पर्यावरण दिवस पर विशेष -
आगरा || हवन के धुएँ से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। हवन वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ ही अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता है, हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है, शरीर में ऊर्जा का संचार होता है,अत: कोई भी मंत्र सुविधानुसार बोला जा सकता है। हवन से उत्पन्न लाभकारी गैस से वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु समाप्त हो जाते हैं, इसके साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हवन इंसान और प्रकृति दोनों के लिए फ़ायदेमंद होता हैं। 

इस सम्बंध में आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य राजेश खुराना ने पत्रकार वार्ता में अतिमहत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराते हुए बताया कि किसी भी कर्मकांड को केवल आस्था से जोड़ना ठीक नहीं इसीलिए उसका वैज्ञानिक कारण भी जानना आवश्य होना चाहिए। हवन करने का एक वैज्ञानिक कारण भी हैं। एक रिसर्च में पता चला है कि हवन में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों का बहुत अधिक महत्व होता है, जब उनकी आहुति दी जाती है तो वें सुक्ष्म से सुक्ष्म विषाणुओं का नाश करने के काम करती हैं। हवन के धुएं के सम्पर्क में रहने से व्यक्ति के मस्तिष्क, फेफड़ें और श्वास सम्बन्धी समस्याएं भी नष्ट हो जाती है, जिसकी मदद से श्वसन तंत्र बेहतर तरीके से कार्य करने लगता है,साथ ही हवन के धुएं और अग्नि के ताप से शरीर की थकान और मन की अशांति भी दूर हो जाती है। यदि आधे घंटे तक हवन में बैठा जाये और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते है और शरीर शुद्ध हो जाता है। घर में किसी भी तरह की नेगेटिव एनर्जी होने पर हवन करने से घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है और घर का वातावरण भी शुद्ध होता हैं। हवन यज्ञ करके स्वस्थ और निरोगी जीवन तो मिलता ही है, साथ-साथ व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी बल मिलता हैं। 
श्री खुराना ने बताया कि हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानी कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर जौ, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है। हवन के लिए गाय के गोबर से बने उपले घी में डूबो कर डाले जाते हैं। हवन में अधिकतर आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है। बता दें गुड़ को जलने से भी यह गैस उत्पन्न होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हवन और यज्ञ इंसान और प्रकृति दोनों के लिए फ़ायदेमंद होता हैं। घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए।

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