अंबेडकरनगर । चन्द्रा साहित्य परिषद (ट्रस्ट) की संस्थापक स्व. चंद्रावती नरेश के 59 वें जन्म दिन के अवसर पर आज प्रभात नगर चितईपुल स्थित चंद्रा साहित्य परिषद के सभागार में रिश्तों का एहसास 'काव्य स्मारिका' का विमोचन एवं कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया I दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात स्व. चंद्रावती नरेश के चित्र पर माल्यार्पण तथा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों को अंग वस्त्र , प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया I चंद्रावती नरेश के जीवन परिचय और व्यक्तित्व पर वक्ताओं ने विस्तार से व्यक्त किया। शिक्षा के विकास की दिशा में और कार्य करने के उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने को निर्देशित किया गया I समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु सुप्रसिद्ध कवि एवं मंच संचालक आंबेडकर नगर , विशिष्ट अतिथि द्वय दिनेश चंद्र पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी पी डी डी यू मंडल चंदौली , जाने - माने गीतकार एवं शान ए काशी डॉ. महेंद्र नाथ तिवारी अलंकार और इंडियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट (आई ए जे ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कैलाश सिंह विकास , वरिष्ठ पत्रकार की गरिमा मयी उपस्थिति में प्रसिद्ध गजलकार सिद्ध नाथ शर्मा "सिद्ध " के सफल संचालन में कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ जो रात आठ बजे तक चला I कवि राम नरेश 'नरेश' ने सरस्वती वंदना गाकर माहौल को काव्य मय बना दिया । डॉ. तारकेश्वर मिश्र ने पढा –प्रेम की चादर हर तरफ फैला क्यों नहीं देते । नफ़रत का साया जहां से मिटा क्यों नहीं देते । गोली बम बारूद का शौक है कुछ लोगों को । गीत मोहब्बत का उनको सुना क्यों नहीं देते ।। डॉ. महेंद्र नाथ तिवारी ने पढ़ा – प्यार जिंदा है तो फिर राज महल बनते हैं I प्यार मरता है तो फिर ताज महल बनते हैं II दिनेश चंद्र ने पढ़ा ने पढ़ा –ग़ज़ल उदासी की चादर तान कर रात में सो जाना आदत हो गयी , सच मे इस सच के साथ जीना आसान नही है II श्रीमती माधुरी मिश्रा ने पढ़ा –जहर ज़िंदगी का हम पिये जा रहे हैं,नशे में हैं हम और जिये जा रहे हैं । शबनमी बूँद से ,तरबतर जिस्मो जाँ । सर्द बरसात ,आँसू बयाँ कर रहे ।। संतोष प्रीत ने पढ़ा– बहुत बड़ा यह देश है अपना , नहीं किसी से क्लेश है अपना । मिलजुल कर कैसे रहते हैं, दुनिया को संदेश दें अपना II दीपक दबंग का असरदार भोजपुरी व्यंग ,भाई अखलाक जी की रचना , आलोक बेताब की पक्तियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में बहुत साथ दिया । मंच संचालक की भूमिका में रहे कवि सिद्धनाथ शर्मा ने अपने जादुई संचालन के साथ अपनी सधी ग़ज़लें सुनाकर खूब तालियां बटोरी I कठिन परीक्षा लेते हो तुम साधारण इंसा का । कलियुग में ऐसी माया रचते हो तुम गिरधारी ।। उपस्थित कवियों में गिरीश पांडेय , श्रीमती झरना मुखर्जी , श्रीमती मधुलिका राय , ओम प्रकाश चंचल , नवल किशोर गुप्ता आदि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पत्रकार, समाज सेवी राजेश मिश्रा , डी डी सिंह , नूतन सिंह , डॉ. सुभाष चंद्रा , मोहम्मद दाऊद , डॉ. राजीव गौतम , योगेंद्र कुमार , छायाकार विनोद राव , आनंद सिंह अन्ना , विशाल चौरसिया उपस्थित रहे I इस अवसर पर उत्तर प्रदेश, छत्तीस गढ़, बिहार आदि प्रांतों से आये अपने -अपने क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं के लिए और हिंदी विद्वत जनों , सुप्रसिद्ध साहित्यकारों और पत्रकारों को अंगवस्त्र , प्रशस्ति पत्र , माल्यार्पण और स्मृति चिन्ह देकर चन्द्रा हिंदी गौरव सम्मान-2024 से अलंकृत किया गया I अतिथि कवियों , पत्रकारों , समाज सेवियों , छायाकारों सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं. राम नरेश 'नरेश' ने कहा कि यह चंद्रा साहित्य परिषद (ट्रस्ट) आपका है । अपनी साहित्यिक सेवाएं देकर इसको ऊंचाई प्रदान करना आप सब के हाथों है I

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