अंबेडकर नगर (रिपोर्ट:गोपाल सोनकर जलालपुर)---- राजशाही और बादशाहो के जमाने मे सुना जाता था की विरासत की संपत्ति की पाने के लिए लोग छल, बल षड्यंत्र ह्त्या करके विरासत को हड़प लेते थे और परिवार के सदस्यो को हक से बेदखल कर दिया जाता था| ऐसा लगता है आज भी ऐसी परंपरा चली आ रही है|
  कुछ ऐसा ही मामला भियांव ग्राम सभा के ग्राम निमटिनी पोस्ट दुल्हुपुर थाना कटका तहसील जलालपुर जिला अंबेडकर नगर का है| पीड़ित पक्ष दयाराम व अन्य परिजन से सूचना न्यूज़ के संवाददाता को अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि रामदेव पुत्र शिवदास यादव के चार पुत्र दयाराम संतराम शिव शंकर थे लगभग 30-35 साल पहले सभी परिवार एक में रहते थे पाटीदारी मामला होने के कारण पिता के रहते ही पारिवारिक तनाव, झगड़ा, लड़ाई, चारों भाइयों के बीच मारपीट होती रहती थी जिससे तंग आकर परिवार के तीन भाई दयाराम, शिव शंकर सहित अपने परिवार के साथ घर छोड़कर चले गए एक भाई मुंबई चला गया दूसरा भाई शिवशंकर बहराइच रहने लगा तीसरे भाई कहां चला गया इस बात की खबर आज तक किसी को नहीं है जिसमें दयाशंकर और शिवशंकर अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रह रहे थे| लेकिन समय का पहिया ऐसा घूमा की कोरोना महामारी ने ऐसी परिस्थिति बनाई की अपने पैतृक ग्राम वापस आने को मजबूर हो गए |
कोरोना जैसी भयंकर महामारी की मार झेलने के कारण अपने पैतृक गांव आकर मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर करने के नियत से रहने के लिए जब पिता की संपत्ति में रहने के लिए आया तो पता चला की मझोला भाई संतराम अपने पिता को बहला-फुसलाकर सारी चल-अचल संपत्ति अपनी पत्नी अनीता के नाम वरासत करवा लिया जिसके कारण दोनों भाइयों का नाम पिता के संपत्ति निकल गया तो जिसके कारण संतराम व उसके परिवार के सदस्यों द्वारा मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया और संतराम व उसके परिवार का कहना है की पिता ने सारी चल अचल संपत्ति मेरे नाम कर दी है इसलिए तुम लोगों का यहां कुछ नहीं है तुम्हें जहां जाना और रहना है वहां रहो यहां नहीं रहना है | जब इसकी जानकारी हुई तो पीड़ित पक्ष थाने मे इसकी सूचना दिया और पैतृक संपत्ति पाने के लिए न्यायलय मे अपील किया |
पैतृक घर से निकाले जाने की वजह से दिन में पीड़ित दयाराम व शिवशंकर का परिवार इस भारी बारिश के मौसम कभी किसी पेड़ के नीचे गुजर बसर कर लेता लेकिन पूरी रात परिवार के बेटी, बच्चों, और पत्नी की सुरक्षा के लिए लिहाज से आसमान के तारे गिन के रात गुजारता और दिन भर मजदूरी कर पेट पर्दा चलाने को मजबूर है| वही सूचना न्यूज़ ने पीड़ित पक्ष के भाई जिस पर आरोप है कि उसने पैतृक संपत्ति को अपने पत्नी अनीता के नाम करवा ली है उनसे बात करने पर संतराम का कहना है मैंने अपने पिता की सेवा, दवा, देखरेख मैं और मेरा परिवार के लोगों ने किया, पिता की बीमारी की स्थिति में भी दयाराम शिव शंकर व उसके परिवार देखने नहीं आए इसलिए हम अपनी संपत्ति में कोई हक नहीं देंगे| वही पीड़ित परिवार दयाराम व शिवशंकर का कहना है की शिवशंकर हमेशा समय मिलने पर बीच-बीच में घर और पिता के देखरेख में शिवशंकर आते जाते रहते थे और बीच-बीच में आर्थिक सहयोग भी स्वयं के हाथों देते थे और कभी-कभी भिजवा देते थे| पीड़ित पक्ष का यह भी कहना है कि मेरा भाई संतराम झगड़ालू और दबंग किस्म का होने के कारण गांव के व्यक्ति खुले तौर पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है क्योंकि जो भी व्यक्ति बीच में समझौते या बीच-बचाव का प्रयास करता है उससे भी झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं जिसके कारण मुझे और मेरे परिवार को खुले आसमान के नीचे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है ।

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