बलरामपुर - मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय अब भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आधुनिक विज्ञान की शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। शासनादेश जारी होने के बाद विश्वविद्यालय में 10 संकायों का सृजन किया गया है। इनमें पारंपरिक और आधुनिक विषयों के साथ-साथ विज्ञान की नवीनतम शाखाएं भी शामिल हैं।
इन संकायों में इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर, फार्मास्यूटिकल साइंस, लैंग्वेज, फाइन आर्ट्स एंड डिजाइन, बिजनेस मैनेजमेंट एंड कॉमर्स, आर्ट्स, साइंस प्रमुख हैं। खास बात यह है कि क्वांटम साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसे नवीनतम विषय की पढ़ाई अब यहां संभव होगी, जो उत्तर भारत के विश्वविद्यालयों में बिल्कुल नया है।
छात्र यहां मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों के साथ हिंदू स्टडीज, सोशल हारमोनी, योग फिलॉसफी एंड प्रैक्टिसेज, स्पिरिचुअल टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट जैसी विशेष शिक्षाओं से भी जुड़ सकेंगे।
नेपाल सीमा से सटे इलाके की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए यहां थारू हिस्ट्री, कल्चर एंड एम्पावरमेंट डिपार्टमेंट की स्थापना की गई है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण एग्रीकल्चर फैकल्टी में एग्रोफॉरेस्ट्री और शुगरकेन डिपार्टमेंट भी शामिल किए गए हैं। वहीं पत्रकारिता एवं जनसंचार, मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (MCA) और एलएलएम (LLM) की पढ़ाई भी उपलब्ध कराई जाएगी।
कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह का कहना है कि “प्रदेश के मुख्यमंत्री की विशेष रुचि और सक्रियता से विश्वविद्यालय में 245 पदों पर राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त हुई है। मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां कुछ ऐसे विषय शामिल किए गए हैं जो किसी अन्य विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाए जाते। यहां की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए ये पाठ्यक्रम इस क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होंगे।”
हिन्दी संवाद न्यूज से
रिपोर्टर वी. संघर्ष
बलरामपुर।
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