उतरौला बलरामपुर-उत्तर प्रदेश ए टी एस की कार्यवाही के बाद भले ही जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को जेल भेज दिया गया हो, लेकिन उसका संगठित गिरोह आज भी खुले आम घूम रहे है। इस गिरोह में शामिल कई गुर्गे, दलाल, प्लॉटिंग माफिया,सफेद पोश और भ्रष्ट अधिकारी अब तक जांच एजेंसि यों की पकड़ से बाहर हैं। यही कारण है, कि उतरौला सहित बलराम पुर जिले में आम जनता के बीच गहराअसमंजस और डर का वातावरण व्याप्त है। सूत्रों के अनु सार, छांगुर बाबा का नेटवर्क न केवल धर्मां तरण में लिप्त था, बल्कि विवादित व सरकारी जमीनों पर कब्जा करवाने और उनमें अवैध प्लॉटिंग के जरिए सैकड़ों करोड़ रुपये के काले धन को वैध सम्पत्ति में बदलने का संगठित षड्यंत्र भी रचा जा रहा था। ए टी एस सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा के सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन और नवीन रोहरा ने उतरौला सहित अन्य क्षेत्रों में कई बेनामी सम्पत्तियों में बड़ी मात्रा में काला धन इन्वेस्ट किया गया है। ये सम्पत्तियां न केवल अवैध रूप से हथियाई गई थीं, बल्कि इनका उपयोगधर्मांतरण रैकेट को फंडिंग देने के लिए भी किया गया था।
सूत्र बताते हैं कि इस नेटवर्क में महिलाओं सहित कई ऐसे ‘हैंडलर’ शामिल थे जो योजना बद्ध तरीके से हिन्दू लड़ कियों की पहचान कर उन्हें फँसाते और धर्मां तरण के लिए दबाव भी डालते हैं। इसके लिए सोशल मीडिया, निजी सम्पर्क, लालच और डराने की रणनीति अप नाई जाती थी।एक और चौंकाने वाला पहलू यह है कि छांगुर का एक अलग गिरोह उन लोगों को टारगेट करता था, जो उसके आदेश नहीं मानते थे। ऐसे लोगों को बलात्कार जैसे गम्भीर आरोपों में फँसाने के लिए फर्जी शिकायतें दर्ज करवाई जाती थीं। इस गिरोह में स्थानीय अधिकारियों, दलालों, और सफेद पोशों की मिली भगत से पूरे ‘साजिशी ढांचे’ का संचालन किया जाता था।सूत्रों की मानें तो छांगुर बाबा और उसके गुर्गों के खिलाफ थाना कोतवाली स्तर पर सैकड़ों शिकायतें दी जा चुकी हैं। इसके बावजूद भी छांगुर बाबा केरसूख और प्रशासनिक की मिली भगत के चलते ज्यादातर मामलों में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। इससे जनता में भी विश्वास की भारी कमी देखी जा रही है।
खुफिया सूत्र बताते हैं कि जैसे ही ए टी एस या एस टी एफ जैसी एजेंसियों की टीमें सक्रिय होती हैं,छांगुर बाबा के हैंडलर सतर्क हो जाते हैं, और अपनी गतिविधियों को छुपा लेते हैं। ये गिरोह तक नीक के माध्यम से एजें सियों की लोकेशन तक ट्रैक करने की कोशिश करते हैं, जिससे जांच प्रभावित हो जातीं है।
स्थानीय नागरिकों, समाज सेवियों और जन प्रतिनिधियों का कहना है कि जब तक इस संगठित गिरोह के सभी प्रमुख गुर्गों, दलालों और भ्रष्ट अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही क्यों नहीं होती, तब तक उतरौला जैसे क्षेत्रों में कट्टर पंथी ताकतों के पनपने का खतरा बना रहेगा।छांगुर बाबा की गिरफ्तारी महज एक शुरुआत है। असली जड़ें अब भी जमीन पर मौजूद हैं, जो किसी भी वक्त फिर से सक्रिय हो सकती हैं। जनता पूछ रही है कि क्या कानून का शिकंजा इन गुर्गों तक पहुंचेगा, क्या ए टी एस,और एस टी एफ इन सफेद पोशों को भी बेनकाब करेगी, जो इस धार्मिक,आर्थिक और सामाजिक अपराध के संरक्षक बने हुए हैं।
हिन्दी संवाद न्यूज से
असगर अली की खबर
उतरौला बलरामपुर।
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