जलालपुर, अम्बेडकर नगर। रामलीला मैदान में शनिवार शाम सूरज की लालिमा जैसे-जैसे डूबी, वैसे-वैसे दीयों और रोशनी की जगमगाहट ने पूरे परिसर को एक दिव्य आभा में नहला दिया। श्री रामलीला सेवा समिति के आयोजन में प्रस्तुत रामलीला ने दर्शकों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया, जहाँ अहिल्या उद्धार से लेकर फुलवारी में राम-सीता मिलन तक के दृश्यों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दृश्य 1: पूजन-अर्चन की दिव्य शुरुआत कार्यक्रम कीशुरुआत में मंच पर गंभीरता और श्रद्धा का वातावरण था। समिति के अध्यक्ष संजीव मिश्र, विनोद कुमार मिश्र, महामंत्री कृष्ण गोपाल गुप्ता, मीडिया प्रभारी विकाश निषाद सहित अन्य पदाधिकारियों ने हाथों में चमकते दीपक लिए। आचार्य रामदौर मिश्र के मंत्रोच्चारण के साथ ही 'श्री राम दरबार' की आरती उतारी गई। घंटियों की ध्वनि और भक्ति गीतों की मधुर तान के बीच पूजन सामग्री की सुगंध ने एक पवित्र वातावरण बना दिया।
दृश्य 2: अहिल्या उद्धार का चमत्कारिक मंचन मंचन कासबसे मार्मिक दृश्य तब उभरा जब भगवान राम की छवि में कलाकार ने प्रवेश किया। अहिल्या के पत्थर बन जाने का दृश्य दर्शकों के दिलों को छू गया। राम के चरण स्पर्श मात्र से ही अहिल्या के पत्थर की मूर्ति से एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट होने का क्षण अद्भुत था। इस चमत्कारिक प्रसंग को देखकर दर्शकों में से 'हर-हर महादेव' और 'जय श्री राम' के जयघोष गूँज उठे।
दृश्य 3: फुलवारी का रमणीय मिलन फुलवारीके दृश्य में मंच रंग-बिरंगे फूलों और लताओं से सजाया गया था। भगवान राम और माता सीता का पहली बार मिलन हृदय को छू लेने वाला था। दोनों के बीच नजरें मिलने और शर्मीले अदान-प्रदान ने प्रेम और श्रद्धा की एक अनूठी भावना पैदा की। इस मधुर क्षण को दर्शाने के लिए पृष्ठभूमि में मधुर सितार वादन और कोमल प्रकाश व्यवस्था ने जादुई असर डाला।
दृश्य 4: मीना बाजार की चहल-पहल मीनाबाजार के मंचन में जीवंतता कूट-कूट कर भरी हुई थी। बाजार के दृश्य में विभिन्न दुकानें, रंग-बिरंगे वस्त्र पहने कलाकार, और खरीदारी करती सखियाँ दिखाई दीं। सीता जी के स्वयंवर की तैयारियों की चर्चा और उत्साह ने पूरे वातावरण में उल्लास भर दिया। कलाकारों के संवाद और हाव-भाव इतने सजीव थे कि दर्शक स्वयं को उसी युग में महसूस करने लगे।
कार्यक्रम की सफल व्यवस्था में उपाध्यक्ष आशाराम मौर्य, कोषाध्यक्ष सुशील अग्रवाल, अतुल जायसवाल और अशोक जायसवाल के अथक प्रयास स्पष्ट दिखाई दिए। इस भव्य आयोजन ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जगाया, बल्कि सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक विरासत की एक जीवंत झलक भी प्रस्तुत की।
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