उतरौला बलरामपुर- आदर्श नगर पालिका परिषद उतरौला के मोहल्ला रफ़ी नगर में शनिवार की रात्रि में आल इण्डिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुशायरे के मुख्य अतिथि डॉक्टर ओ एन पाण्डेय रहे।
कार्यक्रम की सरपरस्ती कर रहे डॉक्टर सनाउल्लाह खान व अध्यक्षता डॉक्टर एहसान खान ने की और मुशायरे का संचालन नदीम फारूक ने किया। डॉक्टर सनाउल्लाह खान, डॉक्टर एहसान खान, डॉक्टर अताउल्लाह खान व डॉक्टर रफीउल्ला खान के द्वारा मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों को फूल माला व अंग वस्त्र भेटकर उनका स्वागत व सम्मान किया गया। मुशायरे का आगाज़  शायर डॉक्टर नदीम शाद ने नात ए पाक पढ़कर किया। जमील खैराबादी ने पढ़ा,फज़ा जमाने की इस तरह पाक साफ रहे, वह चाहता है कि जहनों में एख्तिलाफ रहे। हाशिम फिरोजाबादी ने पढ़ा कि और क्या चाहिए इक बदन के लिए, यह तिरंगा बहुत है कफन के लिए। सरहदों पर हमें भेज कर देखिए, जान दे देंगे हम भी वतन के लिए। साथी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को इल्म हासिल कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए ग़ज़ल पढ़, खूब वह वही बटोरी। सबा बलरामपुरी ने पढ़ा, न जहमत हो तुमको, तो यह है गुजारिश, मोहब्ब त को रुसवाईयों से बचाना।कुंवर जावेद ने अपनी बेहद मशहूर गीत पेश किया, गुल मोहर गुलनार चमेली तुमको फूलों में फूलों की रानी कैसे मानू, मेरे मन के आंगन में एक बार खिलो तो जानू। सायरा चांदनी शबनम ने अपने दिलकश अंदाज में पढ़ा, जो चाहते हो कि रोशन हो नाम दुनिया में तो उसके वास्ते तालीम भी जरूरी है।माले गांव के मशहूर शायर अल्ताफ जिया ने अपने बेहतरीन अंदाज में पढ़ा, कभी चिराग कभी महताब देखते हैं, अजीब हम हैं हर वक्त ख्वाब देखते हैं।
डॉक्टर नदीम शाद ने पढ़ा, चलो यह आज नहीं कल जरूर टूटेगा, गुरुर किसका रहा है गुरुर टूटेगा।शादाब आज़मी ने पढ़ा, किसने आखिर यह कहा शिक वा गिला करने को, रब ने बख्शी है जबां शुक्र अदा करने को, आपसे हो ना सकेगा मुझे है मालूम यह, हौसला चाहिए इजहारे वफा करने को।मशहूर हास्य कवि विकास बौखल की पत्नी ने अपनी व्यथा सुना कर श्रोता लोग लोटपोट हो रहे थे। श्रोताओं की मांग पर हास्य कवि विकास बौखल को कई बार माइक पर वापस आक र हास्य व्यंग सुनने पड़े। जिसका दर्शनको ने खूब आनन्द लिया। साहिल इलाहाबादी ने अपनी इंकलाबी शेर, गद्दारी मेरे खून में शामि ल ही नहीं ऐ ख़ाके वतन, मैं तो वफादार रहूंगा। सरहद पर अपनी जान लुटाने के लिए, तैयार था तैयार हूं तैयार रहूंगा। पढ़कर लोगों में वतन परस्ती के जज्बात भर दिए। कवि राम प्रकाश गौतम ने पढ़ा, इल्ज़ाम किसका है जो हमें दे रहे हैं, कसूर वार तो आसमां है, जो कि जमीं को दे रहे हैं। कवित्री प्रतिभा यादव ने पढ़ा, बिछा के राहों में फूल तेरी दिए वफा के जल रही हूं। वो तार बज रहे हैं मन के, अगर वह आए बहार आए, यूं मेरे दिल को करार आए, इसे न तुम सिर्फ गीत समझो, सज न मैं तुमको बुला रही हूं। सायरा निकहत मुरा दा बादी ने पढ़ा, यह दिल के टूटे हुए भी कमाल करते हैं। हजार गम है मगर मुस्कुराए जाते हैं। हम उर्दू वालों की सोहबत में बैठ कर देखो, यहां सऊर और सलीके को सिखाए जाते हैं।डुमरियागंज के अधिशासी अधिकारी व कवि महेश श्रीवास्तव ने पढ़ा, घर मेरा जिसके घर से बहुत दूर नहीं है। सिंपल सी है वह, जन्नत की कोई हूर नहीं है।सब लहरपुरी ने पढ़ा चाहत के हैं जाम हमारी आंखों में,है इश्क के सुबहशाम हमारी आंखों में,मुशाय रा के आयोजन में रिजवानुल्ला,कलीमुल्लाह, सलमान रज़ा, मो हम्मद फिरोज, मोहम्मद शमी, अशफाक आदि लोगों का सराहनीय योगदान रहा। इस मौके पर चेयरमैन प्रतिनिधि अनूप चन्द गुप्ता,  डॉक्टर अब्दुर्रहीम सिद्दी की, डॉक्टर अब्दुल कय्यूम, मसूद आलम खान, समीर रिज़वी पूर्व विधायक रामसागर अकेला, सूरज सिंह, बैजनाथ दूबे, अरशद खान, इरफान मलिक, परवेज उमर,एस आर करीम सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

          हिन्दी संवाद न्यूज से
         असगर अली की खबर
          उतरौला बलरामपुर। 

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