संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर
" करते हैं रावण दहन " 
सत्ता की हनक दिखलाते हैं।
जनता  को  खूब  रुलाते हैं।।
अपने  मन  की करने  वाले। 
सब  संविधान  सुलझाते हैं।।
जीवन का मोह नहीं उनको। 
झूठे   आंसू    छलकाते   हैं।।
खेलते   सदा  जनभावों  से। 
गुंडों  का  बोझ   उठाते  हैं।।
खाकर गरीब की कुटिया में।
अरमानों  को  खा  जाते  हैं।। 
रहते हैं जबतक  कुर्सी  पर। 
मिलने  में  खूब  लजाते  हैं।।
हर  समय   लुटेरे  एक  रहे।
जनमानस  को  भरमाते  हैं।।
कल जानीदुश्मन आज मित्र।
गठबंधन - गीत   सुनाते  हैं।।
दीमक  की  तरह  धीरे-धीरे।
सबकुछ ही चटकर जाते हैं।।
इनसे  अच्छे  तो  दुश्मन हैं।
सीने  पर  बाण  चलाते  हैं।।
करते  हैं रावण  दहन स्वयं।
रावण  जैसा  बन  जाते हैं।।..."अनंग"

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने