उतरौला पुलिस द्वारा पीड़ित के घर में कब्जा कराये जाने के मामले में जिलाधिकारी द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए बड़ी कार्यवाही, पीड़ित को मात्र दो माह के अंदर दिलाया न्याय

डीएम की कानूनी मजिस्ट्रेटी जांच समिति में उतरौला पुलिस की भूमिका मिली संदिग्ध, माo हाईकोर्ट ने इस मजिस्ट्रेटी जांच का लिया संज्ञान, पीड़ित को पुन: कब्जा दिलाने का दिया अंतरिम आदेश। 

पुलिस की भूमिका संदिग्ध मिलने पर जिलाधिकारी का बड़ा एक्शन, डीएम ने पूरे प्रकरण से उतरौला सर्किल की पुलिस को हटाया, कार्यकारी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में तुलसीपुर सर्किल की पुलिस ने पीड़ित को न्याय दिलाने के दिए आदेश। 

डीएम के आदेश पर कार्यकारी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में तुलसीपुर सर्किल की पुलिस ने आज पीड़ित को दिलाया न्याय। 

जिला मजिस्ट्रेट ने व्यापक जनहित में स्वतः संज्ञान लेते हुए भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 और यूपी पुलिस रेगुलेशन के तहत विशेष शक्तियों/ इमरजेंसी शक्तियों का प्रयोग करते हुए मामले में की कार्यवाही। 

मामले में अगली सुनवाई तिथि पर दोषी पुलिस कर्मियों पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई

गैर कानूनी कार्यों में लिप्त इंस्पेक्टर्स को 2 साल तक नहीं मिलेगी थाने की कमान, विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिलाधिकारी द्वारा की जाएगी कार्रवाई
कब्जे का खेल खेलने वाले, भ्रष्टाचार में लिप्त, अनुशासनहीन,  मैजिस्ट्रेट एवं उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना करने वाले, बल का दुरुपयोग करने वाले, माफियाओं के विरुद्ध शिथिलता पूर्ण रवैया रखने वाले, जनमानस को डराने धमकाने वाले बदनीयत  पुलिस कार्मिकों को जिलाधिकारी की चेतावनी, नहीं सुधरे तो होगी कठोरतम करवाई। 
डीएम श्री अरविंद सिंह के आदेश पर तहसील व थाना उतरौला हाटन रोड निवासी राम प्रताप वर्मा के घर में जनवरी माह में  स्थानीय पुलिस द्वारा कब्जा कराए जाने की शिकायत के मामले में रविवार को डीएम द्वारा नियुक्त कार्यकारी मजिस्ट्रेट तहसीलदार उतरौला शैलेंद्र सिंह की अध्यक्षता में अपर पुलिस अधीक्षक तुलसीपुर योगेश कुमार द्वारा पुलिस बल के साथ पीड़ित को कब्जा दिलाकर न्याय दिलाया गया। 
 बताते चले कि यह प्रकरण मा0 उच्च न्यायालय से आच्छादित था तथा सिविल न्यायालय व उपजिला मजिस्ट्रेट उतरौला के फौजदारी न्यायालय में धारा-145 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत वाद विचाराधीन था, परन्तु प्रथम दृष्टया पुलिस के द्वारा स्वयं जज और उपजिलाधिकारी की भूमिका को अपनाते हुए बलपूर्वक अवैध कब्जा कराने का गम्भीर आरोप प्राप्त हुआ।
आम जन मानस में भारी पुलिस बल के अवैध प्रयोग से भय व्याप्त न हो, अवैध कब्जा करने का कृत्य न हो तथा प्रकरण की सम्पूर्ण सच्चाई प्रकाश में आये, इस हेतु जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर श्री अरविन्द सिंह द्वारा अपनी विशेष कानूनी एवं आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए पुलिस के नियंत्रक अधिकारी (Head of Criminal Administration) की हैसियत से भारतीय पुलिय अधिनियम 1861 एवं उ0प्र0 पुलिस रेगुलेशन के विशेष कानूनी शक्तियों के तहत अपर जिला मजिस्ट्रेट (न्यायिक) बलरामपुर की अध्यक्षता में दिनांक 25.01.2024 को सांविधिक मजिस्ट्रीयल जाँच समिति संस्थापित की गई।
जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर के विशेष कानूनी शक्तियों के अन्तर्गत गठित सांविधिक मजिस्ट्रीयल जाँच समिति की आख्या का संज्ञान मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद, खण्डपीठ लखनऊ ने लिया तथा अपने अंतरिम आदेश दिनाँक 22.03.2024 के अन्तर्गत सांविधिक मजिस्ट्रीयल जाँच समिति की संस्तुतियों के आधार पर 03 दिवस के अन्दर पीडित पक्ष को पुनः कब्जा दिये जाने का आदेश पारित किया गया।
अगली तिथि पर मजिस्ट्रीयल जाँच समिति की आख्या के क्रम में अन्य कार्यवाहियाँ भी संभावित है।
चूंकि इस प्रकरण में जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस बल द्वारा अवैध रूप से संताप देने व आम जन मानस को भयभीत करने वाली गैर कानूनी कार्य का किया जाना सिद्व होना पाया गया तथा उतरौला क्षेत्राधिकारी क्षेत्र की पुलिस की भूमिका विधि विरूद्ध/संदिग्ध पाया है। अतः जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर श्री अरविन्द सिंह द्वारा दिनाँक 23.03.2024 को आदेश पारित करते हुए तहसीलदार उतरौला को कार्यकारी मजिस्ट्रेट नामित करते हुए उनकी अध्यक्षता में (क्षेत्राधिकारी उतरौला क्षेत्र की पुलिस को पृथक करते हुए) अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) श्री योगेश कुमार के नेतृत्व में तुलसीपुर क्षेत्राधिकारी क्षेत्र की पुलिस की संयुक्त समिति गठित कर मजिस्ट्रीयल जाँच समिति की संस्तुतियों के आधार पर, मा0 उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में कब्जा वापस कराये जाने हेतु आदेश पारित किया गया है।  इस हेतु जिला मजिस्ट्रेट श्री अरविंद सिंह ने पुलिस अधीक्षक बलरामपुर को क्षेत्रधिकारी उतरौला क्षेत्र की पुलिस को पृथक करते हुए क्षेत्राधिकारी तुलसीपुर क्षेत्र की पुलिस प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। मजिस्ट्रीयल समिति की संस्तुतियों के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर द्वारा सम्बन्धित के विरूद्ध अग्रेतर दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर ने यह कठोर चेतावनी दी है कि जमीन/सम्पत्ति के मामलों में अगर पुलिस बिना सक्षम न्यायालय या सक्षम उपजिला मजिस्ट्रेट के आदेशों के विपरीत अवैध कब्जा कराने, धमकाने, अनावश्यक बल का प्रयोग करते हुए अनुचित प्रभाव बनाने, पक्षपात करने या भ्रष्टाचार करने अथवा आम जन मानस में भय व्याप्त कराने तथा विशेष रूप से महिलाओं के साथ अभद्रता करने, आचार संहिता का उल्लघंन, उच्चाधिकारियों/मजिस्ट्रेट के आदेशो की अवहेलना का कार्य किया जाता है, तो अपने विशेष कानूनी व आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए आपराधिक प्रशासन के मुखिया (Head of Criminal Administration) के तौर पर सम्बन्धित पुलिस कर्मचारियों/अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही के साथ-साथ आपराधिक दण्डात्मक कार्यवाही भी प्रचलित कर दी जायेगी।
श्री अरविन्द सिंह द्वारा जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी बलरामपुर की हैसियत से निर्देशित किया है कि वन माफिया तथा गैंगस्टर के विरूद्ध जान-बूझकर या मिलीभगत से प्रभावी कार्यवाही न किये जाने की स्थिति में(चूंकि इससे चुनाव में अवैध धन एवं बल का प्रयोग संभावित है) कानून की विशेष शक्तियों तथा आपातकालीन प्रावधानों का प्रयोग कर आपराधिक प्रशासन के मुखिया के हैसियत से विभागीय कार्यवाही के साथ-साथ दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। 
यदि जाँच में पाया जाता है कि सम्बन्धित इंस्पेक्टर की संलिप्तता है, तो अगले दो वर्ष तक जनपद के किसी भी थाने में थाना प्रभारी के रूप में तैनात नही किये जाने का स्थायी आदेश (Standing Order)/स्थायी अन-नुमोदित (Standing disapproval) किये जाने का सांविधिक आदेश, पुलिस एक्ट 1861 व उ0प्र0 पुलिस रेगुलेशन के तहत निर्गत किया जायेगा, व अन्य सुसंगत प्राविधानो के अन्तर्गत विभागीय कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक को आदेशित किया जायेगा।
  
        हिन्दी संवाद न्यूज़ से
         वी. संघर्ष✍️
      9140451846
       बलरामपुर। 

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