पटना, 2 नवंबर 2025 (हिंदी समवाद न्यूज): बिहार की राजनीतिक धरती पर चुनावी जंग अब अंतिम चरण में प्रवेश कर चुकी है। 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बीच आज रविवार को पटना की सड़कों पर एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के पक्ष में एक भव्य रोड शो का आयोजन किया, तो वहीं विपक्षी महागठबंधन के नेता राहुल गांधी ने बीजेपी-एनडीए पर तीखे हमले बोले। बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों के लिए वोटिंग की तारीख नजदीक आते ही पार्टियां अपनी-अपनी ताकत झोंक रही हैं। आइए, जानते हैं आज के प्रमुख घटनाक्रमों का पूरा ब्योरा।
मोदी का रोड शो: एनडीए को मिला जोरदार समर्थन
पटना के हृदय स्थल से शुरू हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो एक बार फिर बिहार की जनता के बीच उत्साह का संचार कर गया। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह 'ललन' के साथ सड़क पर उतरे पीएम मोदी ने जनसभाओं के जरिए विकास और 'विकसित बिहार' के विजन को रेखांकित किया। रोड शो में हजारों की संख्या में समर्थक उमड़ पड़े, जो नारे लगाते और तिरंगा लहराते दिखे। मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "बिहार अब बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। एनडीए की सरकार ही बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।"
यह रोड शो विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि पटना जिले के कई विधानसभा क्षेत्र पहले चरण में 6 नवंबर को वोटिंग के दायरे में हैं। जेडीयू और बीजेपी के संयुक्त प्रयासों से एनडीए को मजबूती मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, आज के इस आयोजन से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है, जो अंतिम दिनों में घर-घर जाकर वोटरों को प्रेरित करने का अभियान चला रहे हैं।
राहुल गांधी का कटाक्ष: 'देश धर्मशाला नहीं'
दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आज एक सार्वजनिक सभा में एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "देश कोई धर्मशाला नहीं है जहां कोई भी आकर रह ले। बिहार की जनता को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य चाहिए, न कि खोखले वादों की।" गांधी का यह बयान महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों के बीच सीट बंटवारे पर कोई असहमति नजर नहीं आ रही।
महागठबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि 12 सीटों पर भी वे एक-दूसरे के खिलाफ नहीं लड़ेंगे। तेजस्वी यादाव के नेतृत्व में यह गठबंधन बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को प्रमुखता दे रहा है। आज की सभा में उपस्थित जनसमूह ने गांधी के भाषण पर खूब तालियां बजाईं, जो विपक्ष की मजबूती का संकेत देता है।
सियासी समीकरण: एनडीए बनाम महागठबंधन
बिहार चुनाव 2025 की यह जंग मुख्य रूप से दो खेमों के बीच है। एक ओर नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए है, जो 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे पर जोर दे रहा है। दूसरी ओर, लालू प्रसाद यादाव के परिवार से जुड़े तेजस्वी यादाव की अगुवाई वाला महागठबंधन, जो सामाजिक न्याय और जातिगत समीकरणों को हथियार बना रहा है।
चुनाव आयोग ने 6 नवंबर को 121 सीटों पर पहले चरण की वोटिंग का ऐलान किया है, जबकि बाकी 122 सीटें 11 नवंबर को तय हैं। 14 नवंबर को नतीजे घोषित होंगे। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने के बाद राज्य में सख्ती बढ़ा दी गई है। बिहार सरकार ने 6 और 11 नवंबर को पेड पब्लिक हॉलिडे घोषित कर दिया है, ताकि अधिक से अधिक वोटर मतदान केंद्र पहुंच सकें।
हाल के सर्वे बताते हैं कि वोटर टर्नआउट 65 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है, खासकर युवाओं और महिलाओं में उत्साह जोरदार है। प्राशांत किशोर जैसे रणनीतिकारों की मौजूदगी ने भी चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है। एनडीटीवी के पावर प्ले कॉन्क्लेव में अमित शाह, चिराग पासवान और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं के बीच बहस ने कई मुद्दों को उछाला, जो वोटरों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
उम्मीदें और चुनौतियां
चुनावी मैदान में जहां एनडीए विकास कार्ड खेल रहा है, वहीं महागठबंधन सामाजिक मुद्दों पर फोकस कर रहा है। बाढ़, बेरोजगारी और प्रवासन जैसी समस्याएं वोटरों के दिमाग में हावी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतिम चार दिनों में सोशल मीडिया और डोर-टू-डोर कैंपेन निर्णायक साबित होंगे।
बिहार की 12 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस राज्य के चुनाव न केवल स्थानीय राजनीति, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी असर डालेंगे। क्या नीतीश कुमार चौथी बार मुख्यमंत्री पद पर कायम रहेंगे, या तेजस्वी यादाव सत्ता की कमान संभालेंगे? इसका जवाब तो 14 नवंबर को ही मिलेगा, लेकिन आज का दिन साबित करता है कि बिहार की सियासत किसी से कम नहीं।
लेखक: सौरभ यादव, जौनपुर
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