*प्रपोज़ डे – मेरी दिकु, मेरा इकरार* 
तेरी आँखों में जो प्यार झलकता है,
वही मेरी रूह तक महकता है।
हर धड़कन में तेरा ही नाम बसा है,
दिकु, तू ही मेरा पहला और आखिरी किस्सा है।
सांसों में खुशबू है तेरे एहसास की,
हर शाम है मेरी अब तेरी तलाश की।
आज जुबां पर वही बात ले आया हूँ,
जिसे सदियों से दिल में दबाया हूँ।
ना चाँद चाहिए, ना तारों का जहाँ,
बस तेरा साथ हो, रहूं मैं वहां, तुम रहो जहां।
आज तुझसे कहता हूँ दिल की सदा,
दिकु, क्या तेरा हूँ मैं? क्या तुम हो मेरी सदा?
Awaiting.Prem – सिर्फ अपनी दिकु के लिए 
प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
सूरत, गुजरात

.jpg)

एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know