केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री और उ0प्र0 के मुख्यमंत्री ने अयोध्या
स्थित बृहस्पति कुण्ड स्थल में दक्षिण भारत के प्रमुख संतों श्री पुरंदर दास, श्री त्यागराजा
और श्री अरुणाचल कवि की प्रतिमाओं का अनावरण तथा बृहस्पति
कुण्ड के पर्यटन विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्यां का लोकार्पण किया
 
मुख्यमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तथा श्रीहनुमानगढ़ी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया

आज का दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण, अपनी हर सांस में भगवान श्रीराम का नाम जपने
वाले तीन संतों को अयोध्या में स्थान मिला : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री

मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उ0प्र0 सरकार का इसमें पूरा सहयोग

पूज्य संतों ने दक्षिण भारत में 15वीं सदी से 18वीं सदी तक श्री रामभक्ति के
प्रचार-प्रसार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया, आज उनकी प्रतिमा
उनके आराध्य के श्रीचरणों में बृहस्पति कुण्ड स्थल पर स्थापित हुई : मुख्यमंत्री

यह प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अभियान को आगे बढ़ाने का अवसर
 
दक्षिण भारत के पूज्य संतों ने सदैव से उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का कार्य किया

दक्षिण भारत से तमिलनाडु और उत्तर भारत से काशी, इन दो प्रमुख ज्ञान की धाराओं
को जोड़ने का कार्य ‘काशी तमिल संगमम’ के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने प्रारम्भ किया

श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में दक्षिण दिशा में बनने वाले द्वार संख्या-11 को जगद्गुरु
शंकराचार्य एवं सुग्रीव किले की ओर से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में प्रवेश करने पर
पड़ने वाले द्वार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी के नाम से जाना जाएगा

दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित द्वार संख्या-3 को जगद्गुरु मध्वाचार्य जी तथा
उत्तर दिशा में स्थित द्वार को जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी के नाम से जाना जाएगा

अयोध्या धाम में जगद्गुरु रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापित हो चुकी,
स्व0 लता मंगेशकर जी के नाम पर एक चौक की स्थापना की गई

प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप अयोध्या नया आकार ले रही
 
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री ने नेक्स्ट
जेनरेशन जी0एस0टी0 रिफॉर्म के माध्यम से 140 करोड़ देशवासियों को बड़ी राहत दी

 
लखनऊ : 08 अक्टूबर, 2025


केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अयोध्या स्थित बृहस्पति कुण्ड स्थल में दक्षिण भारत के प्रमुख संतों श्री पुरंदर दास, श्री त्यागराजा और श्री अरुणाचल कवि की प्रतिमाओं का अनावरण तथा बृहस्पति कुण्ड के पर्यटन विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्यां का लोकार्पण किया। इसके उपरान्त, केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री और मुख्यमंत्री जी ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर पी0एफ0सी0 लॉन में आयोजित कार्यक्रम प्रतिभाग किया। इस अवसर पर दक्षिण भारत के 39 प्रसिद्ध संगीतकारों द्वारा प्रस्तुतियां, दक्षिण भारतीय भाषाओं में कर्नाटक संगीत की प्रस्तुति, जटिल राग और ताल के मणिकांचन संयोग का अद्भुत प्रदर्शन, मृदंगम, कंजीरा, घाटम एवं मोर्सिंग का विलक्षण वाद्य संयोजन कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गयी। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तथा श्रीहनुमानगढ़ी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया। कार्यक्रम के उपरान्त केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने राम की पैड़ी पर सरयू जी की आरती, जलाभिषेक व दर्शन-पूजन किया।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को दक्षिण भारत के संतों के विषय में अच्छी जानकारी है। उन्होंने बहुत प्रभावी ढंग से इन संतों के योगदान को हमारे सामने रखा है। अयोध्या आस्था का केन्द्र तथा भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। श्रीराम नगरी अयोध्या आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण का केन्द्र बन रही है।
श्री त्यागराजा ने अत्यन्त गरीबी का जीवन व्यतीत करते हुए भी भगवान श्रीराम भक्ति से परिपूर्ण रचनाएं रचीं। लोग ऐसा भी कहते हैं कि स्वयं हनुमान जी उनके मुख से श्रीराम भक्ति कर रहे हैं। यह किसी मनुष्य के बस की बात नहीं है। इसी प्रकार श्री पुरंदर दास एवं श्री अरुणाचल कवि ने भी भगवान श्रीराम के भावपूर्ण भक्ति गीत रचे हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पूरे दक्षिण भारत के हर घर में भगवान श्रीराम का प्रभाव देखने को मिलता है। केरल में आषाढ़ के महीने में सभी घरों में रामायण पढ़ी जाती है। यह श्रीराम भक्ति का एक वृहद स्वरूप है। आज का दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अपनी हर सांस में भगवान श्रीराम का नाम जपने वाले तीन संतों को अयोध्या में स्थान मिला है। ऐसा लगता है कि श्रीराम ने स्वयं उन्हें यहां बुलाया है। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार का इसमें पूरा सहयोग है। उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम, हमारी भावनाएं एक ही हैं और वह हैं ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’।  
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन पूज्य संतों ने दक्षिण भारत में 15वीं सदी से 18वीं सदी तक श्री रामभक्ति के प्रचार-प्रसार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। आज उनकी प्रतिमा उनके आराध्य के श्रीचरणों में बृहस्पति कुण्ड स्थल पर स्थापित हुई है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अभियान को आगे बढ़ाने का अवसर भी है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक पूरे भारत को जोड़ने के लिए हमारे पूज्य संतो, हमारे आराध्य और अवतारी महापुरुषों ने जो योगदान दिया था, उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने की दृष्टि से आज का यह समारोह एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसका माध्यम केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन जी बनी हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री ने शारदीय नवरात्रि की प्रथम तिथि से देश में नेक्स्ट जेनरेशन जी0एस0टी0 रिफॉर्म के माध्यम से 140 करोड़ देशवासियों को बड़ी राहत दी है। पर्व और त्योहारों के अवसर पर लोगों के मन में इससे बड़ा उत्साह बना है। बाजार में एक नई मजबूती देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री जी ने केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री का नेक्स्ट जेनरेशन जी0एस0टी0 रिफॉर्म के लिए आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दक्षिण भारत के तीन पूज्य संतों की प्रतिमा देवताओं के गुरु बृहस्पति के नाम पर बने पवित्र कुण्ड में स्थापित की गई है। हर बृहस्पतिवार को यहां श्रद्धालु आते हैं और स्नान करते हैं। मार्ग शीर्ष की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर यहां एक विशेष आयोजन होता है। अब बृहस्पति कुण्ड के साथ ही इन तीन पूज्य संतों की प्रतिमाओं के दर्शन करने का सौभाग्य भी अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन तीन पूज्य संतों ने दक्षिण भारत में श्रीराम भक्ति के प्रचार-प्रसार में बड़ा योगदान दिया है। श्री त्यागराजा महास्वामी कर्नाटक संगीत के तीन महानतम संगीतज्ञों में से एक थे। इन्हें, श्यामा शास्त्री और मुत्तुस्वामी दीक्षितर के साथ ‘कर्नाटक संगीत त्रिमूर्ति’ में स्थान प्राप्त है। 18वीं सदी में दक्षिण भारत में श्री त्यागराजा ने तेलुगु भाषा में भगवान श्रीराम के हजारों गीतों की रचना कर श्रीराम भक्ति का प्रचार-प्रसार किया। भगवान श्रीराम का भक्त होने के नाते हमारा दायित्व है कि हम भगवान श्रीराम के उन सभी अनुयायियों का सम्मान करें, जिन्होंने सम और विषम परिस्थितियों में भगवान श्रीराम की भक्ति को देश के कोने-कोने में पहुंचाया है। श्री त्यागराजा महास्वामी की प्रतिमा के अनावरण के माध्यम से हम अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री पुरन्दर दास महास्वामी (1484-1564) को कर्नाटक संगीत का जनक कहा जाता है। उनका जन्म कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्ग जिले में हुआ था। एक सफल व्यापारी तथा भगवान विट्ठल (विठोबा) के भक्त के रूप में दक्षिण भारत में उन्होंने कन्नड़ भाषा में श्रीराम भक्ति आन्दोलन को बढ़ावा दिया। कीर्तन और पद के माध्यम से उन्होंने जगह-जगह इसका प्रचार किया। कहा जाता है कि श्री पुरन्दर दास जी ने 04 लाख 75 हजार से अधिक भक्ति गीत और कीर्तन लिखे। इनमें से 02 हजार से अधिक गीत आज भी प्रचलित हैं और भगवान श्रीराम भक्ति का गुणगान कर रहे हैं। आज यहां श्री पुरन्दर दास महास्वामी की प्रतिमा का अनावरण किया गया है।  
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूज्य श्री अरुणाचल कवि महास्वामी का कालखण्ड 1711-1779 तक था। इन्हें कर्नाटक संगीत में विशेष स्थान प्राप्त है। उनका जन्म तमिलनाडु के वालुकर नामक गाँव में हुआ था। वे प्रारम्भ में संस्कृत और तमिल साहित्य के विद्वान थे, लेकिन बाद में उन्होंने संगीत और अपने भक्ति गीतों के माध्यम से दक्षिण भारत में भगवान श्रीराम के जीवन और गुणों का भावपूर्ण वर्णन किया। आज यहां श्री अरुणाचल कवि की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से अयोध्या धाम में जगद्गुरु रामानुजाचार्य की प्रतिमा की स्थापना का कार्यक्रम सम्पन्न हो चुका है। भगवान श्रीराम के सर्वाधिक गीत गाने वालीं स्व0 लता मंगेशकर जी के नाम पर एक चौक की स्थापना अयोध्या में की गई है। जब देश में श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन चल रहा था, तो उस समय अयोध्या में जितना उत्साह था, उतना ही उत्साह तमिलनाडु में भी था। तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और केरल से बड़ी संख्या में रामभक्त अयोध्या में आकर इस आन्दोलन का हिस्सा बनते थे। उस समय नारा लगता था कि ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’। उस समय मन्दिर निर्माण के प्रति लोगों के मन में शंका थी, लेकिन हम समर्पित भाव से कार्य करते रहे। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में आज भव्य श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का निर्माण हुआ है। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप अयोध्या नया आकार ले रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान श्रीराम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में सेतु बंध के निर्माण के समय पहले ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। भगवान श्रीराम को किष्किंधा में अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी के रूप में आंज्नेय पुत्र श्री हनुमान मिले थे। आप सभी यहां श्रीहनुमानगढ़ी के दर्शन अवश्य कीजिए। इसी के पास सुग्रीव किला भी है। अयोध्या में माता शबरी की प्रतिमा की स्थापना भी हो रही है। यहां निषादराज को भी सम्मान दिया जा रहा है। आज हमें अपने पूज्य संतों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दक्षिण भारत के पूज्य संतों ने सदैव से उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का कार्य किया है। जगद्गुरु शंकराचार्य ने दक्षिण भारत के केरल से निकलकर देश के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना की थी और वैदिक धर्म को मजबूती के साथ स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। आज भी हम जगद्गुरु शंकराचार्य के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में दक्षिण दिशा में बनने वाला द्वार संख्या-11 जगद्गुरु शंकराचार्य के नाम पर जाना जाएगा। इसी प्रकार सुग्रीव किला की ओर से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में प्रवेश करने पर पड़ने वाले द्वार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी के नाम पर जाना जाएगा। दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित द्वार संख्या-3 को जगद्गुरु मध्वाचार्य जी के नाम पर जाना जाएगा। उत्तर दिशा में स्थित द्वार को जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी के नाम पर जाना जाएगा। हमारे पूज्य संतों, जिन्होंने भारत की संस्कृति, परम्परा व दर्शन को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया, उनके नाम पर यह द्वार उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का माध्यम है। यह प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का एक नया प्रयास है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी में श्री काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद प्रधानमंत्री जी ने ‘काशी तमिल संगमम’ के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। संस्कृत और तमिल यह दोनों भाषाएं अत्यन्त प्राचीन हैं। इनका एक समृद्ध इतिहास है। दक्षिण भारत से तमिलनाडु और उत्तर भारत से काशी, इन दो प्रमुख ज्ञान की धाराओं को जोड़ने का कार्य ‘काशी तमिल संगमम’ के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने प्रारम्भ किया। कार्तिक मास में प्रतिवर्ष काशी में यह कार्यक्रम आयोजित होता है। दक्षिण भारत के तीन पूज्य संतों की प्रतिमा के अनावरण के माध्यम से एक बार फिर हम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण की दिशा में आगे बढ़े हैं।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना, कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।    
-------------------

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने