*22 अप्रैल 2025*

*छात्र जीवन से ही बच्चों में जागृत हो प्रकृति के प्रति समझ, संवेदना और संरक्षण की भावना - डॉ. राजेश्वर सिंह*

*माध्यमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में अनिवार्य हो पर्यावरण शिक्षा : डॉ. राजेश्वर सिंह ने सीएम योगी को लिखा पत्र*

*डॉ. राजेश्वर सिंह की मुख्यमंत्री से अपील: यूपी बोर्ड में पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य करें*

 *मूल्यों में निहित एक दृष्टिकोण: “पर्यावरणीय संवेदनशीलता की शुरुआत स्कूल से हो”*

 *पृथ्वी दिवस से हर दिन तक: पर्यावरण संरक्षण के लिए डॉ. सिंह की शिक्षा-केंद्रित अपील*

*भविष्य का पाठ्यक्रम: माध्यमिक विद्यालयों में प्रकृति साक्षरता को मुख्य विषय बनाएं*

 *मुख्यमंत्री को पत्र: डॉ. सिंह ने पाँच गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियाँ उजागर कीं*

 *“अगर अब नहीं, तो कब?” – कक्षाओं में जलवायु शिक्षा के लिए एक विधायक की पुकार*

 *नीति की शुरुआत शिक्षाशास्त्र से: पर्यावरणीय मुद्दों को यूपी बोर्ड की किताबों में शामिल किया जाए*

 *कक्षाओं से संरक्षण तक: भविष्य के हरित दूत बनेंगे बच्चे*

  *पर्यावरण संरक्षण के अनुरूप शिक्षा: उत्तर प्रदेश में पर्यावरण पाठ्यक्रम सुधार की मांग*

 *“प्रत्येक बच्चा बने प्रकृति का संरक्षक”: हरित भविष्य के लिए डॉ. सिंह की शैक्षणिक रूपरेखा*

*लखनऊ।* विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने एक बार फिर पर्यावरणीय मुद्दों पर गंभीर चिंतन, आंकड़ों पर आधारित चेतावनी और आशा की दिशा में ठोस प्रयासों का त्रिवेणी संगम प्रस्तुत किया है। डॉ. सिंह ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक विस्तृत पोस्ट के माध्यम से न केवल वैश्विक जलवायु संकट के प्रति चिंता व्यक्त की, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भेजकर पर्यावरण शिक्षा को उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा स्तर पर अनिवार्य विषय बनाने का आग्रह भी किया।

*मुख्यमंत्री को पत्र - “छात्र जीवन से ही प्रकृति संरक्षण का संस्कार” :*
डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में पाँच प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों का उल्लेख करते हुए माध्यमिक शिक्षा स्तर पर पाठ्यक्रम में पर्यावरणीय शिक्षा को अनिवार्य बनाने का आग्रह करते हुए लिखा कि “यदि बच्चों में प्रारंभ से ही प्रकृति के प्रति संवेदना और समझ विकसित की जाए, तो वे एक समृद्ध और सतत भारत के सशक्त रचयिता बनेंगे।” 

*अपने पत्र में विधायक ने विशेष रूप से इन पाँच चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया:*

जलवायु परिवर्तन – तापमान वृद्धि और आपदाओं में बढ़ोतरी।
जैव विविधता की हानि – 22% प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर।
प्लास्टिक प्रदूषण – समुद्री जीवन और मानव स्वास्थ्य को संकट।
जल संकट – 4% जल संसाधनों में 18% आबादी की निर्भरता।
वनों की कटाई – पारिस्थितिक असंतुलन और आपदा जोखिम में वृद्धि।

सरोजनी नगर विधायक ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपने सन्देश का आरंभ अथर्ववेद के मंत्र से करते हुए लिखा, "माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः" यह मंत्र उनकी सोच का केंद्र बिंदु है, जहाँ पर्यावरण कोई नीति नहीं, एक संस्कार है।

*गर्म होता ग्रह, ठंडी पड़ती संवेदनाएँ :* 
डॉ. सिंह ने आंकड़ों के माध्यम से चेताया कि वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया है। औसत वैश्विक तापमान: 15.1°C, जो पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.6°C अधिक है। भारत में 2019 में 23 लाख समयपूर्व मौतों का कारण केवल वायु और जल प्रदूषण रहा। भारत की 100% आबादी PM2.5 प्रदूषण स्तर से अधिक क्षेत्रों में रह रही है। उनके द्वारा प्रस्तुत ये आंकड़े ध्यान खीचते हैं, "अब संकट की ओर नहीं बढ़ रहे, हम संकट में जी रहे हैं।"

*सरोजनीनगर: जहाँ हर पौधा एक संकल्प है :*
सिर्फ जागरूकता नहीं, सरोजनीनगर में धरातलीय क्रियान्वयन भी उतना ही प्रेरणादायक है: 28,000 ईको-फ्रेंडली बैग्स तारा शक्ति केंद्रों की महिलाओं ने बनाए और बच्चों में वितरित कर प्लास्टिक मुक्त भारत के संकल्प को मूर्त रूप दिया। पिछले वर्ष 200 रुद्राक्ष के पौधों का धार्मिक, औषधीय एवं वैज्ञानिक महत्व के साथ रोपण हुआ। इस वर्ष 1 अगस्त से 2,000 फलदार वृक्षों (आम, जामुन, महुआ, इमली, कटहल) का रोपण प्रस्तावित। हर पौधे की सिंचाई, देखभाल और सुरक्षा को ‘वृक्ष रक्षा यज्ञ’ के रूप में लिया गया है।

*जन सहभागिता का आह्वान :*
विधायक ने अपने सन्देश में लिखा 1 अगस्त से प्रारंभ हो रहे वृक्षारोपण अभियान में सभी RWA's, स्कूल, ग्राम प्रधान और सामाजिक संगठनों से भागीदारी का विनम्र अनुरोध है। आइए, हम सब मिलकर हरियाली का यह संकल्प साझा करें।

*एनवायरर्मेंट वारियर्स बना एक जनांदोलन :*
पर्यावरण संरक्षण की भावना को राज्यव्यापी आंदोलन में बदलते हुए विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के प्रयासों से ‘एनवायरर्मेंट वारियर्स अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के 3 चरणों में अब तक तराई के प्रमुख वनक्षेत्रों पलिया कलां (खीरी), कतर्नियाघाट (बहराइच), और मुस्तफाबाद (पीलीभीत) में अब तक 90 वन रक्षकों को साइकिल, 15 वनकर्मियों को सम्मान, 35 स्कूलों के 500 से अधिक छात्रों को क्विज़ और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के माध्यम से पर्यावरण योद्धा बनने को प्रेरित किया गया।


डॉ. सिंह का यह आग्रह केवल एक विधायक का निवेदन नहीं, बल्कि एक विजनरी नागरिक का सतत विकास की दिशा में संकल्पित हस्तक्षेप है। आज जब जलवायु परिवर्तन आंकड़ों से आगे बढ़कर हमारे जीवन को प्रत्यक्ष प्रभावित कर रहा है, तब सरोजनीनगर एक ‘स्थानीय समाधान के वैश्विक उदाहरण’ के रूप में उभर रहा है। डॉ. राजेश्वर सिंह की सोच में तथ्य, तात्कालिकता और भावनात्मक जुड़ाव का दुर्लभ संतुलन है।

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