शीतलहर के कुप्रभाव से पशुओं-पक्षियों को सुरक्षित रखने के लिए पशुपालकों
को जागरूक किया जा रहा

आवश्यक उपायों को अपनाकर पशुपालक आर्थिक क्षति से बचें

पशुओं से सम्बन्धित जानकारी के लिए पशुधन समस्या निवारण केन्द्र के टोल फ्री नंबर 18001805141 पर किया जा सकता है संपर्क
लखनऊः 19 दिसम्बर, 2020
उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग द्वारा शीतलहर के कुप्रभाव से पशुओं-पक्षियों को सुरक्षित करने के लिए पशुपालकों में जागरूकता फैलाते हुए पशुओं की देखभाल हेतु आवश्यक जानकारियों का प्रचार प्रसार किये जाने के लिए प्रदेश के सभी मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से  पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है ताकि आवश्यक उपायों को अपनाकर पशुपालक आर्थिक क्षति से बच सकें। पशुओं से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान व जानकारी के लिए पशुपालन निदेशालय के पशुधन समस्या निवारण केन्द्र के टोल फ्री नंबर 18001805141 पर संपर्क किया जा सकता है।
पशुपालन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कि शीतलहर के कुप्रभाव से पशुओं-पक्षियों को सुरक्षित रखने के लिए पशुपालक शीत ऋतु में पशु-पक्षियों को आसमान के नीचे खुले स्थान में ना बांधे और रखें। घिरी जगह छप्पर/शेड से ढके हुए स्थानों पर रखा जाए, रोशनदान दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट बोरे से ढक दें, जिससे सीधी हवा का झोंका पशुओं के मुंह तक ना पहुंचे। बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें । बिछावन में पुआल/लकड़ी का बुरादा/गन्ने की खोई आदि का प्रयोग करें। पशु पक्षियों को बाड़े की नमी व सीलन से बचाने की व्यवस्था की जाए। पशुओं को ताजा पानी पिलाया जाए।
पशुपालक पशओं को जुट के बोरे का झूल पहनायंे। अलाव जलाते समय पशुपालक इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं के बच्चों की पहुंच से दूर रखने के लिए पशु के गले में छोटी रस्सी बांधे ताकि पशु अलाव तक न पहंुच सके। धुप निकलने पर पशुओं को अवश्य ही बाहर खुले स्थान पर धूप में खड़ा करें। नवजात बच्चों को खीस (कोनस्ट्रम) अवश्य पिलाएं, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर, गुनगुना पानी अजवाइन  मिलाकर पिलाएं।
भेड़/बकरियों में पी0पी0आर0 बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है अतः बीमारी से बचाव का टीका अवश्य लगवाएं। चूजा मुर्गी के घरों में उचित तापमान हेतु मानक के अनुसार व्यवस्था कर शीतलहर से बचाएं। पशुपालक गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें एवं प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा को ध्यान में रखकर शीत लहर से बचाएं। ठण्ड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं,ऐसी स्थिति में तत्काल निकटतम पशु चिकित्सक को दिखाएं। पशुपालक आपदा से पशु की मृत्यु होने पर राहत राशि प्राप्त करने के लिए राजस्व विभाग से संपर्क स्थापित करें।

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