जौनपुर। अपना-पराया जैसे विभेद स्वतः समाप्त हो जाते हैं: डॉ रीता महराज

खुटहन, जौनपुर। मंगलवार को कानामऊं गांव में संत निरंकारी संत समागम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि भीरा (आमजगढ़) की निरंकारी ज्ञान प्रचारक डा. रीता ने कहा कि भ्रम दूर हुए बिना ब्रह्म की प्राप्ति नहीं होती। साधु की संगत व सत्संग से जैसे-जैसे हमारा भ्रम दूर होता जाता है, वैसे-वैसे हम उस सर्वशक्तिमान ब्रह्म के करीब होने लगते हैं। वह मंगलवार को विकास खंड के कानामऊं गांव में आयोजित वार्षिक निरंकारी संत समागम व प्रवचन कर रही थीं। 

उन्होंने कहा कि जब तक हमारे मन व अंतःकरण में भ्रम है, तब तक हम ब्रह्म की प्राप्ति कर ही नहीं सकते। जब हमें उस परम शक्ति का ज्ञान प्राप्त हो जाता है तो मेरा-तेरा, अपना-पराया जैसे विभेद स्वतः समाप्त हो जाते हैं। तब संसार के सभी जीवधारियों में ईश्वर का स्वरूप दिखने लगता है। चौरासी लाख योनियों में मानव ही सर्वश्रेष्ठ रचना है। करोड़ों वर्षों तक भिन्न-भिन्न योनियों का कष्ट भोगने के बाद आखिर में यह शरीर मिला है। यदि इस बार भी इहलोक से मुक्ति का जतन नहीं कर सके तो पुनः उन्हीं योनियों में भटकना होगा। इस मौके पर कृष्णा श्रीवास्तव, शिव शंकर सेठ, सुभाषचंद्र राजित राम, राजेन्द्र प्रसाद,, शंकर, सतनारायण, संजय यादव, नंदलाल चौधरी, जगदीश , सुभाष चंद्र प्रधान संतलाल सोनी,,ग्राम प्रधान विनोद यादव ने आगंतुकों का स्वागत व आभार प्रकट किया।

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