बलरामपुर- माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर एवं एम एल के पी जी कॉलेज बलरामपुर बीएड विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के तीसरे दिन महाविद्यालय सभागार में गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हाइब्रिड मोड पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने योग ज्ञान व अनुभव का संगम विषय पर अपने अपने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह व महाविद्यालय प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय की अनुमति से नोडल अधिकारी विभागाध्यक्ष बीएड प्रो0 राघवेंद्र सिंह , योग प्रशिक्षक डॉ वीरेन्द्र विक्रम सिंह, डॉ लवकुश पाण्डेय,डॉ के के सिंह,लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान,डॉ पंकज गुप्त ने दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। कार्यक्रम अध्यक्ष मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि "योग चित्त वृत्ति निरोध" का ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि हज़ारों साल पहले था। ऐसे युग में जहाँ हमारा मन लगातार सूचनाओं, सूचनाओं और विकर्षणों से घिरा रहता है, मन को शांत करने की क्षमता एक दुर्लभ कौशल बन गई है। मन के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के तरीके के रूप में योग का अभ्यास करने से हमारे मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक कल्याण और जीवन की समग्र गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि व महायोगी गुरु गोरखनाथ जी ने योग के सैद्धांतिक दृष्टिकोण के साथ साथ उसके प्रायोगिक दृष्टिकोण के अनुपालन पर बल दिया है। कुलपति प्रो0 सिंह ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय सम्पूर्ण विश्व ने भारत के इस योग साधना का लोहा माना। योग प्रशिक्षक डॉ वीरेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा कि योग का उद्देश्य केवल शारीरिक तंदुरुस्ती या लचीलापन नहीं है, बल्कि मुख्य रूप से मन की व्याकुलता और अशांति की प्रवृत्ति को नियंत्रित करना है। बलरामपुर हॉस्पिटल लखनऊ के डॉ नन्द लाल जिज्ञासु ने जलनेति क्रिया की जानकारी दी। अंतरराष्ट्रीय नेचुरोपैथी संगठन के जोनल सचिव अनिल कुमार सिंह ने योग को लोककल्याण की भावना से योगदर्शन पर विचार व्यक्त किए। वहीं नेपाल राष्ट्र के योगदर्शन विशेषज्ञ स्वामी ज्ञानमित्र ने कहा कि योग धारण करने की चीज है।योग मन को प्रभावित करता है। प्रख्यात कवि व पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी प्रो0 चंद्रेश्वर पाण्डेय ने कहा कि योग मानव को प्रकृति से जोड़ता है और समस्त कलाओं को नियंत्रित करने में सहायक है। नोडल अधिकारी प्रो0 राघवेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने सभी का स्वागत किया। तकनीकी दृष्टिकोण से डॉ अभिषेक सिंह व आदित्य प्रताप सिंह कार्यक्रम का सराहनीय योगदान रहा। समापन राष्ट्रगान से हुआ। संगोष्ठी में ऑनलाइन माध्यम से अमेरिका,नेपाल, सहित देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रतिनिधि जुड़े और विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर राजकीय डिग्री कॉलेज के डॉ उपेन्द्र सोनी, बलरामपुर मॉडर्न इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य हेमंत तिवारी, डॉ लवकुश पाण्डेय,डॉ के के सिंह,डॉ पंकज गुप्त,डॉ के के मिश्र,श्रीनारायण सिंह,डॉ अभिषेक सिंह,आदित्य सिंह व डॉ विशाल गुप्त आदि मौजूद रहे।
हिन्दी संवाद न्यूज से
रिपोर्टर वी. संघर्ष
बलरामपुर।
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