NCR News:मोबाइल पर गूगल असिस्टेंट शुरू करने के बाद आप जैसे ही ‘ओके गूगल’ बोलते हैं, उसे कंपनी के कर्मचारी सुनते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी पर शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसद की स्थाई समिति में कंपनी ने खुद यह बात मानी है। इतना ही नहीं, गूगल टीम ने यह भी माना कि कभी-कभी जब यूजर्स वर्चुअल असिस्टेंट का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तब भी उनकी बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है। कंपनी जमा डेटा को तब तक डिलीट भी नहीं करती, जब तक कि यूजर उसे खुद डिलीट न कर दे। गूगल की दलील है कि उसके कर्मचारी स्पीच रिकॉग्निशन (आवाज की पहचान) को बेहतर करने के लिए बातचीत सुनते हैं।गूगल ने कहा कि कर्मचारी संवेदनशील जानकारी नहीं सुनते और यह केवल सामान्य बातचीत होती है, जिसे रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि, गूगल की तरफ से यह साफ नहीं किया गया कि दोनों में वह फर्क किस तरह करता है। संसदीय समिति की बैठक में झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से इससे जुड़ा सवाल पूछा गया था। समिति ने इसे उपयोगकर्ता की गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन माना है।समिति की ओर से इस पर जल्द रिपोर्ट तैयार करके सरकार को आगे के कुछ सुझाव दिए जाएंगे। समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधियों को दृढ़ता से बताया कि उन्हें अपने मौजूदा डेटा संरक्षण में खामियों को दूर करने की जरूरत है। इसके लिए गोपनीयता नीति और भारतीय उपयोगकर्ताओं की डेटा गोपनीयता और रक्षा के लिए कड़े सुरक्षा उपाय स्थापित करें।बता दें गोपनीयता को लेकर अमेरिका में भी सांसदों ने गूगल से सवाल किया था और कुछ जगहों पर इसे लेकर मुकदमा भी हो चुका है। 2019 में गूगल प्रोडक्ट मैनेजर (सर्च) डेविड मोनसी ने एक ब्लॉग में भी इस बात को स्वीकारा था कि उनके भाषा एक्सपर्ट रिकॉर्डिंग को सुनते हैं जिससे गूगल स्पीच सर्विस को ज्यादा बेहतर बनाया जा सके।
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