मुख्यमंत्री ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के कार्यां की समीक्षा की

दिव्यांग युवाओं के लिए संचालित शैक्षिक संस्थानों में प्रशासनिक तंत्र को संवेदनशील, सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता : मुख्यमंत्री

प्रदेश के सभी बचपन डे केयर सेन्टरों, मानसिक मन्दित आश्रय केन्द्रों, समेकित विद्यालयों तथा ‘ममता’, ‘स्पर्श’ और ‘संकेत’ विद्यालयों का व्यापक निरीक्षण किया जाए

समस्त जनकल्याणकारी योजनाएं पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुसज्जित हों, लक्षित लाभार्थियों को समयबद्ध रूप से लाभ प्रदान करें

विगत 08 वर्षों में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के बजट में दस गुना से अधिक वृद्धि की गई, जो दिव्यांगजनों के प्रति सरकार की संवेदनशील प्रतिबद्धता को दर्शाती

राज्यस्तरीय अभियान चलाकर पता लगाया जाए कि किन पात्र व्यक्तियों को अभी तक पेंशन नहीं मिल रही, साथ ही लाभ लेने वाले अपात्रों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाए

‘कोक्लियर इम्प्लाण्ट योजना’ तभी प्रभावी हो सकती, जब नवजात स्तर से ही उपचार प्रारम्भ हो

‘डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय’ तथा ‘जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय’ में कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए

प्रदेश के सभी 18 मण्डल मुख्यालयों पर ‘दिव्यांग पुनर्वास केन्द्रों’ की स्थापना प्राथमिकता के आधार पर की जाए


लखनऊ : 21 मई, 2025


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अपने सरकारी आवास पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के कार्यां की समीक्षा की तथा सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दिव्यांग युवाओं के लिए संचालित शैक्षिक संस्थानों में प्रशासनिक तंत्र को संवेदनशील, सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता है। कुछ अराजक तत्वों द्वारा सुनियोजित ढंग से दिव्यांगजनों के विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भ्रम फैलाकर उन्हें अवांछित और समाजविरोधी गतिविधियों की ओर प्रवृत्त करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। ऐसी प्रवृत्तियों के प्रति हमें पूर्णतः सतर्क रहते हुए विद्यार्थियों की सुरक्षा और मानसिक-सामाजिक संरक्षण सुनिश्चित करना होगा। इन संस्थानों में सहायता के नाम पर प्रस्ताव देने वाली बाहरी संस्थाओं की पृष्ठभूमि की गहन जांच-पड़ताल के उपरान्त ही उनकी अनुमति दी जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के सभी बचपन डे केयर सेन्टरों, मानसिक मन्दित आश्रय केन्द्रों, समेकित विद्यालयों तथा ‘ममता’, ‘स्पर्श’ और ‘संकेत’ विद्यालयों का व्यापक निरीक्षण किया जाए। यहां अध्ययनरत बच्चों से संवाद स्थापित कर उनकी आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और अभिभावकों की अपेक्षाओं को समझते हुए संस्थागत व्यवस्थाएं और अधिक सुदृढ़ की जाएं। इन विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए। जब तक नियमित नियुक्ति न हो, तब तक अन्य वैकल्पिक व्यवस्था से योग्य युवाओं की सेवाएं ली जाएं। इन युवाओं को भविष्य की चयन प्रक्रियाओं में वेटेज प्रदान किया जाना चाहिए।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की योजनाओं, उपलब्धियों तथा कार्ययोजनाओं की अद्यतन स्थिति से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि समस्त कल्याणकारी योजनाएं पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुसज्जित हों तथा लक्षित लाभार्थियों को समयबद्ध रूप से लाभ प्रदान करें। विगत 08 वर्षों में विभाग के बजट में दस गुना से अधिक वृद्धि की गई है, जो दिव्यांगजनों के प्रति सरकार की संवेदनशील प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को यह भी अवगत कराया गया कि दिव्यांगजन पेंशन योजना के अन्तर्गत वर्तमान में 11.04 लाख लाभार्थियों को 1,300 करोड़ रुपये की पेंशन राशि वितरित की गई है, जबकि कुष्ठरोग पीड़ित लगभग 12 हजार व्यक्तियों को 3000 रुपये प्रतिमाह की दर से सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्यस्तरीय अभियान चलाकर यह पता लगाया जाए कि किन पात्र व्यक्तियों को अभी तक पेंशन नहीं मिल रही है, साथ ही जो अपात्र लाभ ले रहे हैं, उन्हें भी चिन्हित कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत वित्तीय वर्ष में 35,136 दिव्यांगजनों को ट्राइसाइकिल, व्हीलचेयर, ब्रेल किट्स जैसे सहायक उपकरणों के लिए 28.93 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल योजना के अन्तर्गत 270 अत्यन्त दिव्यांगजन को 02 लाख रुपये तक के उपकरण उपलब्ध कराए गये। केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्रदेश के लाभार्थियों तक पूरी तत्परता से पहुँचे, यह सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल योजना में सांसदों और विधायकों से भी अपनी निधि से सहयोग देने का आग्रह किया जाए। दिव्यांगजनों को राज्य परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। बैठक में जानकारी दी गई कि बीते वित्तीय वर्ष में 31 लाख से अधिक दिव्यांगजनों ने इस सुविधा का लाभ उठाया।
‘कोक्लियर इम्प्लाण्ट योजना’ की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह योजना तभी प्रभावी हो सकती है, जब नवजात स्तर से ही उपचार प्रारम्भ हो। उन्होंने निर्देश दिए कि हाल ही में योजना से लाभान्वित 214 बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति का फॉलोअप करते हुए उनके परिवारों से संवाद स्थापित किया जाए।
शैक्षिक क्षेत्र की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि 25 जनपदों में स्थापित ‘चाइल्ड डे केयर सेन्टरों’ में दृष्टि, श्रवण एवं मानसिक रूप से दिव्यांग 1390 बच्चों को आवश्यक प्रशिक्षण एवं शिक्षा दी जा रही है। वर्तमान में राज्य में संचालित 16 विशेष विद्यालय, 07 समेकित विद्यालय एवं 05 मानसिक पुनर्वास केन्द्रों के माध्यम से 1680 बच्चों को आवासीय शिक्षा प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ स्थित ‘डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय’ तथा चित्रकूट स्थित ‘जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय’ में कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए और इन संस्थानों का प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय स्तर पर किया जाए ताकि देशभर के इच्छुक दिव्यांगजन इन संस्थानों से जुड़ सकें।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को यह भी जानकारी दी गई कि अब तक प्रदेश में 15 लाख दिव्यांगजन यू0डी0आई0डी0 पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं, जिनमें अधिकांश को यूनिक आई0डी0 कार्ड निर्गत किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के सभी 18 मण्डल मुख्यालयों पर ‘दिव्यांग पुनर्वास केन्द्रों’ की स्थापना प्राथमिकता के आधार पर की जाए ताकि पुनर्वास, शिक्षा और कौशल विकास से सम्बन्धित सेवाएं स्थानीय स्तर पर ही सुलभ हो सकें।

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