नया जीएसटी सुधार: आमजन से उद्योग तक को राहत

श्री पंकज चौधरी  वित्त राज्य मंत्री, भारत सरकार

पिछले एक दशक में भारत की विकास यात्रा अद्भुत रही है। यह यात्रा दृढ़ता, सुधार और नवजीवन से परिभाषित होती है। इस परिवर्तन के केंद्र में हमारी यह अटल प्रतिबद्धता रही है कि कर प्रणाली को सरल बनाया जाए, अनुपालन को मजबूत किया जाए और व्यवसायों उपभोक्ताओं दोनों को सशक्त किया जाए।

2017 में लागू किया गया वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारतीय राजकोषीय नीति का एक ऐतिहासिक क्षण था। इसने बिखरी हुई कर प्रणाली को एकीकृत ढाँचे में बदलकर पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित की। आज, जब नए जीएसटी सुधारों का आगाज़ हुआ है, तो यह इस यात्रा का अगला अध्याय है, जहाँ और अधिक सरलता, विश्वास तथा लाभ सीधे जनता तक पहुंच रहे हैं।

अब वह दौर पीछे छूट गया है, जब कर ढांचे की जटिलता से करदाता और व्यापारी दोनों उलझन में रहते थे। जहां पहले कई स्लैब थे, वहीं अब केवल दो मुख्य स्लैब, 5% और 18% रखे गए हैं, जबकि 40% का विशेष स्लैब केवल लग्ज़री और सिन गुड्स के लिए आरक्षित है। यह सरलीकरण हमारी पारदर्शिता और करदाताओं की सुविधा के संकल्प का प्रमाण है।

इतना ही नहीं, आवश्यक वस्तुओं को छूट देकर आमजन को सीधी राहत दी गई है। 22 सितम्बर से दूध, पनीर और ब्रेड जैसी रोज़मर्रा की ज़रूरतों की वस्तुएं पूरी तरह जीएसटी मुक्त होंगी। वहीं नूडल्स, कॉफ़ी, मक्खन और चॉकलेट जैसे उत्पादों को 5% श्रेणी में लाकर करोड़ों परिवारों के जीवन को आसान बनाया गया है। यह केवल कर सुधार नहीं बल्कि नागरिकों के बीच विश्वास और राहत का सीधा हस्तांतरण है।

यह सुधार भारत के जीवंत व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूती देता है। कम इनपुट लागत और आसान अनुपालन से उद्यमियों, एमएसएमई और कॉरपोरेट जगत को नई ऊर्जा मिलेगी। जब इसे उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI) और मेक इन इंडिया जैसे प्रयासों से जोड़ा जाएगा तो यह निवेश, नवाचार और रोज़गार सृजन के लिए मजबूत बुनियाद तैयार करेगा।

नया जीएसटी ढांचा केवल राजकोषीय बदलाव नहीं है बल्कि सहकारी संघवाद का प्रतीक है। केंद्र और राज्यों ने मिलकर इस सुधार को सहमति से पारित किया है। यह दर्शाता है कि भारत की प्रगति के लिए मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुटता को प्राथमिकता दी जाती है।

इस सुधार से परिवारों की जेब में अधिक पैसा और व्यवसायों की लागत में कमी से उपभोग बढ़ेगा, अनुपालन व्यापक होगा और विकास की गति और तेज़ होगी।

2047 तक विकसित भारत के विज़न की ओर बढ़ते हुए, जीएसटी 2.0 केवल एक सुधार नहीं बल्कि समावेशी समृद्धि का वचन है। यह संकल्प है कि हमारी कर प्रणाली सरल, न्यायसंगत और विकासोन्मुख बनी रहेगी।

2017 में शुरू हुई यह यात्रा अब एक बड़ी छलांग लगा चुकी है। नागरिकों को राहत देकर, करदाताओं में विश्वास जगाकर और व्यवसायों को आत्मविश्वास देकर नया जीएसटी सुधार भारत की आर्थिक नियति का सशक्त इंजन बनेगा।

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