*अगले एक साल में देश को 10 लाख एआई एक्सपर्ट्स की जरूरत होगी -डॉ. राजेश्वर सिंह*
*भारत में एआई क्रांति: 14 गुना वर्कफोर्स वृद्धि से वैश्विक नेतृत्व की ओर - डॉ. राजेश्वर सिंह*
*स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स 2024: भारत की एआई स्किल स्कोर अमेरिका और जर्मनी से आगे 2.8 - डॉ. राजेश्वर सिंह*
*उत्तर प्रदेश में एआई नवाचार की शुरुआत: ₹100 करोड़ की सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्रोजेक्ट्स - डॉ. राजेश्वर सिंह*
*डॉ. राजेश्वर सिंह का संकल्प: 50,000 युवाओं को एआई व डिजिटल कौशल प्रशिक्षण*
*लखनऊ।* सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्रांति पर विस्तृत विचार साझा करते हुए कहा कि AI सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर भविष्य का इंजन है। Stanford AI Index 2024 के अनुसार, भारत का AI स्किल स्कोर 2.8 है जो अमेरिका (2.2) और जर्मनी (1.9) से भी आगे है। 2016 से 2023 के बीच भारत में AI वर्कफोर्स 14 गुना बढ़ी है, और 2026 तक 10 लाख पेशेवरों की आवश्यकता होगी। भारत जेनरेटिव AI में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है, जहाँ 80% कंपनियाँ AI को प्राथमिकता दे रही हैं।
विधायक ने आगे जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने नीति निर्माण और शिक्षा में AI को केंद्र में रखा है। AICTE के अनुसार, B.Tech सीटों में 14.9 लाख तक की वृद्धि हुई है और भारत का AI बाजार 2025 तक $28.8 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में ₹100 करोड़ की लागत से AI उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की जा रही है और 184 पॉलिटेक्निक संस्थानों में AI प्रशिक्षण शुरू हो चुका है।
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि सरोजनीनगर को AI उत्कृष्टता का मॉडल क्षेत्र बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। यहाँ 20 एकड़ क्षेत्र में उत्तर भारत की पहली AI सिटी विकसित हो रही है। अब तक 31 कॉलेजों में डिजिटल इंटरएक्टिव पैनल, 30 में डिजिटल लाइब्रेरी और 14 “रण बहादुर सिंह डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्र” स्थापित किए गए हैं। उनका लक्ष्य है कि 50,000 युवाओं को AI और डिजिटल स्किल्स में निःशुल्क प्रशिक्षित किया जाए।
डॉ. सिंह ने कहा, “जहां दुनिया संभावनाएं देख रही है, भारत समाधान दे रहा है। आज AI का अर्थ है आकांक्षी भारत, प्रगतिशील भारत और आत्मनिर्भर भारत।” उनके नेतृत्व में सरोजनीनगर, तकनीकी समावेशन और युवा सशक्तिकरण के माध्यम से डिजिटल भारत की पहचान बन रहा है।
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