बिजली कटौती से मचा हाहाकार, शहर में 18 व गांवों में 12 घंटे मिल रही बिजली

           महेश चंद्र अग्रहरि संवाददाता
अम्बेडकरनगर। त्यौहारों एवं मौसम की तल्खी के चलते बिजली की मांग भले ही बढ़ गई है किन्तु कटौती गत माह की अपेक्षा अधिक की जा रही है। जिला मुख्यालय पर 24 घंटे आपूर्ति मिलना चाहिए किन्तु महज 19 घंटे ही आपूर्ति दिया जा रहा है जब कि ग्रामीणांचल के उपकेन्द्रों की स्थिति और भी बदतर है जहां अधिकतम 13 घंटे ही आपूर्ति उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है। अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था न होने और प्रतिदिन हो रही कटौती से उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं।

आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल माह में अकबरपुर विद्युत वितरण खंड, जलालपुर, टांडा एवं आलापुर विद्युत वितरण खंड को मिलाकर 79.9513 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति दिया गया था जो मई माह यानि भी गर्मी में जब खपत अधिक होती है तो आपूर्ति घटाकर 78.1263 मिलियन यूनिट कर दिया गया हालांकि जून माह में 89.1986, जुलाई में 105.2481 एवं अगस्त माह में फिर घटा कर 94.6092 मिलियन यूनिट कर दिया गया। गत सितम्बर माह में अकबरपुर विद्युत वितरण खंड को 26.5847, जलालपुर को 15.3780, टांडा को 25.8769 एवं जलालपुर विद्युत वितरण खंड को 20.7436 मिलियन यूनिट की आपूर्ति मिला था जब कि खर्च एक सौ यूनिट से अधिक है। त्यौहारों के चलते एक सौ यूनिट बिजली की आपूर्ति से कार्य नहीं चलने वाला है, इसके बावजूद जिला मुख्यालय को 24 घंटे आपूर्ति देना तो दूर की बात 20 घंटे भी नहीं मिल रही है। मांग के अनुरूप बिजली न मिलने से विभाग की ओर से ग्रामीणांचल की आपूर्ति में कटौती करके मुख्यालय को बिजली देने का प्रयास किया जा रहा है। बिजली की कटौती से अधिकांश क्षेत्रों के लोगों को रात जागकर व्यतीत करनी पड़ रही है और शाम होते ही गांव में अंधरे का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे उपभोक्ता जिनके पास शौर्य ऊर्जा पैनल व अन्य व्यवस्थाएं हैं वह भले ही चैन की नींद सो रहे हों जब कि अन्य को चिपचिपाती गर्मी में रात में गलियों और सड़कों पर टहलकर बिताना पड़ रहा है। टांडा, जलालपुर एवं अकबरपुर में संचालित बुनकर उद्योग के अलावां अन्य उद्योगों पर भी इसका खासा असर पड़ा है। कोविड-19 के चलते लोगों के व्यवसाय पर खासा असर पड़ा था जिसकी भरपाई करने का मन बनाए उद्योगों के संचालकों को निराश होना पड़ रहा है। बिजली की कटौती की दोहरी मार झेल रहे लोगों की समस्या तब और बढ़ जाती है जब विद्युतापूर्ति के समय फाल्ट हो जाता है। मामूली से फाल्ट को शीघ्र यानि कम समय में ठीक कराने के लिए उपभोक्ताओं को विभाग के लाइनमैन को सुविधा शुल्क देना पड़ता है।

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