन गई है, जरूरी फंड जुटा लिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने 2017 में शुक्रयान-1 मिशन की जानकारी दी थी। सोमनाथ ने बताया, मिशन को प्रभावशाली बनाने के लिए वैज्ञानिकों से आग्रह किया है।



2024 में ही क्यों
पृथ्वी से शुक्र औसतन 4.10 करोड़ किमी दूर है, सूर्य की परिक्रमा में यह दूरी बढ़ती-घटती रहती है। दिसंबर 2024 में शुक्र धरती के बेहद निकट होगा। इससे अंतरिक्ष यान के लिए सबसे छोटा परिक्रमा पथ तय करना संभव होगा। अगली बार ऐसा मौका 2031 में आएगा।

अहम लक्ष्य

  • पृथ्वी के बाहर जीवन की पुष्टि की कोशिश : शुक्र सौरमंडल का सबसे रहस्यमयी ग्रह है। इसे सल्फर के बादलों ने ढका हुआ है, तो सतह पर ज्वालामुखी व लावा है। इसके बादलों में कई राज छिपे हो सकते हैं। इन्हीं में सितंबर 2020 में फास्फीन गैस मिलने का दावा वैज्ञानिकों ने किया, यह गैस सूक्ष्म-जीव भी बनाते हैं। भारतीय मिशन पृथ्वी के बाहर जीवन की पुष्टि में अहम भूमिका निभा सकता है।
  • इतने मिशन : शुक्र या इस ग्रह की ओर अब तक 46 मिशन भेजे गए। इनमें निकट से गुजरने वाले, टकराने वाले, यहां से सूर्य या दूसरे ग्रहों की ओर जाने वाले और ऑर्बिटर मिशन प्रमुख थे।
किसने भेजेमिशनसफल
सोवियत रूस2915
अमेरिका1110
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी33
जापान32


पिछले प्रयोगों से बचने की सलाह
एस सोमनाथ ने वैज्ञानिकों से कहा, वे शुक्र पर भेजे पुराने मिशन के प्रयोग दोहराने से बचें। नए लक्ष्य चंद्रयान-1 और मार्स ऑर्बिटर मिशन की तरह प्रभावी परिणाम व पहचान देने वाले होने चाहिएं। शुक्र की सतह पर कई प्रक्रियाएं, ऊंचाई व गहराई, सक्रिय ज्वालामुखी विस्फोट, इनसे बहता लावा, ग्रह की संरचना, वातावरण, सौर तूफानों का असर नए प्रयोगों के विषय होने चाहिए।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने