बबलू गर्ग ब्यूरो चीफ हिंदी संवाद न्यूज़

 सिद्धपीठ नाथबाबा मंदिर टिकटौली गुर्जर मुरैना मध्य प्रदेश में चल रही कथा महोत्सव श्रीमद् भागवत के चौथे दिन सभी ने भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव उत्साह और उमंग के साथ मनाया। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक अनमोल श्री गुर्जर द्वारा नंद बाबा के घर पर उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला सुंदर वर्णन करने के साथ-साथ आयोजन स्थल का पुरा आनंदोत्सव के रंग में भी पूरी तरह से रंगा गया।
*नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की* के उद्घोष के साथ समागम गूंज उठा। कृष्ण का रूप धरे छोटे से लाला और नंद बाबा ने यशोदा मैया के साथ द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद मनो फिर से मंदिर परिसर में जीवंत कर दिया।
भक्तों ने भजनों की धुनों पर मगन तारों से थिरकते हुए श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद उठाया। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद लेते हुए भक्तों के बीच बहुत अच्छे दोस्त, टॉफियां और बधाइयां बांटी गईं। कथा प्रसंग में कथावाचक अनमोल श्री जी महाराज ने कहा है कि भगवान युगों-युगों से भक्तों के साथ अपने स्नेह को अभिनय के लिए अवतार लेते हैं।
साथ ही अनमोल श्री जी ने कहा कि भगवान अपने भक्तों के भाव और प्रेम के साथी हैं। उनके भक्तों का अवलोकन कभी नहीं किया जाता। वे अपने चाहने वालों की इच्छा की पूर्ति के लिए ही उनके साथ अपने स्नेह बंधन के पात्र खुद इस धरा पर आते हैं। अब तक विभिन्न स्थानों पर हजारों कहानियों में वर्णित कथावाचक अनमोलश्री ने आज की कथा के दौरान वामन अवतार, समुद्रतट मठ, श्री राम जन्मोत्सव और भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का सुंदर और भावपूर्ण वर्णन किया है।
अनमोल श्री जी ने कहा है कि भगवान अपने भक्तों के साथ सदैव हर पल बने रहते हैं। वे भक्तों के हाथों से दी गई प्रेम और भाव के साथ दी गई वस्तु को एक ही तरह से ग्रहण करते हैं, जिस तरह से उन्होंने द्रौपदी का पत्र और गजेंद्र का पुष्प ग्रहण किया। भगवान ने काल रूपी मकर से भक्त गजराज की रक्षा की तो द्रौपदी को संकट पर पुकारा, उनकी विनाशलीला स्वयं दौड़ चली आई।
ये सारी कहानियां ये प्रमाणित करती हैं कि भक्तों के भाव से सदा साथी बने रहने वाले भगवान भक्तों के साथ अपना स्नेह निभाना खुद आते हैं। ठाकुरजी अपने भक्त से ये भी कहते हैं कि मुझे, वो वस्तु निर्भय कर, जो मैंने कभी नहीं दी। ठाकुरजी कहते हैं- ऐसी कोई वस्तु जो मैंने तुम्हें नहीं दी, वह व्यवहार करती है। ये मैंने तुम्हें नहीं दिया. बल्कि तूने खुद इसे अपने अंदर तैयार किया है।
कथावाचक जी ने कहा कि भगवान को अगर पाना है तो मन में इस भाव को बसा लेना होगा कि मेरे सब कुछ मेरे ठाकुरजी हैं। मेरे पास अपना कुछ भी नहीं जो कुछ भी है तो मेरे ठाकुर जी का ही है। गजेन्द्र मोक्ष पाठ की महिमा की उपदेशक कथावाचक ने कहा कि जो भी यह पाठ करता है। उस पर ठाकुरजी की कृपा सदा बनी रहती है। उस पर सपने में भी संकट नहीं आता. *माता-पिता के चरण पकड़ लो*, किसी और के चरण वन्दन की आवश्यकता ही नहीं है। महाराजजी ने कहा था कि जीवन में सभी को एक निषेध की आवश्यकता है, तभी तक सब ठीक है।
महाराजजी ने समुन्द्र मठ से जुड़ी कई रोचक कहानियाँ सुनाई । उन्होंने कहा कि मानव बुद्धि और ज्ञान का हरण करता है। ठीक उसी तरह जैसे कि राक्षसी दानवों ने समुद्र तट पर भगवान की
बाल लीलाओं का वर्णन किया है।

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