उतरौला बलरामपुर विकास खण्ड गैडास बुजुर्ग अन्तर्गत ग्राम पंचायत टेढ़वा तप्पा बाक के मजरा धर्मपुर में एकता कमेटी के अध्यक्ष जुबेर अहमद व मोहम्मद आसिफ के अध्यक्षता में बुधवार की रात्रि को लगभग आठ बजे से तालिमी व इस्लामी कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है।इस कार्यक्रम को मौलाना डाक्टर असजद साहब शाही मुरादाबादी ने अपने कलामे पाक की तिलावत से कान्फ्रेंस का आगाज किया। कान्फ्रेंस में आए मुख्य अतिथि जमेतुल उलमा हिन्द के सदर मौलाना सैय्यद महमूद मदनी ने मौजूद जायरीनों को हिदायत देते हुए कहा कि अल्लाह और अल्लाह के रसूल के फरमान पर जो भी चला उसकी हर मुश्किल आसान होती गई।नबी ने अपने ज़िन्दगी में दुखियों की मदद कर जो भी पैगाम को उसका पालन हमें करने की जरूरत है। उन्होंने सारे कायनात को यह नसीहत दी, कि कोई दुःखी हो तो उसकी मदद जरूर करें,जो लोग उनकी सीरत पर अमल करते हैं,आज वह सफल माना जाता है।अल्लाह ने अगर किसी को दौलत से नवाजता है,तो उसका यह फर्ज बनता है कि वह अपने पड़ोसियों का ख्याल रखें। जीवन में अगर किसी को परेशानी व तकलीफ होती है, तो उसमें स्लीक होकर उसकी मदद जरूर करें। और हमेशा सच का साथ देने की कोशिश करें। उन्होंने यह भी कहा कि पूरी दुनिया इंसानियत पर ही टिकी हुई है,इंसानियत से ही दिलों को जीता जा सकता है दुनिया में सभी इंसान अल्लाह के बन्दे हैं। और अल्लाह अपने सभी बन्दों से बे इंतेहा मोहब्बत करते हैं, इसलिए इंसान को इंसान से मोहब्बत करना चाहिए और एक दूसरे के साथ सुख दुःख का साथी होना चाहिए। इस अवसर पर मौजूद मौलाना कुतुबुद्दीन हैदराबादी ने अपने तकरीर में कहा कि हर मुसलमान दुनिया दारी के दलदल से निकल कर अपने आखिरत की फ़िक्र करो,आखिरत की फ़िक्र के साथ साथ मगफिरत की मंजिल पर पहुंचने के लिए अल्लाह से अपने गुनाहों से तौबा करो। कांफ्रेंस में आएं मौलाना नजीब कटिहार ने अपने तकरीरी प्रोग्राम में कहा कि मुसलमानों को दहेज लेने और देने की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं है हालांकि यह वास्तव में की मुस्लिम समाज की इस संस्कृतियों में ज्यादा तर बढ़ गई है जो कि बहुत ही निंदनीय कार्य है उन्होंने मौजूद लोगों से कहा कि शादी में होने वाली फिजूल खर्चो को बन्द करके मस्जिदो में सादगी से निकाह वगैरा करने और दहेज के लेन-देन को पूरी तरह से छोड़ने का आवाहन किया। इसी मौके पर मौलाना मोहम्मद आसिफ ने संचालन करते हुए कहा कि अल्लाह ताला ने दुनिया के तमाम मखलूक आत में आदमी को अशरफुल मखलूकात बनाया है लिहाजा अशरफुल मखलूकात की विशेष जिम्मेदारी बनती है कि मुआशरा को तमाम बुराइयों व खुराफात रस्मों से निजात दिलाने हुए अल्लाह ताला और नबी अख्तज्जमा के उपदेशों का पालन करें, ऐसा नहीं करने वालो पर अल्लाह और उसके रसूल की न फरमानी मानी जायेगी। इसी बीच दिल खैराबादी ने अपने अंदाज में एक नातिया कलाम पढ़कर लोगों का दिल जीत लिया और मौजूद लोगों ने वाहवाही करने लगे। तकरीर के समापन होने के बाद मौजूद आलमों ने अपने मुल्क के लिए सलामती की दुआ मांगी।
हिन्दी संवाद न्यूज से
असगर अली की रिपोर्ट
उतरौला बलरामपुर।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know