उतरौला बलरामपुर -कर्बला के 72 शहीदों की याद में मनाए जाने वाला मोहर्रम का चांद गुरुवार को दिखने के बाद इसका आगाज़ हो गया है। 27 जून दिन शुक्रवार से मोहर्रम की पहली तारीख शुरू हो गई है। मोहर्रम कमेटी के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर आरिफ रिज़वी ने बताया कि माहे मोहर्रम की तैयारियां पूरी हों चुकीं हैं। इमाम बाड़ा व घरों की साफ- सफाई का काम मुकम्म ल हो चुका है। मोहर्रम नगर व ग्रामीण अंचल जैसे अमया देवरिया, रेहरा माफी, रैगांवा सादुल्लाह नगर के मीर पुर, पचपेड़वा, तुलसीपुर व बलरामपुर सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में पूरी अकीदत के साथ मनाया जाता है। नौ मोहर्रम की रात में इमाम हुसैन के रौजे की नकल ताजिया को घरों के चौक व इमाम बाड़ा में रखकर फातिहा दिलाने की परम्परा गत से चलीं आ रही है।10 वी मोहर्रम के दिन शाम लगभग सात बजे ताजिया को कर्बला में दफन किया जाता है। जनपद बलरामपुर की ताजियादारी पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। जिले सहित उतरौला व आस पास क्षेत्रों के घरों व इमाम बाड़ा में बड़े व छोटे ताजिया बांस व कागज से बनाकर तैयार किए जा रहे हैं। डॉक्टर आरि फ ने बताया कि गुरुवार की शाम मोहर्रम का चांद देखते ही लोग गम जदा हो जाते है। उसी रात से इमाम बाड़ा व घरों में मजलिस का दौर शुरू होकर 10 वीं मोहर्रम तक चलता है। उन्होंने यह भी बताया कि नौवीं तारीख को शाम को कस्बा सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में ताजिया रखने के बाद 10 वीं तारीख को मज लिस के बाद अलम का मातमी जुलूस निकाला जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि गम का यह महीना पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके 71 साथियों की हक के रास्ते पर चल कर मिली है अजीम शहादत, पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इसलिए सभी लोग शांति एकता व भाई चारे के साथ सरकारी निर्देशानुसार मोहर्रम की परम्परा गत मनाएं ताकि किसी को कोई असुविधा न होने पाए। मोहर्रम का पाक महीना शुरू होते ही नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जगह जगह स्टाल लगाकर शरबत व ठंडा पानी निःशुल्क पिलाने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसी के साथ आगामी दस दिनों तक मजलिस काप्रोग्राम शुरू हो गया है। कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों के बारे में मौलाना खिताब फरमाएंगे।उतरौला तहसील व आस पास के क्षेत्र में बड़े शानो शौकत के साथ शिया सुन्नी समुदाय के लोग मिलजुल कर माहे मोह र्रम का एहतमाम करते हैं। उतरौला में पहली मोहर्रम से लेकर 10 वीं मोहर्रम तक 25 से ज्यादा इमामबाड़ों में फजर नमाज के बाद से देर रात्रि तक मजलिसों का सिलसिला जारी रहता है और अजादारी भी की जाती है। शिया व सुन्नी समुदाय के साथ-साथ हिन्दू भाइयों को भी ताजिया में बड़ी आस्था है। रानीपुर, बदलपुर तिराह, गैड़ास बुजुर्ग, गायडीह, हुसैना बाद, इटई रामपुर जैसे गांव में हिन्दू मुस्लिम मिलकर इमाम हुसैन की याद में आलीशान ताजिया रखते हैं। मोह र्रम से पहले शहर में साफ सफाई इमामबाड़ों की पुताई का कार्य मुकम्मल हो चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि इमाम हुसैन की याद में पूरी दुनिया में लोग बगैर मजहब मिल्लत में फर्क के अकीदत के साथ जारी रखते हैं। इमाम हुसैन और उनके परि वार की याद में जगह- जगह हुसैनी भाई पानी की सबील लगाते तथा नियाज़ फातिहा आदि वगैरा करते हैं। उतरौला में इस वर्ष मौलाना सिबते हैदर, मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना फिदा हुसैन के अलावा बाहरी उलेमा भी मज लिस को खिताब करेंगे। देश विदेश में रहकर काम करने वाले लोग भी मोहर्रम में अपने वतन आकर इमाम हुसैन की अज़ादारी करते हैं। डॉक्टर आरि फ ने नगर पालिका, बिजली विभाग व शासन प्रशासन से सहयोग करने की मांग  की है।

           हिन्दी संवाद न्यूज से
         असगर अली की खबर
           उतरौला बलरामपुर
           

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