भ्रष्टाचार का घुन खा रहा है किसानों की सब्सिडी, नहीं दिया जा रहा है भुगतान 

           गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकरनगर। सरकार किसानों की उपज बढ़ाने और लागत घटाने और किसानों को आधुनिक बनाने के लिए लाखों की सब्सीडी दे रही है। सब्सिडी के लिए किसानों के आवेदन भी विभागीय कार्यालय में पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां सब्सिडी देने के नाम पर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला जा रहा है। किसानों का आरोप है कि यहां बैठे कृषि विभाग के अफसर उन किसानों को प्राथमिकता देते हैं, जो विभागीय अधिकारियों की जेब गर्म कर रहे हैं। 
  आरोप है कि यह खेल पिछले दो साल से चला आ रहा है। सु़त्रों की माने तो स्थानीय दुकानों से बिल बनवाकर भी सब्सीडी हड़पने का खेल विभागीय अधिकारी कर चुके हैं, जबकि कई ऐसे किसान अब भी सब्सीडी से वंचित हैं, जो सामान खरीदकर आवेदन कर चुके हैं और उनको आज तक सब्सीडी नहीं मिली है। विभाग से जानकारी प्राप्त करने हेतु जब मीडिया कर्मी द्वारा हकीकत जानना चाहा तो लिपिक सुनील वर्मा द्वारा बताया गया कि अभी इसलिए बस का पेमेंट पूरा नहीं दिया गया है जितना बजट आया था उतना वितरित किया गया।

      जनपद में किसानों को सरकार द्वारा दिये गये अनुदान का फायदा मिले या न मिले, लेकिन इसका फायदा विभागीय अधिकारी भरपूर उठा रहे हैं। पीड़ित किसानों का माने तो केवल उन किसानों को ही अनुदान दिया जा रहा है, जो विभागीय अधिकारियों की जेबे गर्म कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार फॉर्म को ऑनलाइन करने में अधिकारी केवल उन लोगों के फार्म ही सही भरते हैं, जो उनको सुविधा शुल्क देते हैं, जबकि अन्य किसानों के फार्म में त्रूटि छोड़कर उनको सब्सीडी से वंचित कर दिया जाता है। ऐसे कितने ही किसान हैं, जो दो वर्षों से सब्सीडी के लिए चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उनको सब्सिडी नहीं मिल रही है। हालांकि, सरकार द्वारा उपकरण खरीदने वाले सभी किसानों के फॉर्म भरने पर सब्सीडी उपलब्ध कराई जाती है। बता दें कि सरकार द्वारा खेती में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रों पर 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। किसानों द्वारा नाम ना छापने की शर्त पर बताया गया विभाग के कुछ लोग पैसे की भी मांग कर रहे थे और बताया कि जो पैसे देता है, उनको ही छुट का लाभ मिलता है।
लेकिन सरकारी नौकरी में बैठकर सरकार को बदनाम करने का खेल कृषि विभाग में चल रहा है और अधिकारी मौन बैठकर भ्रष्टाचार कर मजा लूट रहे हैं।मामला इतना ही नहीं है। चुनिंदा किसानों से सांट-गांठ कर सब्सीडी हड़पने का खेल भी विभागीय अधिकारी कर चुके हैं। अगर सही प्रकार से विभागीय कार्यालय की जांच की जाये तो कई प्रशासनिक अधिकारी कारवाई के दायरे में आ सकते हैं।

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