मुख्यमंत्री का जनपद गोरखपुर भ्रमण

मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के
89वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

शिक्षा सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करने का माध्यम,
सामाजिक क्रांति शिक्षा के बगैर संभव नहीं: मुख्यमंत्री

प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश मंे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा

हर एक संस्था को चाहिए कि वह भारत व प्रदेश सरकार की
मंशा के अनुरूप इस नीति को लागू करने के लिए कार्य योजना बनाए

महाराणा प्रताप ने स्वदेश और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं माना

व्यक्ति को उसके पुण्यों से कोई रोक नहीं सकता और उसके पाप
से कोई वंचित नहीं कर सकता, इसे ध्यान में रखकर कर्म करने पर
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होते हुए दिखाई देगी

गोरक्षनाथ पीठ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के जरिये शिक्षा,
स्वास्थ्य, आरोग्यता और समाज सेवा को समर्पित है

हम सभी भारत को विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए संकल्पबद्ध
होकर कार्य कर रहे, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस सम्बन्ध में विचार
दे रही: केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री

मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय मंत्री ने दिवंगत सी0डी0एस0 जनरल बिपिन रावत,
उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चैहान सहित हेलीकाॅप्टर
क्रैश दुर्घटना में दिवंगत हुए सैन्यकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि
दी, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की

लखनऊ: 10 दिसम्बर, 2021

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि शिक्षा सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करने का माध्यम है। सामाजिक क्रांति शिक्षा के बगैर संभव नहीं है। गोरक्षपीठ ने सदैव उन रूढ़ियों का विरोध किया है जो सामाजिक एकता में बाधक रही हैं। गोरक्षपीठ ने शिक्षा को सर्वांगीण विकास का माध्यम बनाने के लिए ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 89वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा धर्म हमें सिर्फ उपासना तक सीमित नहीं रखता। हमारा दर्शन धर्म की व्याख्या विराट रूप में करता है, भारतीय मनीषा ने सिर्फ उपासना विधि को संपूर्ण धर्म नहीं माना। धर्म अभ्युदय अर्थात सर्वांगीण विकास का मार्ग है। यह संस्कारित उत्कर्ष का महत्वपूर्ण पहलू है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अभ्युदय चार पुरुषार्थों-धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष पर निर्भर करता है। अच्छा कार्य करेंगे तो अच्छा फल प्राप्त होगा। बुरा करेंगे तो उसके पाप से कोई वंचित नहीं कर पाएगा। व्यक्ति को उसके पुण्यों से कोई रोक नहीं सकता और उसके पाप से कोई वंचित नहीं कर सकता। इसे ध्यान में रखकर कर्म किये जाने पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हमें प्राप्त होते हुए दिखाई देगी।
मुख्यमत्री जी ने कहा कि धर्मस्थलों का स्वरूप सिर्फ पूजा के स्थलों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे नेतृत्व करते दिखाई देना चाहिए। गोरक्षनाथ पीठ के संतों-महंतों का यही ध्येय रहा। गोरक्षनाथ पीठ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के जरिये शिक्षा, स्वास्थ्य, आरोग्यता और समाज सेवा को समर्पित है। युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ जी ने वर्ष 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। साथ ही, आजादी के बाद देश के नागरिक का स्वरूप क्या हो, इसी को ध्यान में रखकर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का नामकरण महानायक महाराणा प्रताप के नाम पर किया। उन्होंने कहा कि जब भी देश में आत्म बलिदान, शौर्य व पराक्रम की चर्चा होती है, तब महाराणा प्रताप के प्रति प्रत्येक भारतीय के मन में श्रद्धा का भाव देखने को मिलता है। महाराणा प्रताप ने स्वदेश और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं माना। उनके नाम पर स्थापित यह शिक्षा परिषद राष्ट्रीयता से ओतप्रोत प्राचीन गुरुकुल पद्धति का नवीनतम रूप है।
मुख्यमंत्री जी  ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से देश मंे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है। हर एक संस्था को चाहिए कि वह भारत व प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप इस नीति को लागू करने के लिए कार्य योजना बनाए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के जब तक परिणाम आएंगे, तब तक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा। परिषद से जुड़ी सभी संस्थाएं इसके परिणामों से खुद को जोड़ने की तैयारी में जुट जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में समृद्धि के लिए सभ्यता और संस्कार आवश्यक है। शिक्षा के बिना कोई भी समाज सभ्य और संस्कारयुक्त होने की कल्पना नहीं कर सकता। उन्होंने ने कहा कि वर्ष 1932 में जब युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की नींव रखी होगी तो उनके मन में यही भाव रहा होगा कि आजाद भारत के नागरिकों का स्वरूप क्या हो। आज परिषद की संस्थाएं उनके भाव का साकार रूप में प्रतिनिधित्व कर रही।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारत के शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि गोरक्षनाथ पीठ की यह परम्परा रही है कि समाज में जब-जब विपरीत परिस्थितियां आयीं हैं, उस समय समाज को जागृत करते हुए उसे खड़ा करने का कार्य किया। यह कार्य पूज्य दिग्विजयनाथ जी ने किया। आजादी के बाद की भविष्य की पीढ़ी को भी तैयार करने के लिए पूज्य दिग्विजयनाथ जी ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।
श्री प्रधान ने कहा कि भारत ने हमेशा विश्व कल्याण की कामना की है। इसके लिए हम सभी भारत को विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रहे हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस सम्बन्ध में विचार दे रही है।
मुख्यमंत्री जी तथा केन्द्रीय मंत्री जी ने इस अवसर पर दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत, जनपद आगरा निवासी विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चैहान सहित हेलीकाॅप्टर क्रैश दुर्घटना में दिवंगत हुए सैन्यकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे जनपद देवरिया निवासी ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की भी कामना की।
इस अवसर पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष पूर्व कुलपति प्रो0 उदय प्रताप सिंह, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के  कुलपति प्रो0 जे0पी0 पाण्डेय, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति मेजर जनरल डाॅ0 अतुल बाजपेयी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती साधना सिंह, महापौर श्री सीताराम जायसवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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