आगरा ||
ये हिन्दुस्तान है यहां कु़छ ऐसे भी लोग हैं जो प्याज लहसुन तो नहीं खाएँगे हत्या कर सकते हैं। इस लेटर पैड में जितने भी सर्वश्री हैंं इनको शर्म आनी चाहिए,अगर इन सभी सर्वश्री के घरों से एक दो लोगों की इसी हॉस्पिटल में अरिंजय जैन की मूर्खता से मौतें होतीं तब भी ये लेटर लिखते ? किसी गरीब जैन परिवार के ऊपर हो रहे उत्पीड़न को लेकर आख़िरी बार इस लेटर पैड वालों ने कब मोर्चा खोला था इन्हीं ये भी बताना चाहिए। ये लेटर पैड वाले और हत्यारे की एक ही बिरादरी व धर्म मालूम होता है वो है धन व खुद के हित के लिए। एक पुरानी कहावत है गुप-चुप गुप-चुप चुप रहना , कोई किसी की मत कहना । 

पाप को ढ़कने वाले बड़े पापी होते हैंं..तुम्हारे आदर्श तो दिगम्बर होते हैंं। लेकिन तुम लोग ये लेटर लिखकर नंगे हो गए, इन सभी जीवों से आशाराम टाइप के भक्तों की गंध आ रही है।

गुनाहगारों को सजा होनी चाहिए,  और लोग उनके समर्थन में उतर रहे हैं बहुत गलत कर रहें हैं। इनमे से जितने भी हत्यारे डॉक्टर अरिंजय जैन के पक्ष में सियार राग अलाप रहे है। एकता दिखा रहे ,क्यों ना वह अपने परिवार के सदस्यों की सिर्फ 5 मिनिट मॉक ड्रिल करवा कर तो देखे। इनके घर का एक भी मर जाता तो किसी के मुँह से बोल नही फूटता ,निकृष्ट ,, धिक्कार है ऐसों पर। ज्यादातर संप्रदाय अब नाम के ही रह गए हैं काम के नहीं जो ईश्वर की व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने में लगे हैं। दोषियों  का साथ देने वाले धर्म का रक्षण कैसे करते होंगे दोषियों का किसी धर्म से नाता नहीं होता हैं।
रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता

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