अम्बेडकर नगर:-
 ग्रामीण अंचल के लोगों के बेहतर स्वास्थ के लिए संचालित न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र औरंगनगर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। बदहाली का आलम इस कदर है कि गत कई माह से चिकित्सालय फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है, जिसके चलते पीड़ित लोगों को प्राइवेट चिकित्सकों के सहारे महंगा इलाज कराने के लिए विवश होना पड़ा है।अकबरपुर तहसील क्षेत्र के औरंगनगर में ग्रामीण अंचल के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के दृष्टिगत एक दशक पूर्व से न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया गया था। डेढ़ दर्जन गांवों पहितीपुर, हरिशचंद्रपुर, बरामदपुर जरियारी, खजूरडीह, कुड़िया, खरगपुर, बंदनडीह, पांती, पतौना, मंशापुर, बिरतीयापर, टेकनपुर, आंतडीह, बरामदपुर लोहरा एवं रामपट्टी तथा अन्य गांव के लोग यहां इलाज कराने के लिए आते हैं। कागजी अभिलेखों में यहां पर डॉक्टर नायला आफसीन कार्यरत हैं किंतु वह 13 फरवरी से अवकाश पर चल रही हैं। वही दूसरे चिकित्सक के रूप में डॉ जीके सेन की भी तैनाती है किंतु वह भी दो पखवारे से आर आर टी की ड्यूटी कर रहे हैं। मौजूदा समय फार्मासिस्ट के रूप में डॉ आरएन उपाध्याय, स्टाफ नर्स के रूप में अनुराधा चौधरी, कुमारी शिल्पा गुप्ता एवं वार्डब्वॉय प्रदीप शुक्ला कार्यरत हैं। बीएचडब्ल्यू के रूप में कार्यरत रही उर्मिला उपाध्याय का गत 16 मार्च को निधन हो जाने के चलते उनके स्थान पर भी अभी तक किसी की तैनाती अभी तक नहीं हुई है। प्रसव की 24 घंटे सुविधा अब दो महिला कर्मियों के सहारे हो गया है। स्वीपर की व्यवस्था ना होने के चलते सफाई व्यवस्था किस तरह हो रही है जिसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का टीकाकरण यहां पखवारे भर पूर्व किया जाता था किंतु वह भी मौजूदा समय में बंद चल रहा है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए वैसे तो प्रतिदिन 18 वर्ष से ऊपर के लोग चिकित्सालय आते हैं किंतु टीकाकरण की व्यवस्था और कर्मचारियों अनुपलब्धता के चलते वापस जाने के लिए विवश होना पड़ा है। चिकित्सालय में डॉक्टर के न होने के चलते पीड़ित लोगों को प्राइवेट चिकित्सकों के सहारे अपना इलाज कराने के लिए विवश होना पड़ा है। लोगों का आरोप है कि यदि यहां डॉक्टर होते तो मुंह मांगी रकम देकर के झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराना पड़ता।

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