भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद ने अनोखा शोध किया है। अगर इस शोध के दावे सही हुए तो चिकित्सा विज्ञान में क्रांति ही ला देगा। ट्रिपल आइटी में इंसान के सूंघने की क्षमता पर अहम शोध किया गया है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि भविष्य में यह शोध काफी कारगर साबित होगा। इससे बीमारियों का भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा। यह शोध आक्सफोर्ड के न्यूक्लियर एसिड रिसर्च जर्नल के सितंबर के अंक में प्रकाशित हुआ है भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के सिस्टम बायोलाजी ग्रुप के प्रोफेसर प्रीतिश भारद्वाज के निर्देशन में शोध छात्रा अंजू ने यह शोध किया है। शोध में कहा गया है कि हर जानवर एक-दूसरे को सूंघकर उसके प्रति आकर्षित होते हैं। इसके अलावा दृष्टिबाधित लोगों में भी सूंघने की क्षमता अधिक होती है। वह इसके जरिए ही आसपास के माहौल को परख लेता है। यदि कोई व्यक्ति देखने में सक्षम है और सूंघने की क्षमता अच्छी नहीं है तो वह अपने आसपास की चीजों को बेहतर ढंग से नहीं समझा सकता है। सूंघने की क्षमता पर देश के तमाम शैक्षणिक संस्थान शोध भी कर रहे हैं। अब ट्रिपलआइटी ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं फिलहाल अभी तक शोध किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका है। हालांकि शोध में दावा किया गया है कि भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ गंध, गंधक और गंध रहित यौगिकों पर अध्ययन किया गया। इसके बाद वांछित गंध वाले रासायनिक यौगिकों का पता लगाया गया। प्रोफेसर प्रीतिश बताते हैं कि हजारों गंध केवल नौ गंध से ही बनी है। इसका प्रयोग कई जगहों पर किया जा सकता है। वह बताते हैं कि डायबिटिक पर इसका काम चल रहा है।
ट्रिपलआइटी इलाहाबाद के सिस्टम बायोलाजी ग्रुप ने अहम शोध किया है
Ashu sharma
0
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know