7:- "DISEASE FREE WORLD" 
    ऐलोपैथिक डाक्टर रक्षक या भक्षक :-
   FRIEND REQUEST केवल वही लोग भेजें जिनको कोई लाईलाज बीमारी है,या जीवन भर अंग्रेजी दवा खाने को बाध्य हों,या और अपनी बीमारी से सदा केलिए छुटकारा पाकर सेहतमंद जीवन जीना चाहते हों। डाबिटीज़ को दूर भगायें,कभी भी न हो हाई बीपी से सामना,कोलेस्टरोल से भयभीत न होना कभी,ये तो हमारी जिन्दगी है|    
    कोरोना, चिकनगुनिया, डेन्गू, एच 1एन 1, स्वाइन फ्लू, ज़ीका, नीपा या कोई भी 'फ्लू' कभी जानलेवा होता ही नहीं,बल्कि जानलेने वाला तो उस वायरल डीज़ीज़ के ईलाज में  ईस्तेमाल की जानेवाली 'टैमीफ्लू', 'रैमडेसीवीर' वगैरह जैसी दवायें हैं , और तो और, अब कोरोना वायरस के लिए तो एच आई वी एड्स की दवा देने केलिए सहमति बन भी गई है| SCIENTIST और रीसर्चर्स (जिसमें सर्वोच्च नाम LEONARD HOROWIDTH) का तो इतना तक कहना है कि सर्दी जुकाम या कॉमन कोल्ड से अगर लोग मर सकते  हैं (वही लोग जिनकी ईम्यूनिटी यानि 'रोग प्रतिरोधक क्षमता गौण हो जाती है|) तो किसी भी वाययल डीजीज़ जैसे - चिकनगुनिया,डेन्गू,फ्लू,एच1 एन1,एच आई वी एड्स,ईत्यादि से भी किसी की मृत्यु हो सकती है| KERRY MULUS जो PCR TEST के जनक हैं।उनका कहना है कि PCR TEST से जो जांच की जाती है उससे किसी वायरस का नहीं बल्कि केवल उसके GENETIC SEQUENCE या PROTEIN का ही पता चलता है। जब ये ही पता नहीं चलता है कि कौन सा वायरस है तो मारेंगे किसे? वायरस का न तो कोई SHAPE होता है और न ही ये हमारे BLOOD STREAM में मौजूद रहता है तो मारेंगे किसे?ये वायरस तो हमारे शरीर के भीतर कोशिकाओं क पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुप जाता है।
   बस यूं समझ लीजिए कि ऐलोपैथिक फार्मास्युटिकल कम्पनियों का ड्रामा मात्र है,ताकि उनका व्यापार धड़ल्ले से चलता रहे। कुछ लोग चाहते हैं कि दुनिया की आबादी पंद्रह प्रतिशत घट जाए।WHO और सरकारों का सहयोग भी इस मामले में बराबर बराबर है।
    एक बहुत ही SHOCKING NEWS देना चाहता हूं।वो ये कि जिस किसी भी अस्पताल में किसी भी वायरल डीज़ीज़ के जितने ज़्यादा मरीज़ भर्ती होते हैं उन अस्पतालों को FUNDING मुहैय्या कराई जाती है। इतना ही नहीं जिस अस्पताल में जितने ज़्यादा मरीजों की मौत होती है उन अस्पतालों को REWARDS भी मिलते हैं और अख़बार में फ्रंट पेज पर पूरी अहमियत के साथ ख़बरें छापी जाती हैं ताकि जनता को डरता जाए।
    आपने सुना ही है कि आपको SANITIZERक् से बार बार हाथ धोने की हिदायत दी गई है। पता होना चाहिए कि SANITIZER से हाथ धोने से केवल FRIENDLY BACTERIA और MICROBES ही मरेंगे, वायरस नहीं मरेंगे। वायरस तो पहले ही मरे हुए हैं।ये वायरस LIVING BEHAVIOUR तब दिखाते हैं जब वो CELL के अंदर छुपे हुए होते हैं, जहां वो MULTIPLY होने लगते हैं।
    ये सब तो आज के दौर के मेडीकल साईन्स का सबसे बड़ा फ्राड मात्र है,'एक भय का व्यापार' मात्र यानि' डीजीज़ मोन्जरिंग' है,जो लगातार एक 'सिस्टम के तहत चलाया जा रहा है|जिसमें 'मेडीकल कम्पनिय़ाँ' ही हैं, जिनको अपना कारोबार चलाना है,और अपने मुनाफे भर से मतलब है,न कि हमारी सेहत से|ये डाक्टर साहिबान जो ऊँची-ऊँची डिग्रियां लेकर ऊँची-ऊँची फीस मरीज़ों से वसूलते नजर आते हैं,ऐसा प्रतीत होता है मानो 'फार्मासियूटीकल्स कम्पनीज़' के 'रजिस्टर्ड एजेन्ट' या 'मेडीएटर' की तरह  काम करने वाले हैं,उनको सिर्फ और सिर्फ हमारी 'बीमारी' की चिन्ता रहती है न कि हमारी 'सेहत' की| क्यूंकी ऐसी ही व्यवस्था है कि उनसे ईलाज करवाना शुरु कर दिया एकबार तो फिर आप उनके परमानेन्ट कस्टमर बन गये|फिर क्या जीवन भर 'कष्ट से मरते रहिए|'
    विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 7अप्रैल को 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता है|जानिए क्या है हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं और आम-जन के सेहत की स्थिति.........
    * पाँच लाख डाक्टर्स की कमी है देश में|10,189 लोगों पर 'एक सरकारी डाक्टर' है|विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक के मुताबिक 'एक हजार लोगों पर एक डाक्टर' होना चाहिए| 
    * महज़ 56 हजार छात्र हर साल 462 मेडिकल कालेजों से ग्रेजुएट होते हैं,जबकि देश की जनसंख्या प्रतिवर्ष 2.6 करोड़ बढ़ रही है|
    * 90,343 लोगों के बीच एक सरकारी अस्पताल है देश में| 12 किलोमीटर औसतन दूरी आम भारतीय को तय करनी पड़ती है मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं केलिए|
    * 13 राज्यों के 64 ज़िलों में क़रीब 27 करोड़ लोगों केलिए एक भी ब्लड बैंक नहीं है|
    * 68.3 वर्ष है भारत में जीवन प्रत्याशा की दर|पुरुषों की औसत आयु 66.9 वर्ष तथा महिलाओं की 69.9 वर्ष हे|
    * एक हजार बच्चों में 41 बच्चों की मृत्यु जन्म के एक साल के भीतर हो जाती है
   * प्रति 10,000 में से 174 मातृ मृत्यु दर|मतलब हर घंटे में 5 महिलाओं की प्रसव के दौरान होनेवाली जटिलताओं के कारण मृत्यु हो जाती है|
   * भारत में सबसे ज्यादा मौतें हृदय से संबंधित बीमारी की वजह से होती हैं|2005 से 2016 के बीच इन मौतों में 53% की बढोतरी हुई है|
    * 25 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु अकेले प्रदुषण से हो जाती है|
   नोट:- 
  इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें |      
   * मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है|
   * ₹ 3000/- रूपये एक महीना (किसी भी बीमारी के लिए) है।
   * ₹ 6000/- रुपए एक महीना (CANCER & TUMOUR के लिए) है।
   * इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है|
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