अधिकतर बागों में आम तोड़ लिए गए हैं,जबकि कुछ बागों में बचे हुए आम को पेड़ पर ही छोड़ दिया गया है। ताकि वे बिना केमिकल और कृत्रिम की प्रक्रिया के प्राकृतिक रूप से पक सकें। इस प्रकार के आम को स्थानीय भाषा में 'डाल का आम' कहा जाता है, जो स्वाद और गुणवत्ता दोनों में बेहतरीन तरीके से माने जाते हैं। वहीं पर बाजा रों में इन दिनों दशहरी, चौसा, बॉम्बईया,लंगड़ा, तुकमी आदि प्रजातियों के आम बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश आम कार्पेट विधि से कृत्रिम रूप से पकाए जा रहे हैं, जिसमें रसायनों अथवा गंधक जैसे तत्वों का प्रयोग किया जाता है। इसके चलते स्वास्थ्य विशेषज्ञ आम के सेवन को लेकर लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
स्थानीय चिकित्सक डॉ नजर मोहम्मद खां व डाक्टर एहसान खान का कहना है कि इस भीषण गर्मी में यदि आम को बिना उचित साफ सफाई के खाया जाए तो यह उल्टी, दस्त, पेट दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि बाजार से लाए गए आमों को कम से कम 2-3 घंटे तक साफ पानी में भिगोकर रखना चाहिए, और इसके बाद उन्हें तीन बार ताजे पानी से अच्छी तरह से धोने के बाद ही सेवन करना चाहिए। यह प्रक्रि या आम की सतह पर मौजूद रसायनों को काफी हद तक निष्क्रिय कर देती है और स्वास्थ्य को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने यह भी सलाह दिया कि बच्चे, बुजुर्ग और पेट के रोगी आम खाने से पहले विशेष सावधानी बरतें तथा एक बार में अधिक मात्रा में आम न खाएं। गर्मी के मौसम में आम का सेवन सीमित मात्रा में और सही विधि से करने पर यह सेहत के लिए लाभदायक हो सकता है।जनहित में यह भी आग्रह किया गया है, कि व्यापारी वर्ग आम को प्राकृतिक रूप से पकने दें, और रसाय नों का प्रयोग बन्द करें ताकि उपभोक्ता स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।
हिन्दी संवाद न्यूज से
असगर अली की खबर
उतरौला बलरामपुर।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know