*विरह की वेदना*
किससे कहूं ये दिल का हाल,
तेरे बिना, हो गया हूँ मैं बेहाल।
हर पल तेरी याद में डूबा हूँ,
तेरे बिना बस ख़ामोश सा खड़ा हूँ।
जब तू थी, रंगीन था ये जहां,
अब तेरे बिना, हर पल, हर लम्हा है वीरान।
तकलीफ़ ये मेरे दिल में समाई है,
तेरी यादों ने आँसू की धारा बहाई हैं।
किसे सुनाऊं ये दर्द भरा गीत,
तेरे बिना सब लगता है मुझे अतीत।
लौट आ, अब और ना तड़पा मेरे मीत,
तेरे बिना प्रेम के जीवन का सुना पड़ा है संगीत।
तेरे बिना प्रेम के जीवन का सुना पड़ा है संगीत।
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
— प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
सूरत, गुजरात
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