एक गंभीर मुद्दा लाखों बच्चे पिता के जिंदा रहते हुये भी पिता वहिन जीवन जीने को मजबूर है....

आप शीर्षक देखकर जरा चोक गये होगे लेकिन यह सच लाखों बच्चे पिता वहिन जीवन जीने को मजबूर है......

भारतीय अदालतों में लगभग 1 करोड़ वैवाहिक मुकदमे चल रहे है.....

पहले हम इतनी संख्या में वैवाहिक मुकदमे चलने के कुछ कारण जान लेते है.....

(1) अनेक झूठे वैवाहिक मुकदमे लगाकर पति से कानून की नोक पर अवैध धन उगाही लाखों करोड़ों में....

(2) एक पक्षीय महिला कानून 
महिला के पक्ष में भारतीय कानून में 50 के करीब कानून है 
जबकि पुरुष के पक्ष में एक भी कानून नहीं है

(3)पति पत्नी में किसी भी बात को लेकर अनबन होने 

(4)लड़की की शादी उसकी इच्छा के विरुद्ध कर देने पर... लड़की अपने प्रेमी संग शादी करना चाहती है लेकिन माता पिता उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी दूसरे लड़के से करवा देते है....

(5) लड़की की मां का लड़की के वैवाहिक जीवन में अत्यधिक दखल .....

(6) पत्नी का अपने प्रेमी को ना भूल पाना भी एक कारण है... वैवाहिक मुकदमे का...
 घरवाले के द्वारा की गई इच्छा विरुद्ध शादी को तोड़कर अपने प्रेमी संग रहने की तीव्र इच्छा..  

(7) व्याभिचार में लिप्तता भी एक मुख्य कारण है 

(8) पति पत्नी का एक दूसरे को समय ना दे पाना .....

(9)सास सुसर के संग नहीं रहना .....

(10) सोशल मीडिया फिल्में सीयरल इत्यादि ...


अब हम मुख्य मुद्दे पर आ जाते है ...पिता के जिंदा रहते हुए भी बच्चे पिता वहिन जीने को मजबूर है आखिर क्यों ??

पत्नी को जब पति से अलग होना होता है तब वह बच्चे को अपने संग ले आती है 

एंड मायके से पति के ऊपर अनेक झूठे वैवाहिक मुकदमे दायर कर देती है....एंड बच्चे को पिता विहीन जीवन जीने की मजबूर कर देती है ....

पत्नी के द्वारा पति के विरुद्ध बच्चों को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है....

ताकि बच्चे के नाम पर अधिक से अधिक धन उगाही कर सके....

पत्नी मायके में बैठकर कानून की नोक पर पति से अपना वह बच्चे का गुजारा भत्ता लेती रहती....झूठे वैवाहिक मुकदमे लगाकर कानून की नोक पर झूठे केस वापिस लेकर अलग होने के नाम पर लाखों करोड़ों की मांग करने लगती है ...


पति अनेक झूठे केस भी झेलता है वह झूठे केस डालने वाली पत्नी को अपनी मेहनत की कमाई भी देता रहता है 

 जिसमें उसका आर्थिक मानसिक वह शारीरिक शोषण होता रहता है..

उसी के पैसे उसी को बर्बाद करने हेतु इस्तेमाल किये जाते है

अदालतों के द्वारा पत्नी को वह बच्चे को गुजारा भत्ता का तो ऑर्डर पास कर दिया जाता है 

लेकिन एक पिता के लाख चाहने पर भी बच्चे से फोन पर बात करने या मिलने का ऑर्डर पास नहीं किया जाता...

कुछ अच्छे जज ऑर्डर पास भी कर देते है

लेकिन पत्नी फिर भी येन केन कारण बताकर पिता को तड़पाने हेतू बच्चे से ना फोन पर बात करवाती है ना ही मिलने देती है

वर्षों तक बच्चे से मिलने का ऑर्डर पास नहीं करने वाले कानून के रक्षकों पर विभाग के द्वारा कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होती है

एंड 
जिन केसों में पत्नी के द्वारा ऑर्डर पास होने पर मिलने नहीं दिया जाता अदालतें उन पत्नियों पर कोर्ट के ऑर्डर की अहवेलना की किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करती है 



पत्नी द्वारा डाले गए इन वैवाहिक मुकदमों में सबसे अधिक नुकसान बच्चों को होता है क्योंकि बच्चे के पता ही नहीं होता मेरा इस्तेमाल रुपए ऐंठने में किया जा रहा है

नन्हे बच्चों के दिमाग में पिता के प्रति जहर भर दिया जाता है

कानून के रक्षकों को पत्नी के अधिकार तो अच्छे से याद है लेकिन उनके कर्तव्य याद दिलाना उन्हें याद नहीं है

एक पिता के अधिकार भी उन्हें याद नहीं है

एक बच्चे का अधिकार भी उन्हें याद नहीं है

बच्चे के विकास के हेतू माता पिता दोनों का प्यार जरूरी होता है

अतुल सुभाष सुसाइड तो आपको याद ही होगा या भूल गए

पत्नी के द्वारा बच्चे का 40000 गुजारा भत्ता लिया जा रहा था लेकिन 120 कोर्ट तारीख पर एक बार भी बच्चे से मिलने नहीं दिया 

ऐसे लाखों अतुल है जिन्हें आज भी अपने बच्चे से एक मिनट हेतू भी मिलने की ऑर्डर कानून के रक्षकों द्वारा नहीं किया गया है...
वह अतुल बच्चे की याद कानूनी अत्याचार के कारण दुनिया से विदा हो गया....

क्या न्याय की कुर्सी पर बैठकर वह ट्रायल के दौरान मानवीय संवेदना भूल चुके है

यह समाज किस ओर जा रहा है 
जो बच्चे पितावहीन जीवन जी रहे है उनका भविष्य क्या होगा ईश्वर जाने..

यह लेख आप अधिक से अधिक शेयर करे ताकि न्याय की कुर्सी पर बैठे रक्षकों की संवेदना जगे...संसद में इस विषय पर आवाज उठे ....


एंड लाखों बच्चे जो पिता के जिंदा रहते हुए भी पिता विहीन जीवन जी रहे है वह अपने पिता से मिल सके 
एंड लाखों पिता अपने बच्चे की एक झलक नजदीक से देख सके...

न्याय की कुर्सी पर बैठकर केवल स्त्री के अधिकारों की तरफ झुकाव वह बच्चे वह पिता के अधिकार प्यार का गला घोंटना 
घोर अन्याय है

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