जिला कारागार में सम्पन्न हुआ कवि सम्मेलन 
काव्य संध्या पर कवियों ने प्रस्तुत की अपनी-अपनी रचनाएं 
बहराइच 08 नवम्बर। जिला कारागार बहराइच में बंदियों के मानसिक उन्नयन व स्वस्थ्य मनोरंजन हेतु कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ जिलाधिकारी डॉ दिनेश चन्द्र द्वारा मॉ भारती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया गया। तत्पश्चात् डिप्टी जेलर शरेन्दु कुमार त्रिपाठी द्वारा महाप्राण ‘निराला जी’ द्वारा रचित सरस्वती वंदना ‘वर दे वीणा वादिनी वर दे’ का गायन किया गया। प्रभारी जेल अधीक्षक आनन्द शुक्ल व जिलाधिकारी द्वारा समस्त कवियों को शाल पहनाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया। 
कवि सम्मेलन में लोकेश त्रिपाठी, आशुतोष श्रीवास्तव, योगेन्द्र योगी, अमर सिंह विसेन, रोहित शर्मा व प्रतिभा मिश्रा ने हास्य, श्रृगांर, वीर, ओज आदि रसों से प्रेरित कविताओं का वाचन किया गया। कार्यक्रम की सार्थकता व महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जिलाधिकारी ने जेल प्रशासन की प्रशंसा करते हुए अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि व्यवस्थाएं उत्तम होती है प्रायः विसंगतियां पद को धारित करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के माध्यम से होती है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में गजानन माधव मुक्तिबोध की कालजयी रचना अंधेरे में की निम्न पक्तियों को प्रस्तुत किये ‘हे मेरे आदर्शवादी मन, हे मेरे सिद्धान्तवादी मन, अब तक क्या किया, जीवन क्या दिया’। 
कार्यक्रम के दौरान प्रभारी अधीक्षक आनन्द शुक्ल ने अपनी पक्तियों के माध्यम से बंदियों का मन मोह लिया। साथ ही डिप्टी जेलर श्री त्रिपाठी ने स्वरचित कविता ‘चॉद और मैं’ का पाठ भी बंदियों के मध्य किया। कार्यक्रम का समापन करते हुए प्रभारी अधीक्षक द्वारा इस सफल आयोजन के लिए समस्त कवियों, कारागार स्टाफ व बंदियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम के दौरान डिप्टी जेलर देवकान्त वर्मा सहित समस्त कर्मचारीगण उपस्थित रहे। 

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