वृन्दावन।चैतन्य विहार फेस-1 क्षेत्र स्थित "श्रीवृन्दावन निकुंज" में प्रमुख धर्माचार्य सुरेश चंद्र शास्त्री महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ से भागवताचार्य नवीन कृष्ण शास्त्री महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को कपिल देवहूती संवाद का प्रसंग श्रवण कराते हुए कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए सत्संग ही एकमात्र सुगम साधन है।भगवान कपिलदेव ने माता देवहूति को उपदेश देते कहा कि इंद्रिय रूपी घोड़े अपने विषयों की ओर भागते ही हैं, परन्तु हमें उन घोड़ों की लगाम खींचकर इंद्रिय रूपी घोर के मुख को अपनी ओर मोड़ देना है। जिसका परिणाम चित्त में शांति व मन को संतोष मिलेगा।
उन्होंने ध्रुव चरित्र का भाव प्रस्तुत करते हुए कहा कि उत्तानपाद की पत्नी सुरुचि उत्तम को और सुनीति ध्रुव को जन्म देती है। अर्थात सुंदर नीतियों का परिणाम ध्रुव होता है, यानी द्रण संकल्प। जबकि सांसारिक रुचि का परिणाम केवल उत्तम होता है।भजन 55 से नहीं बचपन से होता है।भगवान पर यदि हमारा भरोसा रहे तो दुनिया आपका बाल भी बांका नहीं कर सकती है।बाल भक्त प्रहलाद जैसी निष्ठा, दृढ़ भक्ति की शक्ति के कारण खंभ से भगवान नरसिंह को प्रकट होना पड़ा।
इस अवसर पर महोत्सव के मुख्य यजमान श्रीराम अवतार मिश्रा (देवरी-सागर, मध्यप्रदेश), श्रीरामकृष्ण मिश्रा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know