कथा व्यास आचार्य जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि जब अत्याचारी कंस के पाप से धरती डोलने लगी तब भगवान विष्णु को एक बार फिर से अवतार लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि आकाशवाणी हुई थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा कंस का संहार होगा। इसी भय से कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए। वासुदेव जी ने श्रीकृष्ण को रात में ही नंदबाबा के घर गोकुल पहुंचा दिया। और वहां जन्मी कन्या माया को अपने साथ ले आए। कथा में भगवान के जन्मोत्सव का प्रसंग सुनकर भक्त आनंद से झूम उठे। भक्तों ने बाल रूप में श्रीकृष्ण का दर्शन पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया। कथा के दौरान नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन पर श्रद्धालुओं ने खूब ठुमके लगाए। देर रात तक पंडाल श्रोताओं से खचाखच भरा रहा। पंचम दिवस कथा का शुभारंभ पूर्व सांसद दद्दन मिश्र व कोतवाली देहात के प्रभारी निरीक्षक बृजानंद सिंह ने आरती उतारकर किया। कथा के आयोजक इन्द्र प्रकाश त्रिपाठी, किरन त्रिपाठी, सुनील त्रिपाठी, प्रदीप त्रिपाठी, अविनाश त्रिपाठी, सुरभी त्रिपाठी, स्वाती त्रिपाठी, यथार्थ शुक्ल, रुद्रांश, शौर्य त्रिपाठी आदि ने लोगों का स्वागत किया। इस मौके पर वासुदेव प्रसाद मिश्र, दुर्गेश मिश्र, अरुणेन्द्र कुमार मिश्र, निलय मिश्र, शिव कुमार द्विवेदी, राजेश साहू, शिव पूजन यादव सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
उमेश चन्द्र तिवारी
9129813351
हिन्दी संवाद न्यूज
बलरामपुर
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