उतरौला बलरामपुर- नगर सहित आस पास के ग्रामीण अंचलों में नाग पंचमी का पर्व बड़े ही श्रद्धा,भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह से ही लोगों ने स्नान ध्यान कर घरों में पूजन की तैयारियां शुरू कर दीं हैं। महिला ओं ने घर के आंगन और दीवारों पर गोबर से नाग देवता की आकृ तियां बनाईं गई और दूध, लावा, अक्षत, कुशा आदि अर्पित कर विशेष पूजन किया गया।लोगों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया और घरों के आस-पास स्थित शिव मन्दिरो में जाकर पूजा-अर्चनाकी। इस पर्व को परंपरागत रूप से गुजिया, खस्ता, कचौड़ी, पूड़ी-सब्जी सहित अन्य स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए गए। घरों में उत्सव जैसा माहौल रहा।हर वर्ष की भांति इस बार भी नगर के प्राचीन दुःख हरण नाथ मन्दिर, राजगद्दी मैदान में पारम्परिक रूप से नाग पंचमी मेला लगा। मेले में नगर व आस पास के ग्रामीण अंचलों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। छोटे बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिला। बच्चों ने पारम्परिक "गुड़िया पीटने" की रस्म निभाई गई, जो कि नाग पंचमी से जुड़ी एक लोक परम्परा है। माना जाता है कि इस दिन गुड़िया प्रतीकात्मक असुर को पीटने से बुराइयों का नाश होता है, और वाता वरण शुद्ध होता है। मेले में लगे झूलों,खिलौनों और मिठाइयों की दुकानों पर भारी भीड़ लगी रही। स्त्री,पुरुष, बच्चे,युवा और बुजुर्गों ने मिलकर इस पर्व को सांस्कृतिक उत्सव का रूप दिया। मन्दिर के प्रांगण में दिनभरभजन- कीर्तन का आयोजन होता रहा, जिससे वाता वरण भक्तिमय बना रहा महन्त मयंक गिरी ने इस अवसर पर बताता कि नाग पंचमी का पर्व शिव भक्ति व नागों की आराधना का पर्व है। यह पर्व सृष्टि की रक्षा, पर्यावरण सन्तुलन और आध्यात्मिकजागरूकता का संदेश देता है। मन्दिर में हर वर्ष की तरह विशेष रूप से पूजा अर्चना के साथ रुद्रा भिषेक, हवन और आरती की जाती है।इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सन्तुलन, सुख-समृद्धि और रोगों से मुक्ति भी मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नाग कथा का श्रवण और पाठ विशेष फलदायी होता है। कथा के अनुसार एक ब्राह्मण परिवार में नाग पंचमी के दिन गलती से नाग को मार दिया गया, जिससे नागराज ने क्रोधित होकर बदला लिया। लेकिन ब्राह्मण की पुत्री ने श्रद्धापूर्वक नाग देवता की पूजा की और क्षमा याचना की। इससे प्रसन्न होकर नागराज ने जीवनदान दिया और तभी से यह पर्व नागों की आराधना के रूप में मनाया जाता है। इस प्रकार नाग पंच मी का पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामा जिक समरसता का प्रतीक बनकर नगर वासियों को एक आस्था और आनन्द से भर गया है।
हिन्दी संवाद न्यूज से
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उतरौला बलरामपुर।
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